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जटिल कवि मुक्तिबोध

तार सप्तक के पहले कवि माधव गजानन मुक्तिबोध हिंदी के एकमात्र ऐसे कवि हैं, जो अपनी मृत्यु के आधी सदी के बाद, आज भी, प्रासंगिक हैं. वह जब तक जीवित रहे, तब तक उनका कोई भी स्वतंत्र काव्य-संग्रह प्रकाशित नहीं हो पाया. प्रेमचंद और निराला के बाद मुक्तिबोध ऐसे तीसरे बड़े रचनाकार हैं, जिन्हें हिंदी […]

तार सप्तक के पहले कवि माधव गजानन मुक्तिबोध हिंदी के एकमात्र ऐसे कवि हैं, जो अपनी मृत्यु के आधी सदी के बाद, आज भी, प्रासंगिक हैं. वह जब तक जीवित रहे, तब तक उनका कोई भी स्वतंत्र काव्य-संग्रह प्रकाशित नहीं हो पाया. प्रेमचंद और निराला के बाद मुक्तिबोध ऐसे तीसरे बड़े रचनाकार हैं, जिन्हें हिंदी साहित्यिक समाज में व्यापक स्वीकृति मिली है.

मुक्तिबोध के शताब्दी वर्ष के आरंभ और अंत के पश्चात भी उनकी रचनाशीलता और सृजन पर चर्चा-परिचर्चा, परिसंवाद एवं राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों के साथ-साथ अनेक पुस्तकों का प्रकाशन और लोकार्पण का सिलसिला चलता रहा.
भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित ‘ऐंद्रिकता और मुक्तिबोध’ पुस्तक के लेखक युवा कवि एवं आलोचक विनय विश्वास हैं. इस पुस्तक में मुक्तिबोध की रचनाओं का ऐंद्रिकता की दृष्टि से विचार और विश्लेषण किया गया है. मुक्तिबोध का जीवन जितना जटिल रहा है, उतनी ही उनकी कविता. लेखक का मुक्तिबोध से जो साहित्यिक रिश्ता एमए हिंदी के दौरान ‘अंधेरे में’ कविता पढ़ने से बना, वह एमफिल में प्रगाढ़ हो गया. यह पुस्तक लेखक के इसी लघु शोध-प्रबंध का विस्तार है.
मुक्तिबोध नयी कविता के विशिष्ट कवि हैं. लेखक के विचार में नयी कविता में उनकी स्थिति कमोबेस वैसी है, जैसी छायावाद में निराला की, लेकिन वे नयी कविता के कवि होते हुए भी नयी कवितावादी नहीं हैं.
पुस्तक में कुल तीन अध्याय हैं. पहले अध्याय में ‘ऐंद्रिकता’ और ‘साहित्य’ के बीच संबंधों का सैद्धांतिक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है. दूसरे में ऐंद्रिकता की दृष्टि से मुक्तिबोध की कविताओं का विश्लेषण हैं.
इसमें मुक्तिबोध की प्रमुख कविताओं का ऐंद्रिक पाठ किया गया है. तीसरे अध्याय में मुक्तिबोध के कथा-संसार का अध्ययन है. इसमें ऐंद्रिकता के आधार पर मुक्तिबोध के गद्य का विश्लेषण है. मुक्तिबोध का गद्य दो रूपों में मिलता है- कथा साहित्य और कथा-साहित्येतर. कथा-साहित्य में उनकी कहानियां और अधूरा उपन्यास है.
कथा से इतर साहित्य में उनकी आलोचना, टिप्पणियां, लेख और पत्र हैं. मुक्तिबोध के गद्य साहित्य की ऐंद्रिकता के अध्ययन का आधार उनकी कहानियां और आलोचना पर केंद्रित हैं. जिसमें विशेष रूप से ‘एक साहित्यिक की डायरी’ का ऐंद्रिक पाठ है. इस पुस्तक में मुक्तिबोध की रचनाओं को समझने के लिए जो टूल्स दिये गये हैं, उसमें नयापन है. – उपेंद्र कुमार ‘सत्यार्थी’

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