प्रीति सिंह परिहार
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हॉर्टिकल्चर में संवारें भविष्य
प्रीति सिंह परिहार आज फलों और फूलों की खेती या बागवानी महज शौक भर के लिए किया जानेवाला काम नहीं रह गया है. यह एक करियर क्षेत्र बन चुका है, जो हॉर्टिकल्चर के तौर जाना जाता है. ऐसे लोग, जिन्हें प्रकृति से प्यार है, उनके लिए यह बेहतरीन करियर विकल्प है. हॉर्टिकल्चर के तहत न […]
आज फलों और फूलों की खेती या बागवानी महज शौक भर के लिए किया जानेवाला काम नहीं रह गया है. यह एक करियर क्षेत्र बन चुका है, जो हॉर्टिकल्चर के तौर जाना जाता है. ऐसे लोग, जिन्हें प्रकृति से प्यार है, उनके लिए यह बेहतरीन करियर विकल्प है. हॉर्टिकल्चर के तहत न सिर्फ अच्छी गुणवत्ता के बीज, फल एवं फूल का उत्पादन किया जाता है, पर्यावरण को बेहतर करने में भी यह अहम भूमिका निभाता है.
हमारे देश में विविध प्रकार की मिट्टी और जलवायु के साथ कई प्रकार की कृषि-पारिस्थितिकी माैजूद है, जो विभिन्न प्रकार की बागवानी और फसलों को विकसित करने का अवसर प्रदान करती है. उच्च तकनीक वाले ग्रीन हाउस, इन-हाउस रिसर्च और ऑफ-सीजन की खेती ने हॉर्टिकल्चर के क्षेत्र में नयी संभावनाएं विकसित की हैं. यही वजह है कि आज भारत दुनिया में फलों और सब्जियों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है.
हॉर्टिकल्चर के बारे में जानें
हॉर्टिकल्चर यानी बागवानी कृषि की एक विशेष शाखा है. हॉर्टिकल्चर पौधों (अनाज, फल, सब्जियां, फूल आदि) को उगाने का विज्ञान और कला है. यह विषय अनाज, फलों, फूलों, सब्जियों, जड़ी-बूटियों, सजावटी पेड़ों की खेती और बागानों में पौधारोपण से संबंधित है. हॉर्टिकल्चर कला, विज्ञान एवं तकनीक का सम्मिश्रण है. इसमें खाद्य और अखाद्य दोनों तरह की फसलों का अध्ययन शामिल है. खाद्य फसलों में फल, सब्जी और अनाज एवं अखाद्य फसलों में फूल और पौधे आदि आते हैं. हॉर्टिकल्चर विशेषज्ञ अपने ज्ञान, कौशल और तकनीक का उपयोग कर उच्च गुणवत्ता वाले पौधों एवं फलों का उत्पादन करते हैं.
हॉर्टिकल्चर की विभिन्न शाखाएं
फ्लोरीकल्चर : यह फूलों की खेती, उत्पादन और विपणन पर केंद्रित विषय है.
ओलेरीकल्चर : सब्जियों की खेती से संबंधित विज्ञान है.
लैंडस्केप हॉर्टिकल्चर : यह बागवानी के क्षेत्रों को सजाने और उनके विपणन एवं रखरखाव के बारे में है.
पोमोलॉजी : यह फलों के उत्पादन से संबंधित है.
पोस्ट हार्वेस्ट फिजियोलॉजी : पोस्ट हार्वेस्ट फिजियोलॉजिस्ट में बागवानी विशेषज्ञ खाद्य पदार्थ को खराब होने से रोकने का कार्य करते हैं.
शुरुआत के लिए सही समय
साइंस स्ट्रीम से बारहवीं करनेे के बाद हॉर्टिकल्चर में बैचलर डिग्री में प्रवेश का रास्ता बनता है. आप बीएससी हॉर्टिकल्चर (ऑनर्स) या बीएससी एग्रीकल्चर में तीन वर्षीय डिग्री कोर्स और उसके बाद दो वर्षीय एमएससी हॉर्टिकल्चर (ऑनर्स) एवं पीएचडी तक कर सकते हैं. कई संस्थान हॉर्टिकल्चर में चार वर्षीय बीटेक प्राेग्राम भी संचालित करते हैं. कुछ कॉलेज बैचलर कोर्स में एडमिशन प्रवेश परीक्षा के माध्यम से, तो कुछ स्कोर के आधार पर देते हैं. हॉर्टिकल्चर कोर्स के अंतर्गत प्लांट प्राेपगेशन, प्लांट ब्रीडिंग, प्लांट मटेरियल, टिशू कल्चर, क्राॅप प्रोडक्शन, क्रॉप न्यूट्रिशन, प्लांट पैथोलॉजी, पोस्ट-हार्वेस्ट हैंडलिंग, इकोनॉमिक्स, एग्री-बिजनेस जैसे विषयाें का अध्ययन कराया जाता है.
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