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मौत के 18 साल बाद फ़ौजी का अंतिम संस्कार

रोहित घोष बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए मौत के 18 साल बाद उत्तर प्रदेश के मैनपुरी ज़िले के कुरडिया गाँव में भारतीय सेना के एक हवलदार गया प्रसाद का हज़ारों लोगों के बीच अंतिम संस्कार हुआ. गया प्रसाद की पत्नी रमा देवी ने कहा, "हम उनकी लाश ढूढ़ने जा ही नहीं सके. सियाचिन दूर जो […]

मौत के 18 साल बाद उत्तर प्रदेश के मैनपुरी ज़िले के कुरडिया गाँव में भारतीय सेना के एक हवलदार गया प्रसाद का हज़ारों लोगों के बीच अंतिम संस्कार हुआ.

गया प्रसाद की पत्नी रमा देवी ने कहा, "हम उनकी लाश ढूढ़ने जा ही नहीं सके. सियाचिन दूर जो इतना है. उनको देखने की उम्मीद ख़त्म हो गई थी. ये तो भगवान की कृपा है जो उनका शव मिल गया."

अंतिम संस्कार के बाद रमा देवी बदहवास हो गईं.

गया प्रसाद के साथी रहे रिटायर्ड सूबेदार मेजर बादशाह सिंह ने बीबीसी को बताया कि गया प्रसाद और उनकी पोस्टिंग सियाचिन के चुनार और शैला कॉम्प्लेक्स पोस्ट पर थी.

मृत घोषित

बादशाह सिंह ने कहा, "दिसंबर 1996 में गया प्रसाद, मैं और अन्य साथी ड्यूटी पर थे. दोपहर में अचानक प्रसाद बर्फ़ीली खाई में गिर गए. उनकी खोज के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया गया, अन्य राज्यों के अधिकारी भी इसमें शामिल हुए लेकिन प्रसाद को ढूंढ़ा नहीं जा सका. गहन खोज अभियान के बाद गया प्रसाद को मृत घोषित कर उनके परिवार को इसकी सूचना दी गई."

लगभग एक सप्ताह पहले सियाचिन में सेना के जवानों की एक टुकड़ी रूटीन गश्त पर थी. इस दौरान ग्लेशियर पर बर्फ़ के बाहर एक हाथ निकला दिखाई दिया.

इसके बाद सेना के जवानों ने शव को बाहर निकाला तो वह एक सैनिक का शव था. शव से मिले टैग व सर्विस कार्ड नंबर 2980287 के आधार पर उसकी पहचान गया प्रसाद के रूप में हुई.

गया प्रसाद के भाई श्याम सिंह ने कहा की गया प्रसाद 1982 में सेना में भर्ती हुए थे.

नहीं थी उम्मीद

उन्होंने कहा, "हमने तो गया प्रसाद को मृत मान उनके बिना ही ज़िन्दगी गुज़ारने की आदत डाल ली थी. अच्छा हुआ कि उनके अंतिम दर्शन हो गए. पर पुराने ज़ख़्म फिर से हरे हो गए."

गया प्रसाद के 32 वर्षीय बेटे सतीश यादव ने कहा, "हमने तो पिता जी को देखने की उम्मीद ही छोड़ दी थी. शायद कोई अच्छे कर्म किए होंगे कि उनका शरीर देखने को मिला."

गया प्रसाद का शरीर बुधवार रात जैसे ही कुरडिया पहुंचा, हज़ारों लोगों की आँखें नम हो गईं.

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