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कबीर-रहीम के दोहे में छुपे निवेश के मूल मंत्र

क्या यह संभव है कि हमारे भक्तिकालीन दौर के कवियों के जीवन-दर्शन से भरी रचनाओं की अर्थ-ध्वनियों से अर्थशास्त्र के रहस्य फूटे? क्या यह संभव है कि इन महान संतों और समाज सुधारकों की काव्यधाराएं निवेशकों को एक ऐसा शाश्वत संदेश दें, जिसमें तर्क के साथ अर्थ-हानि से बचने का उपाय भी हो? जरूर, ऐसा […]

क्या यह संभव है कि हमारे भक्तिकालीन दौर के कवियों के जीवन-दर्शन से भरी रचनाओं की अर्थ-ध्वनियों से अर्थशास्त्र के रहस्य फूटे? क्या यह संभव है कि इन महान संतों और समाज सुधारकों की काव्यधाराएं निवेशकों को एक ऐसा शाश्वत संदेश दें, जिसमें तर्क के साथ अर्थ-हानि से बचने का उपाय भी हो? जरूर, ऐसा संभव है.

और इस संभावना को साकार किया है ‘इनसाइट्स’ संस्था के सह-संस्थापक विनायक सप्रे ने, जो अरसे से निवेश सलाहकारों के प्रशिक्षक के तौर पर काम करते रहे हैं. टीवी 18 ब्रॉडकास्ट लिमिटेड से प्रकाशित सप्रे की किताब ‘दोहानॉमिक्स’ में कबीर दास और रहीम के 40 दोहा रूपी मोतियों का संदेश है, जो आज निवेशकों के लिए बहुत जरूरी भी है.
इस किताब को पढ़कर पाठकों में एक नया नजरिया विकसित होगा कि किसी कविता या दोहा को पढ़कर उसके अर्थ के रूप में सिर्फ नैतिकता ही नहीं सीखा जा सकता, बल्कि उसके गूढ़ को समझा जाये, तो उसमें छुपे निवेश के अार्थिक रहस्य को भी समझा जा सकता है.
किताब ‘दोहानॉमिक्स’ कई बातों को समझने में हमारी मदद करती है. भारत में उदारीकरण के बाद अर्थव्यवस्था में बहुत सारे बदलाव आये हैं. बाजार ने तरह-तरह से लुभाना शुरू किया. निवेश और पूंजी को लेकर हमारी समझ भी विकसित हुई है. बरसों पहले भारतीय समाज में निवेश को लेकर एक उहापोह रहती थी और काफी सोचकर ही आगे बढ़ा जाता था, ताकि बेमतलब के खर्च से बचा जाये.
अब ऐसा नहीं है. अगर एक दोहा आपको यह बताये कि निवेश करते समय किस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत है, ताकि किसी लालच के शिकार से बचते हुए मुनाफा बटोरा जा सके, तो निश्चित रूप से यह सिद्धांत ‘दोहानॉमिक्स’ का ही हो सकता है. लेखक विनायक सप्रे इस कोशिश में कामयाब हुए हैं, तो इसलिए कि वे कबीर-रहीम के दोहों की अर्थ-ध्वनियों को बारीकी से समझ पाये हैं.
किताब लिखने से पहले उन्होंने कबीर और रहीम के लगभग तीन हजार दोहे पढ़े और फिर उसमें से चालीस दोहे को ‘दोहानॉमिक्स’ का मूल मंत्र बनाया. पहले जो चीजें विलासिता के रूप में मानी जाती थीं, आज वही चीजें भारतीय समाज के लिए जरूरी हो गयी हैं. और यह सब निवेश को लेकर हमारी समझ के चलते हुआ है. निवेश की समझ विकसित करने के लिए इस किताब को जरूर पढ़ा जाना चाहिए. – वसीम अकरम

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