हिस्ट्रेक्टोमी एक सजर्री है, जिसमें गर्भाशय को हटा दिया जाता है. यूटेरस, सर्विक्स और ओवेरियन कैंसर में हिस्ट्रेक्टोमी की मदद से छुटकारा पाया जाता है. जब गर्भाशय से संबंधित किसी बीमारी का इलाज दवाइयों से नहीं हो पाता तब हिस्ट्रेक्टोमी की मदद से उसे हटा दिया जाना सबसे उपयुक्त चिकित्सा है.
इसके कई हैं प्रकार
सबटोटल हिस्ट्रेक्टोमी : इसमें गर्भाशय के ऊपरी हिस्से को ऑपरेशन द्वारा हटाया जाता है.
टोटल हिस्ट्रेक्टोमी : इसमें पूरे गर्भाशय को हटा दिया जाता है. इसमें रिकवरी में समय लगता है.
रेडिकल हिस्ट्रेक्टोमी : इसमें गर्भाशय के साथ वजिना का ऊपरी हिस्सा भी हटाते हैं. यह कैंसर में सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है. इसमें गर्भाशय के आस-पास के टिशु को भी हटा दिया जाता है.
ओपहिरिक्टोमी : यदि रेडिकल हिस्ट्रेक्टोमी की मदद से कैंसर पर काबू नही पाया जाता है, तो डॉक्टर ओवरी को भी हटा देते हैं. इसी को ओपहिरिक्टोमी कहते हैं.
कई प्रकार से होती है सर्जरी
इस सर्जरी के कई प्रकार हैं. समस्याओं के आधार पर चिकित्सक द्वारा सर्जरी के प्रकार का चयन किया जाता है.
लेप्रोस्कोपिक हिस्ट्रेक्टोमी : इस प्रकार में लेप्रोस्कोपिक उपकरणों की मदद से सर्जरी की जाती है. यह सर्जरी अत्यंत सुरक्षित और कारगर है. इसमें पेट में एक छोटा चीरा लगा कर लेप्रोस्कोपिक उपकरणों की मदद से गर्भाशय को हटाया जाता है.
वजिनल हिस्ट्रेक्टोमी : इस सर्जरी में वजिना में चीरा लगा कर गर्भाशय को हटाया जाता है. मगर यह सर्जरी अन्य सजर्री की तुलना में कम प्रचलित है.
एब्डोमिनल हिस्ट्रेक्टोमी : यह सर्जरी काफी पुरानी है. इस सर्जरी में पेट के नीचे एक 5-7 इंच का चीरा लगा कर गर्भाशय को हटाया जाता है.
सर्जरी के बाद रखें ध्यान
यदि वजिनल या एब्डोमिनल हिस्ट्रेक्टोमी सर्जरी करायी है, तो संक्रमण से बचाव जरूरी है. सर्जरी के पहले सप्ताह कोई भी कार्य न करें. दवाइयों का समय पर सेवन करें. परहेज का विशेष ध्यान रखें.
हल्का खाना खाएं और दैनिक
दिनचर्या को धीरे-धीरे शुरू करें. लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में रिकवरी ज्यादा जल्दी होती है, मगर इसे कराने के बाद भी आराम की जरूरत है.
बातचीत व आलेख : कुलदीप तोमर