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बंगाल सरकार भी बनाएगी भीड़ हत्या के ख़िलाफ़ क़ानून

<p>राजस्थान और मणिपुर के बाद अब पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार भी भीड़ के हाथों पिटाई और हत्या की बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए एक नया क़ानून बनाएगी.</p><p>इससे संबंधित द वेस्ट बंगाल (प्रीवेंशन ऑफ़ लिंचिंग) बिल, 2019 विधानसभा के मौजूदा अधिवेशन के दौरान इसी सप्ताह पेश किया जाएगा. हाल के महीनों में […]

<p>राजस्थान और मणिपुर के बाद अब पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार भी भीड़ के हाथों पिटाई और हत्या की बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए एक नया क़ानून बनाएगी.</p><p>इससे संबंधित द वेस्ट बंगाल (प्रीवेंशन ऑफ़ लिंचिंग) बिल, 2019 विधानसभा के मौजूदा अधिवेशन के दौरान इसी सप्ताह पेश किया जाएगा. हाल के महीनों में राज्य में ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं </p><p>अकेले जुलाई में ही कहीं बच्चा चोर होने तो कहीं मोटरसाइकिल चुराने के संदेह में कम से कम चार लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई. </p><p>वैसे, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को ध्यान में रखते हुए पहले ही ऐसा क़ानून बनाने की बात कही थी. </p><p>लेकिन हाल के महीनों में ऐसी घटनाएं तेज़ होने की वजह से सरकार ने विधानसभा के मौजूद सत्र में ही इसे पेश करने का फ़ैसला किया.</p><p>सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल 17 जुलाई को मॉब लिंचिंग यानी भीड़ के हाथों पीट-पीट कर हत्या के ख़िलाफ़ फ़ैसला सुनाया था. </p><p>शीर्ष अदालत ने इस पर अंकुश के लिए सभी राज्यों को क़ानून बनाने का निर्देश दिया था. वर्ष 2018 के आख़िर में मणिपुर सरकार ने इसके ख़िलाफ़ विधेयक पारित किया. मणिपुर के बाद राजस्थान सरकार ने भी पांच अगस्त को एक क़ानून बनाया था.</p><p>संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी कहते हैं, &quot;इस विधेयक का मक़सद संवेदनशील लोगों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना और भीड़ के हाथों पिटाई की घटनाओं पर अंकुश लगाना है. इसमें ऐसे मामलों में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई का भी प्रावधान होगा.&quot; </p><p>वह बताते हैं कि विधेयक में किसी पर हमला करने और उसे घायल करने के दोषी लोगों को तीन साल से लेकर आजीवन सज़ा तक का प्रावधान होगा. </p><p>भीड़ की पिटाई से संबंधित व्यक्ति की मौत की स्थिति में दोषियों को आजीवन कारावास की सज़ा के साथ ही पांच लाख रुपए तक का जुर्माना भी भरना होगा.</p><p>मंत्री ने बताया कि उक्त विधेयक के पारित होने के बाद राज्य के पुलिस महानिदेशक एक संयोजक की नियुक्ति करेंगे जो ऐसे मामलों की निगरानी और इन पर अंकुश लगाने के उपायों के लिए नोडल अधिकारी के तौर पर काम करेगा.</p><p>प्रस्तावित विधेयक में भीड़ के पिटाई के शिकार लोगों या उनके परिजनों को मुआवज़ा देने का भी प्रावधान है. इसमें कहा गया है कि ऐसे किसी भी मामले में दो या उससे ज्यादा लोगों के शामिल होने की स्थिति में इसे भीड़ की श्रेणी में रखा जाएगा. </p><p>ऐसे मामलों में शामिल होने और इसकी साज़िश रचने वाले लोगों के अलावा उकसावा देने वालों के ख़िलाफ़ भी इसी क़ानून के तहत कार्रवाई की जाएगी. भीड़ की पिटाई से घायल लोगों का सरकारी अस्पतालों में मुफ़्त इलाज किया जाएगा.</p><h1>बढ़ते मामले</h1><p>राज्य में हाल के महीनों में भीड़ के हाथों पिटाई और हत्या के मामले बढ़े हैं. बीती जुलाई में उत्तर बंगाल के जलपाईगुड़ी और अलीपुरदुआर ज़िलों में बच्चा चोर होने के संदेह में क्रमशः एक महिला और पुरुष की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई.</p><p>इसी तरह मालदा ज़िले में मोटरसाइकिल चुराने के संदेह में लोगों में सनाउल शेख़ नामक एक युवक की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी. इलाज के लिए कोलकाता लाने के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका था. </p><hr /><p><strong>ये भी पढ़ें-</strong></p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48823211?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मॉब लिंचिंग के मामले में झारखंड यूं ही ‘बदनाम’ नहीं है!</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49346716?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पहलू ख़ान मॉब लिंचिंग केस: सभी अभियुक्त बरी</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48783025?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">तबरेज़ को इंसाफ़ दिलाने के लिए देश भर से उठी आवाज़ें</a></li> </ul><hr /><p>उसके बाद पूर्व मेदिनीपुर ज़िले में संजय चंद्र नामक एक युवक को भी चोर होने के संदेह में पीट कर मार डाला गया था. इससे पहले कथित गोरक्षकों के हाथों में उत्तर बंगाल में कई लोगों को पीट-पीट कर मार दिया गया था.</p><p>राज्य के गृह मंत्रालय में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं, &quot;पहले ऐसे मामलों में गिरफ्तारियों के बावजूद सख्त क़ानून के अभाव में उनके ख़िलाफ़ ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती थी और ज्यादातर मामलों में सबूतों के अभाव में अभियुक्तों को ज़मानत मिल जाती थी. लेकिन अब नए क़ानून के सहारे ऐसे मामलों में कार्रवाई आसान हो जाएगी.&quot;</p><h1>विपक्ष की टिप्पणी</h1><p>लेफ्टफ्रंट विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती और विधानसभा में कांग्रेस के सचेतक मनोज चक्रवर्ती ने उक्त क़ानून की ज़रूरत और मक़सद पर तो कोई सवाल नहीं उठाया है. लेकिन उन्होंने चेतावनी दी है कि इस क़ानून का दुरुपयोग रोकने पर भी ध्यान रखना होगा. </p><p>सुजन कहते हैं, &quot;यह क़ानून तो ठीक है. लेकिन पुलिस को ध्यान रखना होगा कि राजनीतिक बदले की भावना से इसका दुरुपयोग न हो.&quot; </p><p>दूसरी ओर, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष का दावा है कि देश में भीड़ के हाथों हत्या की सबसे ज्यादा घटनाएं पश्चिम बंगाल में ही होती हैं. </p><p>घोष कहते हैं, &quot;बंगाल में क़ानून-व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह ढह चुकी है. राजनीतिक दबाव की वजह से पुलिस प्रशासन का मनोबल पूरी तरह से टूट गया है. ऐसे में इस प्रस्तावित क़ानून से भी कोई ख़ास फ़ायदा नहीं होगा.&quot;</p><p>लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने सरकार के इस फ़ैसले का स्वागत किया है. राजनीतिक विश्लेषक मोइदुल इस्लाम कहते हैं, &quot;सरकार को पहले ही यह क़ानून बनाना चाहिए था. लेकिन देर आया दुरुस्त आया. अब इस क़ानून को इसके पूरे प्रावधानों के साथ कड़ाई से लागू करना ज़रूरी है ताकि भीड़ की हिंसा पर क़ाबू पाया जा सके.&quot;</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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