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नेतृत्व को ख़त्म कर सकते हैं अमरीकी: नटवर

राजेश जोशी बीबीसी संवाददाता भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन को आशंका थी कि भारत सहित कुछ देशों को अस्थिर करने के लिए अमरीकी किसी भी हद तक जा सकते हैं, "यहाँ तक कि वो देश के नेतृत्व का ख़ात्मा तक करवा सकते हैं." भारत के पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने ये बात बीबीसी हिन्दी […]

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन को आशंका थी कि भारत सहित कुछ देशों को अस्थिर करने के लिए अमरीकी किसी भी हद तक जा सकते हैं, "यहाँ तक कि वो देश के नेतृत्व का ख़ात्मा तक करवा सकते हैं."

भारत के पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने ये बात बीबीसी हिन्दी रेडियो से एक विशेष इंटरव्यू में कही है.

(कांग्रेस डूब रही है… राहुल कहाँ हैं?)

हालाँकि हाल ही में चर्चा में आई उनकी आत्मकथा ‘वन लाइफ़ इज़ नॉट इनफ़’ में ‘नेतृत्व के ख़ात्मे’ वाली बात का ज़िक्र नहीं है.

लेकिन बीबीसी से बातचीत करते हुए नटवर सिंह ने कहा कि भारत की राजनीति को प्रभावित करने में अमरीका की भूमिका रहती है.

उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा है, "अमरीकी लॉबी ने विदेश मंत्री के तौर पर मेरी नियुक्ति में अड़ंगा डालने की कोशिश की थी."

‘अमरीकी खिलाफ हैं’

नटवर सिंह ने बीबीसी को बताया, "मनमोहन ने मुझसे ख़ुद कहा कि ‘भई मुझे बहुत मुश्किल हो रही है आपको विदेशमंत्री बनाने में क्योंकि अमरीकी आपके ख़िलाफ़ हैं’."

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उनसे पूछा गया कि क्या भारत जैसे लोकतांत्रिक देश का प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमंडल में मंत्री की नियुक्ति को लेकर ऐसी बात कह सकता है?

नटवर सिंह का जवाब था, "उन्होंने (मनमोहन सिंह ने) सिर्फ़ यही नहीं कहा कि (अमरीकी) हमारे देश को अस्थिर कर देंगे, आपके ख़िलाफ़ हैं, (बल्कि ये भी कहा कि) वो हमारे नेतृत्व का ख़ात्मा कर सकते हैं."

नटवर की आत्मकथा

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नेतृत्व को ख़त्म कर सकते हैं अमरीकी: नटवर 2

नटवर सिंह का कहना है, "इस वक़्त बड़े मुल्कों में सीआइए की घुसपैठ बहुत गहरी है. यहाँ (भारत में) उनके 125-130 कूटनयिक हैं, उनमें से 20 प्रतिशत सीआइए एजेंट हैं. अमरीकी तो इससे इनकार करेंगे ही."

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उनकी आत्मकथा पिछले शुक्रवार को ही प्रकाशित हुई है. इस किताब में पूर्व विदेशमंत्री ने एक कूटनयिक के तौर पर अपने करियर और बाद में राजनीति में बिताए वर्षों के बारे में कई अंदरूनी और दिलचस्प जानकारियाँ दी हैं.

नटवर सिंह गाँधी-नेहरू परिवार के बहुत क़रीबी रहे हैं. पहले वो राजीव गाँधी और फिर काँग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के विश्वासपात्र रहे.

सोनिया का जवाब

लेकिन इराक़ पर अमरीकी हमले के बाद उनके बेटे जगत सिंह पर इराक़ में तेल के बदले भोजन कार्यक्रम में भ्रष्टाचार के आरोप लगे और नटवर सिंह को विदेशमंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा.

इस वजह से नटवर सिंह और गाँधी परिवार में दूरियाँ बढ़ गईं और अब अपनी आत्मकथा में उन्होंने सोनिया गाँधी और मनमोहन सिंह की कड़ी आलोचना की है.

इस पर सोनिया गाँधी ने कहा है कि वो भी एक किताब लिख कर पूरा सच सामने रखेंगी.

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