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क्या होता है गोली चलाते वक़्त दिमाग में

केट डेली बीबीसी न्यूज़ मैगज़ीन अमरीका के मिसौरी में पुलिस की गोली से मारे गए युवक की ख़बर पिछले दिनों सुर्खि़यों में रही लेकिन एक पुलिस अधिकारी के दिमाग में गोली चलाते वक़्त क्या रहता है ? अमरीकी पुलिस अधिकारियों के संदर्भ में गोली चलाने की परिस्थिति कागज़ी तौर पर बहुत स्पष्ट है. नेशनल फ्रैटरनल […]

अमरीका के मिसौरी में पुलिस की गोली से मारे गए युवक की ख़बर पिछले दिनों सुर्खि़यों में रही लेकिन एक पुलिस अधिकारी के दिमाग में गोली चलाते वक़्त क्या रहता है ?

अमरीकी पुलिस अधिकारियों के संदर्भ में गोली चलाने की परिस्थिति कागज़ी तौर पर बहुत स्पष्ट है.

नेशनल फ्रैटरनल ऑर्डर ऑफ़ पुलिस के कार्यकारी निदेशक जिम पास्को का कहना है, " हथियार का इस्तेमाल आप आख़िरी उपाय के रूप में करते हैं. आप हथियार का इस्तेमाल ऐसी परिस्थिति में करते हैं जब आपको लगता है कि आपकी ज़िंदगी और अन्य नागरिकों की ज़िंदगी ख़तरे में हैं. "

1982 में सुप्रीम कोर्ट ने भागते हुए अपराधी को गोली मारने को गैर क़ानूनी पाया था.

बिना गोली चलाए रिटायर

अब अधिकारी नागरिकों पर हथियारों का इस्तेमाल जान का ख़तरा होने की स्थिति में ही न्यायसंगत ठहरा सकते हैं.

केवलर वेस्ट और अन्य सुरक्षात्मक उपकरणों ने पुलिस अधिकारियों के जान के जोखिम को पहले की तुलना में काफ़ी कम कर दिया है.

न्यूयॉर्क के जॉन जे कॉलेज में आपराधिक न्याय के प्रोफेसर कैंडेस मैककॉय का कहना है कि इसके परिणामस्वरूप पुलिस की गोली से मारे जाने वालों की संख्या 36 सालों में 70 फ़ीसदी कम हो गई हैं. देश के 5 लाख पुलिसवालों में से बहुत कम पुलिसवाले अपनी नौकरी के दौरान गोली चला पाते हैं. अधिकतर पुलिसवाले अपने कैरियर के दौरान बिना गोली चलाए रिटायर हो जाते हैं.

इसके बावजूद एक पुलिस वाले की गोली चलाने की संभावना आम आदमी की तुलना में 600 गुणा ज़्यादा होती है और एक साल में पुलिस की गोली से करीब 400 लोग मारे जाते हैं.

मुश्किल काम

पास्को का कहना है कि पुलिस अधिकारियों को गोली चलाने से संबंधित पूरा प्रशिक्षण दिया जाता है ट्रिगर दबाने से पहले उनके दिमाग में कुछ भी व्यवस्थित नहीं होता है उन्हें पलक झपकते निर्णय लेना होता है.

मिशिगन में कालामाज़ू वैली क्मयुनिटी कॉलेज पुलिस एकेडमी के प्रशिक्षक राबर्ट टॉड का कहना है, " आपको हमेशा संदिग्ध की गतिविधियों के हिसाब से प्रतिक्रिया देनी होती है. यह एक मुश्किल काम है. कार्रवाई के मामले में पुलिस हमेशा रक्षात्मक होती है.

ऐसी स्थिति में अधिकारियों को अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना होता है और ट्रेनिंग पर विश्वास रखना होता है.

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