<p>सरकार ने अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों के लिए एडवायज़री जारी कर जल्द से जल्द लौट जाने के लिए कहा है. इस एडवायज़री से पूरे कश्मीर में अफ़रा-तफ़री का माहौल है. </p><p>आदेश में कहा गया है, "चरमपंथी ख़तरे, ख़ासकर अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनाकर किए जाने वाले हमले की ख़ुफ़िया जानकारी के मद्देनज़र और कश्मीर घाटी की मौजूदा सुरक्षा स्थिति को देखते हुए पर्यटकों और अमरनाथ यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वो तुरंत वापस लौट जाएं."</p><p>इससे लोगों के बीच ख़लबली मच गई है और पर्यटक अपने बैग बांधकर वापस लौटने लगे हैं. </p><p>शुक्रवार से ही पर्यटक वापस लौट रहे हैं, होटल खाली किए जा रहे हैं. स्थानीय लोग ज़रूरी सामान इकट्ठा कर रहे हैं, एटीएम और पेट्रोल पंपों के बाहर लंबी कतारें हैं. </p><p>एक पर्यटक वेनोटिन कहती हैं, "हमें ये एडवायज़री इंटरनेट पर मिली लेकिन हमें लगा कि ये सिर्फ़ हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए होगी. हमने यहां रुकने का फ़ैसला किया. हम डल झील देखना चाहते थे और अचानक हमें पुलिस की ओर से फ़ोन आया. उन्होंने कहा कि हमें तुरंत निकलना होगा."</p><p>वेनोटिन बेल्जियम से हैं और वो उसी दिन कश्मीर आई थीं, जिस दिन एडवायज़री जारी की गई थी. उन्हें अगले दिन वापस लौट जाने के लिए कह दिया गया. </p><p>वो कहती हैं, "मैं कश्मीर के लोगों के लिए परेशान और दुखी हूं. मुझे लगता है ये कश्मीर के पर्यटन के लिए बुरा है." </p><p>कश्मीर की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा पर्यटन से आता है, लेकिन बढ़ते तनाव की वजह से कश्मीर आने वाले पर्यटकों की संख्या घटी है. </p><p>2018 में कश्मीर में बीते सात सालों में पर्यटकों की सबसे कम संख्या दर्ज की गई. इस साल यहां देश और विदेश से सिर्फ़ क़रीब आठ लाख पर्यटक आए. 2017 के मुक़ाबले ये 20 प्रतिशत से ज़्यादा की कमी है. </p><p>श्रीनगर में एक ट्रेवल एजेंसी चलाने वाले आज़ाद बेग कहते हैं, "सब कुछ सामान्य था और अचानक ये आदेश आ गया. इससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई. लोग भाग रहे हैं, पर्यटक जा रहे हैं." </p><p>आज़ाद कहते हैं, "ये हमारा टूरिस्ट सीज़न है और इस साल हम उम्मीद कर रहे थे कि पर्यटकों के मामले में चीज़ें बेहतर होंगी. लेकिन अब हर ओर अंधेरा नज़र आ रहा है." </p><p>आज़ाद कहते हैं, "गुलमर्ग, सोनमर्ग और अन्य जगहों के टूरिस्ट रिसोर्ट में ठहरे पर्यटक अपने गृह राज्य वापस जा रहे हैं और होटल की बुकिंग रद्द कर रहे हैं." </p><p>पिछले हफ्ते से, कश्मीर में भारी सुरक्षाबलों की मौजूदगी से डर का माहौल है. क़रीब 25000 अतिरिक्त बल कश्मीर लाए गए हैं, इससे ये अटकलें और अफ़वाहें बढ़ गई हैं कि केंद्र सरकार 35-ए को ख़त्म करने की योजना बना रही है या राज्य को जम्मू से अलग करने जा रही है. </p><p>कहा जा रहा है कि जम्मू को अलग कर राज्य का दर्जा दिया जाएगा, जबकि कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. </p><p>श्रीनगर और जम्मू हवाई अड्डे से चलने वाली ज़्यादातर फ्लाइट्स ने टिकट बिना किसी शुल्क के रद्द करने और सभी के लिए 15 अगस्त तक फ्लाइट्स को रिशेड्यूल करने की पेशकश की है. </p><p>शुक्रवार शाम, कश्मीरी नेताओं के एक दल ने घाटी में फैले डर को लेकर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल से मुलाकात की. इस दल में पूर्व मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती, शाह फ़ैसल, सज्जाद लोन और इमरान अंसारी शामिल थे. </p><p>राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने प्रतिनिधिमंडल से "शांति बनाए रखने और अफ़वाहों पर विश्वास ना करने के लिए कहा."</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong> </strong><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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