<figure> <img alt="प्रदूषण से बचाव" src="https://c.files.bbci.co.uk/43D1/production/_109516371_mediaitem109516370.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p>सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को ‘जीने के मूलभूत अधिकार का गंभीर उल्लंघन’ बताते हुए सोमवार को कहा कि राज्य सरकारें और स्थानीय निकाय अपनी ‘ड्यूटी निभाने में नाकाम’ रहे हैं. </p><p>पराली जलाने और प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के चीफ़ सेक्रेटरी को तलब किया है. </p><p>साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अगर दिल्ली एनसीआर में कोई व्यक्ति निर्माण और तोड़ फोड़ पर लगी रोक का उल्लंघन करता पाया जाए तो उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. कूड़ा जलाने पर पांच हज़ार रुपये का जुर्माना होगा. </p><p>कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार से कहा है कि वो विशेषज्ञों की मदद से प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कदम उठाएं. इस की अगली सुनवाई बुधवार 6 अक्टूबर को होगी. </p><p><strong>अदालत में मौजूद </strong>वरिष्ठ पत्रकार <strong>सुचित्र मोहंती</strong> के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हर साल दिल्ली का दम घुट रहा है और हम कुछ भी कर पाने में कामयाब नहीं हो रहे हैं."</p><p>कोर्ट ने कहा, "ये हर साल हो रहा है और 10-15 दिन तक यही स्थिति बनी रहती है.सभ्य देशों में ऐसा नहीं होना चाहिए." </p><h3>जीने का अधिकार सबसे अहम</h3><p>मोहंती के मुताबिक कोर्ट ने ये भी कहा कि "जीने का अधिकार सबसे अहम है. ये वो तरीका नहीं है जहां हम जी सकें’. केंद्र और राज्य को इसके लिए कदम उठाने चाहिए. ऐसे चलने नहीं दिया जा सकता. अब बहुत हो चुका है."</p><p>कोर्ट ने कहा, "इस शहर में जीने के लिए कोई कोना सुरक्षित नहीं है. यहां तक कि घर में भी नहीं. इसकी वजह से हम अपनी ज़िंदगी के अहम बरस गंवा रहे हैं."</p><p>बीते कई दिनों से दिल्ली और आसपास के शहरों में वायु प्रदूषण बेहद ख़राब स्तर पर पहुंच गया है. दिल्ली में रविवार को वायु की गुणवत्ता (एयर क्वालिटी/एक्यूआई) 1,000 के आंकड़ों को भी पार कर गई. इसे लेकर दिल्ली में ‘हेल्थ इमरजेंसी’ लागू कर दी गई. प्रदूषण की वजह से दिल्ली और आसपास के शहरों में पांच नवंबर तक स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी गई है.</p><figure> <img alt="सुप्रीम कोर्ट" src="https://c.files.bbci.co.uk/14CBD/production/_109518158_053544114-1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>’ऑड ईवन से क्या हासिल?'</h3><p>कोर्ट ने सोमवार से लागू ‘ऑड ईवन’ योजना को लेकर दिल्ली सरकार से भी सवाल पूछे और कहा कि वो शुक्रवार को कोर्ट के सामने डाटा रखते हुए जानकारी दें कि इस ‘योजना से प्रदूषण घटा है’. </p><p>जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने दिल्ली सरकार से पूछा, "ऑड ईवन स्कीम के पीछे क्या तर्क है? हम डीज़ल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की बात समझ सकते हैं लेकिन लेकिन ऑड ईवन योजना का क्या मतलब है."</p><p>जस्टिस मिश्रा ने कहा, "कारों से कम प्रदूषण होता है. आप (दिल्ली सरकार) ऑड ईवन से क्या हासिल कर रहे हैं."</p><h3>’सरकार है ज़िम्मेदार'</h3><p>सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली की सरकार से कहा कि वो स्थिति को बदलने के लिए क्या कर रहे हैं, इसकी जानकारी दें. </p><p>कोर्ट ने कहा,"स्थिति भयावह है. केंद्र और दिल्ली सरकार के तौर पर आप प्रदूषण को घटाने के लिए क्या करना चाहते हैं? लोग मर रहे हैं और क्या वो ऐसे ही मरते रहेंगे?"</p><p>सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हमारी नाक के नीचे हर साल ऐसी चीजें हो रही हैं. लोगों को सलाह दी जा रही है कि वो दिल्ली न आएं या दिल्ली छोड़ दें. इसके लिए राज्य सरकार ज़िम्मेदार है. लोग उनके राज्य और पड़ोसी राज्यों में जान गंवा रहे हैं.हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. हम हर चीज का मज़ाक बना रहे हैं."</p><p>सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने कोर्ट से कहा कि दिल्ली में ट्रकों का प्रवेश रोका जाना चाहिए. सिर्फ़ उन्हीं ट्रकों को आने की अनुमति होनी चाहिए जो ज़रूरी रोजमर्रा के सामान लेकर आ रहे हों. </p><p>पर्यावरणविद सुनीता नारायण ने कहा कि प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत पंजाब है. उन्होंने कहा कि इस मामले में कार्रवाई या संदेश साफ़ होना चाहिए. </p><p>इन्हें भी पढ़े- </p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50283338?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">हेल्थ इमरजेंसी की हालत में कितनी कारगर होगी ऑड-ईवन योजना?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50205051?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">दिल्ली के प्रदूषण के लिए दिवाली कितनी ज़िम्मेदार?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/vert-fut-50097248?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या होगा यदि दिल्ली, मुंबई में कारों पर बैन लग जाए?</a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
दिल्ली प्रदूषणः ड्यूटी निभाने में नाकाम सरकारें-सुप्रीम कोर्ट
<figure> <img alt="प्रदूषण से बचाव" src="https://c.files.bbci.co.uk/43D1/production/_109516371_mediaitem109516370.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p>सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को ‘जीने के मूलभूत अधिकार का गंभीर उल्लंघन’ बताते हुए सोमवार को कहा कि राज्य सरकारें और स्थानीय निकाय अपनी ‘ड्यूटी निभाने में नाकाम’ रहे हैं. </p><p>पराली जलाने और प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश […]
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