गुलजार आलम
इच्छाशक्ति और सही मार्गदर्शन से लोगों को सफलता अवश्य मिलती है. ऐसी ही एक कहानी है कि धनबाद जिले के ठेका मजदूरी करने वाले शख्स भीम महतो की. सात साल पहले धनबाद जिले के झरिया प्रखंड के ऊपर डंगरी बस्ती के भीम महतो ठेका मजदूरी कर किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे. घर में सालों भर आर्थिक तंगी रहती थी और बड़ी मुश्किल से परिवार का गुजारा होता था. एक दिन श्री महतो जमाडोबा स्थित टाटा स्टील रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी (टीएसआरडीएस) के दफ्तर पहुंचे. तत्कालीन यूनिट हेड अरविंद देव को अपनी परेशानी और उद्देश्य बताया.
श्री देव ने उनके घर के आसपास बंजर भूमि का निरीक्षण किया. इसके बाद बलियापुर कृषि विज्ञान केंद्र में श्री महतो को छह माह खेती का प्रशिक्षण दिलाया गया. श्री देव की पहल पर 11 एकड़ बंजर भूमि का समतलीकरण किया गया. शुरुआती दौर में श्री महतो ने पांच एकड़ जमीन पर 20 आम के पौधे लगाये. अपने बड़े बेटे संतोष महतो की मदद से प्रयोग के तौर पर उन्होंने बैगन, टमाटर, बरबटी आदि सब्जी की खेती शुरू की. प्रयोग सफल रहा. इससे उनका उत्साह बढ़ गया. श्री महतो के जज्बे को देख सोसाइटी के वर्तमान यूनिट हेड केशव रंजन ने श्री महतो को टाटा के महाप्रबंधक संजय सिंह से मिलवाया.
श्री सिंह के आदेश पर जीतपुर जोड़िया किनारे पंप हाउस व खेतों में सिंचाई के लिए नाला का निर्माण हुआ. इसके बाद भीम महतो की कड़ी मेहनत व सोसाइटी के सहयोग से बंजर जमीन पर 90 आम, 40 अमरूद, 25 अनार व 15 नींबू के पेड़ उनकी सफलता की कहानी बयां कर रहे हैं. हालांकि अनार की फसल बहुत अच्छी नहीं होने से वे थोड़ा अफसोस जताते हैं. इसके पीछे कारण वे स्थानीय मौसम को उसकी खेती के अनुकूल नहीं होना बताते हैं. महत्वपूर्ण बात यह कि यह जमीन उनके गोतिया की जमीन है और उनके इस प्रयोग से उनके साथ गोतिया के दूसरे लोगों को भी लाभ हो रहा है. भीम इन फलों के बगीचे की खाली जमीन का भी भरपूर उपयोग करते हैं. इसके लिए वे पेड़ों के नीचे हल्दी, ईख, बैगन, नेनुआ, टमाटर, भिंडी व हरी मिर्च के पौधे लगाते हैं. इससे भी उनको अच्छी-खासी आय प्राप्त होती है.
लिखी सफलता की इबादत
भीम महतो सब्जी व फल का व्यवसाय कर प्रतिमाह 10 से 15 हजार रुपये की आमदनी अजिर्त कर रहे हैं. साथ ही खेती से 20 मजदूरों की रोजी-रोटी भी चल रही है. ठेका मजदूरी की तुलना में आत्मनिर्भरता देने वाला यह पेशा उनको व उनके परिवार को कहीं अधिक रास आ रहा है. तभी तो उनके पुत्र पंकज कुमार महतो व सुदेश महतो रांची स्थित संत जेवियर्स कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं. यह इसलिए संभव हुआ, क्योंकि अब उन्हें कोई आर्थिक दिक्कत नहीं है. वहीं छोटे पुत्र मनोज महतो टाटा कंपनी में माइनिंग का प्रशिक्षण ले रहे हैं. पुत्री बबीता को पढ़ा लिखा कर इंजीनियर से शादी करायी.
रिश्तेदार के घर खेती देख हुए प्रभावित
श्री महतो ने बताया कि सात वर्ष पूर्व पश्चिम बंगाल अपने एक रिश्तेदार के घर शादी में गये थे. वे कहते हैं : वहां की खेती देख कर उनके मन में खेती करने का ख्याल आया. घर आकर अपने मिशन में लग गया और मुङो सफलता मिली. उन्होंने बताया कि बेरोजगारों को रोजगार सृजन के लिए टीएसआरडीएस से बात की है. वर्ष 2015-16 में शेष बंजर जमीन पर फल व पत्तेदार सब्जियों की खेती के अलावा पॉल्ट्री फार्म खोलने की योजना है. अपनी कामयाबी से श्री महतो आज काफी खुश हैं. हाल में उन्होंने बगल के पांच-छह एकड़ भूमि में अरहर की खेती शुरू की है. वे मछली पालन का भी कार्य करते हैं. भविष्य में गौ पालन की भी सोच वे रखते हैं. इसके लिए वे सरकारी मदद की उम्मीद लगाये हैं. वे चाहते हैं कि सरकारी योजनाओं के तहत गौ पालन का कार्य शुरू किया जाये. कई लोग उनके बाग में घूमने और उनसे खेती सीखने भी आते हैं.
पुरस्कृत हो चुके हैं भीम
वर्ष 2010 में 50 किलो का कोहड़ा व लाल अमरूद की खेती के लिए धनबाद में आयोजित कृषि मेले में तत्कालीन कृषि मंत्री मथुरा प्रसाद महतो ने प्रशस्ति पत्र देकर उन्हें पुरस्कृत किया था. 50 किलो का कोहड़ा तैयार उपजाना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है. उनके फलों व सब्जियों को पास में ही बाजार मिल जाता है. उन्होंने अपने बगीचे में दशहरी आम के पेड़ ही प्रमुखता से लगाये हैं, जिसकी काफी मांग स्थानीय स्तर पर रहती है.
उनकी मेहनत सोसाइटी का सहयोग
टीएसआरडीएस हेड केशव रंजन का कहना है कि श्री महतो की मेहनत व सोसाइटी के सहयोग से बंजर भूमि पर हरियाली आयी है. यह प्रशंसनीय है. सोसाइटी की ओर से सिंचाई के लिए पंप हाउस व ड्रेन बनाये गये हैं और सात एकड़ बंजर जमीन को विकसित किया गया है. इससे कई किसान लाभान्वित होंगे.
दूसरे किसानों के लिए प्रेरक बने
भीम महतो की सफलता की कहानी दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा का स्नेत बन गयी है. अब वे लोगों को भी इस तरह की खेती के लिए प्रेरित करते हैं.