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हमारे यहां छोटा परदा ही है बड़ा परदा : सनम सईद

जिंदगी चैनल पर प्रसारित हो रहा शो जिंदगी गुलजार है इन दिनों दर्शकों के दिलों की धड़कन बन चुका है. खासतौर से कशफ मुर्तजा का किरदार निभा रहीं सनम सईद को दर्शक बेहद पसंद कर रहे हैं. पेश है उनसे हुई अनुप्रिया अनंत की बातचीत के मुख्य अंश.. सनम, पाकिस्तान के साथ अब भारत में […]

जिंदगी चैनल पर प्रसारित हो रहा शो जिंदगी गुलजार है इन दिनों दर्शकों के दिलों की धड़कन बन चुका है. खासतौर से कशफ मुर्तजा का किरदार निभा रहीं सनम सईद को दर्शक बेहद पसंद कर रहे हैं. पेश है उनसे हुई अनुप्रिया अनंत की बातचीत के मुख्य अंश..

सनम, पाकिस्तान के साथ अब भारत में भी दर्शकों से आपको काफी तारीफें सुनने को मिल रही हैं. ऐसी प्रतिक्रिया पर क्या महसूस कर रही हैं आप?
मैं बेहद खुश हूं कि चैनल जिंदगी दो मूल्कों को जोड़ने का काम कर रहा है. यह हमारी खुशनसीबी है कि हमारी इतनी इज्जत आफजाई हो रही है. मुङो लगता है कि दो मूल्कों के जो मसले हैं, वे बेफिजूल के गढ़े गये हैं. कम से कम इस चैलन के बहाने आपसी प्यार को तो दर्शकों तक पहुंचाया ही जा सकता है. इस प्रयास की तारीफ होनी ही चाहिए.

शो में कशफ का जो किरदार आप निभा रही हैं, क्या निजी जिंदगी में आप वैसी हैं या उससे जुदा हैं?
मैं असल जीवन में बहुत हद तक कशफ से मेल खाती हूं. रिश्तों को लेकर मैं भी काफी इनसिक्योर रहती हूं. कह सकते हैं कि ओवर प्रोटेक्टिव रहती हूं और जिस तरह कशफ काफी मेहनती और इंडीपेंडेंट है, मैं भी अपनी निजी जिंदगी में वैसे ही रहना पसंद करती हूं.

भारत में अब भी फिल्में बड़ा परदा है और टीवी से ज्यादा फिल्मों को अहमियत मिलती है. पाकिस्तान की इंडस्ट्री में क्या स्थिति है?
हमारे यहां फिल्मों से अधिक टीवी को इज्जत मिलती है और यही वजह है कि हम लगातार अच्छे शोज का निर्माण कर रहे हैं. भारत में सिनेमा के माध्यम का जिस तरह से इस्तेमाल होता है, अलग-अलग तरह की कहानियों को कहने में, हमारे यहां हम उसे टीवी के माध्यम से लोगों तक बातें पहुंचाते हैं. हमारे यहां फिल्में बेहद कम बनती हैं और यहां थिएटर भी उतने नहीं हैं. सो, हम टीवी पर अपना पूरा ध्यान देते हैं. खास बात यह है कि टीवी के माध्यम से भी खूबसूरत प्रेम कहानियां और समाज से जुड़ी कहानियां दिखायी जा रही हैं. एक खास बात यह भी है कि हमारे यहां आमतौर पर जो भाषा बोली जाती है, वह उर्दू है और यह तो जगजाहि है कि उर्दू जबान साहित्य को खास बना देती है. उसका लेवल बढ़ा देती है तो यह हमें अल्लाह से मिला एक नायाब तोहफा है, सो, हमारी जुबान भी बेहद पसंद आती है.

जिंदगी के कई शोज में महिलाओं को किसी न किसी रूप में अपने पति से धोखा खाते दिखाया जा रहा है. क्या यह वहां के वर्तमान समाज में ऐसा होता है?
आप इसे इस नजरिये से देखें कि हमारे यहां औरतें कितनी मजबूत हैं. आप देखेंगे कि हर शो में औरत को मजबूर दिखाया जा रहा है. जिंदगी गुलजार है में मेरी अम्मी का जो किरदार निभा रही हैं, उन्होंने अपने दम पर तीन बेटियों को कैसे पढ़ाया. आप इस नजरिये से देखें. और ऐसी बातें तो कहां नहीं होतीं.

यह अवधारणा बनी हुई है कि पाकिस्तान के लोगों में पहनावे को लेकर संकीर्णता बहुत है. आपकी नजर में फैशन के मायने क्या हैं?
नहीं, ऐसा नहीं है. हां, हमारे मेकर्स से यह बात कही जाती है कि आप ऐसे लिबास में अपने कलाकारों को न दिखाएं, जो उत्तेजित करनेवाले हों. हमारे यहां इस बात की सख्ती है कि आप टीवी पूरे परिवार के साथ देख रहे होते हैं, तो लिबास पर नहीं कहानी पर ध्यान जाये. शायद हमारी कहानियां इतनी अच्छी इसलिए हैं कि हम कहानियों के सिवा किसी बात पर ध्यान ही नहीं देते. मेरे लिहाज से भी फैशन का मतलब वलगैरिटी तो होनी ही नहीं चाहिए. मैं खुद मॉडल रह चुकी हूं और मैं भी ऐसी चीजों से तौबा करती हूं. मेरे वालिद (जो कि खुद अभिनेता रह चुके हैं) भी तो मेरे शोज देख रहे होते हैं. हमारी सादगी में भी खासियत है और वही बात दर्शकों को छू जाती है.

क्या पाकिस्तान में भी पुरुष की तुलना में महिलाओं को कम मेहनताना मिलता है?
हमारे यहां हर लिहाज से औरतों का दर्जा ऊंचा है. हमें पुरुषों से अधिक आमदनी मिलती है. चूंकि यहां भी टीवी पर महिलाओं का ही हक है.

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