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हाफ़िज़ सईद पर पाकिस्तान की कार्रवाई महज़ दिखावा या कुछ और?

<figure> <img alt="हाफ़िज़ सईद" src="https://c.files.bbci.co.uk/3A11/production/_107756841_344cac29-b0bc-46b9-9f6d-d939b94b2078.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के आतंकवाद-रोधी विभाग ने चरमपंथ के लिए फ़ंड इकट्ठा करने के आरोप में जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफ़िज़ सईद के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया है. </p><p>आतंकवाद-रोधी विभाग के मुताबिक़, हाफ़िज़ सईद समेत लश्कर ए तयैबा और फ़लाहे इंसानियत फ़ाउंडेशन के 13 सदस्यों […]

<figure> <img alt="हाफ़िज़ सईद" src="https://c.files.bbci.co.uk/3A11/production/_107756841_344cac29-b0bc-46b9-9f6d-d939b94b2078.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के आतंकवाद-रोधी विभाग ने चरमपंथ के लिए फ़ंड इकट्ठा करने के आरोप में जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफ़िज़ सईद के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया है. </p><p>आतंकवाद-रोधी विभाग के मुताबिक़, हाफ़िज़ सईद समेत लश्कर ए तयैबा और फ़लाहे इंसानियत फ़ाउंडेशन के 13 सदस्यों के ख़िलाफ़ पंजाब के अलग-अलग शहरों में 23 मुक़दमे दर्ज किए गए हैं. साथ ही इन संगठनों के ख़िलाफ़ जांच शुरू कर दी गई है.</p><p>इन पर आरोप है कि उन्होंने कई ग़ैर-सरकारी संस्थाएं बनाईं जो आतंकवाद के लिए इकट्ठा किए जाने वाले पैसे से बनाए गए हैं. फिर उन्हें इस्तेमाल करते हुए चरमपंथ के लिए और पैसा जमा किया गया. </p><p>माना जा रहा है कि हाफ़िज़ सईद को गिरफ़्तार किया जा सकता है. </p><p>पंजाब आतंकवाद-रोधी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन संगठनों के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है. </p><h1>क्या हैं आरोप </h1><p>पंजाब के आतंकवाद-रोधी विभाग द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि जमात उद दावा, लश्कर-ए-तैयबा और फ़लाह ए इंसानियत फ़ाउंडेशन में बड़े पैमाने पर जांच शुरू की गई है. इन संगठनों के ज़रिए इकट्ठा किए गए पैसे का इस्तेमाल चरमपंथी गतिविधियों के लिए किया गया. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-46601835?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पाकिस्तानी मंत्री ने किया हाफ़िज़ सईद को सुरक्षा देने का वादा </a></li> </ul><figure> <img alt="हाफ़िज़ सईद" src="https://c.files.bbci.co.uk/8831/production/_107756843_46408d9d-b9a5-4bbb-8943-8d2292f0fcd4.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>ये संगठन ग़ैर-सरकारी संगठनों या कल्याणकारी संगठनों के रूप में जाने जाते हैं. इस तरह के कल्याणकारी संगठनों में दावतुल रशाद ट्रस्ट, माज़ बिन जब्ल ट्रस्ट, इलानफ़ाल ट्रस्ट, अलहम्द ट्रस्ट और अल मदीना फ़ाउंडेशन ट्रस्ट शामिल हैं.</p><p>आतंकवाद-रोधी विभाग के अनुसार, हाफ़िज़ सईद और अन्य 12 लोगों के ख़िलाफ़ आतंकवाद-रोधी कानून, 1997 के तहत आतंकवाद निरोधी अदालत में मुक़दमा चलाया जाएगा. </p><p><strong>पाकिस्तान के इस </strong><strong>क़दम </strong><strong>की वजह </strong></p><p>पाकिस्तानी सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ आमिर राणा के अनुसार, &quot;हाल के मामलों से ये पता चलता है कि पूरी दुनिया में स्वीकार्य चरमपंथ की अवधारणा को पाकिस्तान ने पहली बार स्वीकार किया है.&quot;</p><p>उन्होंने बताया कि इससे पहले, पाकिस्तान चरमपंथी संगठनों को विभिन्न प्रकारों में बांटता था जैसे जो पाकिस्तान में एक्टिव हैं या नहीं और जिनसे सीधे पाकिस्तान को ख़तरा है. पेरिस में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की हालिया बैठक में पाकिस्तान ने कहा था कि ये संगठन आतंकवादी गतिविधियों में शामिल नहीं हैं. इससे ज़्यादा ख़तरा तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान या आईएसआईएस जैसे और ख़तरनाक समूहों से हैं. हालांकि, वैश्विक समुदाय का मानना था कि इन सभी संगठनों से समान तरह का ख़तरा है. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-42105516?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">रिहाई के बाद हाफ़िज़ ने कहा, ‘कश्मीर की आज़ादी की कोशिश जारी रहेगी'</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48278836?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">हाफ़िज़ सईद का साला और जमात उद दावा नेता अब्दुल रहमान मक्की गिरफ़्तार</a></li> </ul><p>आतंकवाद-रोधी विभाग के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की सिफ़ारिशों और इन संगठनों पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के चलते इनकी व्यापक जांच की गई. हालांकि, इस संबंध में कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है. </p><p>आमिर राणा बताते हैं कि पाकिस्तान के लिए अपनी नीतियों में बदलाव लाना ही बेहतर होगा ताकि उसे वैश्विक दबाव का सामना न करना पड़े और अंतरराष्ट्रीय तौर पर अलग-थलग न नज़र आए. </p><p>वह कहते हैं कि यह सही है कि लश्कर-ए-तैयबा ने पाकिस्तान के अंदर कार्रवाई नहीं की है और इसीलिए वह हमारे दोस्त रहे हैं, लेकिन अब ये दोस्ती महंगी पड़ रही है. पाकिस्तान उस स्थिति में है जहां उसे इन संगठनों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी ही होगी. जब तक आप ऐसा नहीं करते तब तक वैश्विक दबाव बना रहेगा और आगे भी जारी रहेगा. एक दौर में हम तालिबान का भी बचाव करते थे लेकिन हमें तब उनके ख़िलाफ़ भी कार्रवाई करनी पड़ी. </p><figure> <img alt="हाफ़िज़ सईद, पाकिस्तान" src="https://c.files.bbci.co.uk/12471/production/_107756847_80f7c453-e702-4516-81b8-2ed6411346d6.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>चरमपंथ गैर-सरकारी संगठनों से कैसे जुड़ा है </h1><p>पंजाब के आतंकवाद-रोधी विभाग ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है कि कल्याणकारी और गैर-सरकारी संगठनों के जरिए इकट्ठा किए गए धन का इस्तेमाल चरमपंथ में कैसे किया गया. </p><p>हालांकि, आमिर राणा ने कहा कि इन संगठनों पर लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं. ऐसा लगता है कि आतंकवाद-रोधी विभाग के पास उनके ख़िलाफ़ सबूत होंगे. </p><p>उन्होंने कहा कि जमात-उद-दावा के फ़लाह ए इंसानियत फ़ाउंडेशन फाउंडेशन के तहत चल रहे स्कूलों और अस्पतालों की भी आमदनी थी. आतंकवाद-रोधी विभाग को ये साबित करने के लिए ठोस सबूत देने होंगे कि ये धन चरमपंथ के लिए इस्तेमाल होता है. </p><p>वहीं, ये संगठन भी ये साबित करने की पूरी कोशिश करेंगे कि ये पैसा चरमपंथ में नहीं बल्कि कल्याणकारी कामों में इस्तेमाल किया गया है. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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