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यूपीएससी विवाद पर मोदी की उधेड़बुन

सलमान रावी बीबीसी संवाददाता, दिल्ली क्या यूपीएससी विवाद मोदी सरकार की परेशानी बढ़ा रहा है? सरकार ने राज्यसभा में घोषणा की है कि वह इस मुद्दे पर जल्द ही सर्वदलीय बैठक बुला रही है. सरकार ने यह भी घोषणा की है कि 24 अगस्त को संघ लोक सेवा आयोग की प्रवेश परीक्षा भी नियमित तरीक़े […]

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क्या यूपीएससी विवाद मोदी सरकार की परेशानी बढ़ा रहा है?

सरकार ने राज्यसभा में घोषणा की है कि वह इस मुद्दे पर जल्द ही सर्वदलीय बैठक बुला रही है. सरकार ने यह भी घोषणा की है कि 24 अगस्त को संघ लोक सेवा आयोग की प्रवेश परीक्षा भी नियमित तरीक़े से होगी.

सीसैट विवाद: कब क्या?

फ़र्क़ सिर्फ इतना होगा कि ‘एप्टीट्यूट’ परीक्षा अंग्रेज़ी में तो होगी. मगर, उसके अंकों को शुमार नहीं किया जाएगा.

ग़ैर हिंदीभाषी इलाक़ों के छात्रों में इसे लेकर रोष है वहीं आंदोलनकारी छात्र अंग्रेज़ी को पूरी तरह हटाने की मांग कर रहे हैं.

उलझाने की कोशिश

भारत सरकार के पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमनियन का कहना है कि यूपीएससी मुद्दे पर सरकार डर-डरकर चल रही है. वह कहते हैं कि सरकार को अंदेशा है कि कहीं लोगों का मत उसके ख़िलाफ़ न चला जाए.

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सरकार ने यह घोषणा करके ग़लती की कि अंग्रेज़ी के नंबर शामिल नहीं किए जाएंगे.

वर्मा कमेटी ने साफ़ तौर पर कह दिया है कि मौजूदा परीक्षा का प्रारूप बहुत सोच-समझकर तैयार किया गया है. इस मुद्दे को बेवजह तूल दिया गया है. लोगों का मत सरकार के साथ रहेगा अगर वह मज़बूती से खड़ी होती है.

मगर शिक्षाविद पुष्पेश पंत कहते हैं कि सिर्फ़ हिंदी ही नहीं सबको अपनी मातृभाषा में परीक्षा देने का अधिकार होना चाहिए. उनका आरोप है कि पूरे मामले को कांग्रेस राजनीतिक रूप से उलझाने की कोशिश कर रही है.

वह कहते हैं कि पूरे मुद्दे को हिंदी बनाम अंग्रेज़ी, उत्तर बनाम दक्षिण का रूप दिया जा रहा है, जबकि जिन भाषाओँ को संविधान में मान्यता मिली हुई है, उनमें परीक्षा देने का अधिकार सबको है. विरोध तो अनर्गल अनुवाद का है.

ख़ास वर्ग को फ़ायदा

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लेकिन सरकार के फैसले पर मिली जुली प्रतिक्रिया ही है.

बिहार सरकार में प्रधान सचिव के पद पर कार्यरत व्यासजी, पहले आईपीइस अधिकारी थे. बाद में उन्होंने इस्तीफ़ा देकर आईएएस परीक्षा पास की.

उन्हें लगता है कि अगर परीक्षा की उत्कृष्टता से समझौता किया जाता है, तो यह देश की सर्वोच्च लोक सेवा का स्तर गिरा देगा. वह कहते हैं कि कोचिंग सेंटरों ने माहौल और ख़राब कर दिया है.

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मगर भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी मुकेश गुप्ता को लगता है कि यूपीएससी का मौजूदा स्वरूप सिर्फ़ उन्हीं छात्रों को फ़ायदा पहुंचाएगा जो आईआईटी या मैनेजमेंट पढ़ रहे हैं.

वह कहते हैं कि परीक्षा के नए प्रारूप की वजह से सिर्फ़ ख़ास विधा के लोग ही लोक सेवा आयोग की परीक्षा में बैठ पाएंगे, जो ग़लत है.

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