
बदायूं में दो लड़कियों से बलात्कार और हत्या की जांच कर रही सीबीआई ने दोनों के शव क़ब्र से निकालकर दोबारा पोस्टमॉर्टम कराने का फ़ैसला किया है.
इसी साल मार्च में दो बच्चियों के शव एक पेड़ से लटके पाए जाने के बाद पुलिस ने दो पुलिसकर्मियों समेत पांच लोगों को गिरफ़्तार किया था.
पीड़िता के परिवार के मुताबिक़ अभियुक्त और पुलिस वाले एक ही जाति के थे, इसलिए पुलिस ने अभियुक्तों की ही मदद की.
महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर काम करने वाली लखनऊ की संस्था ‘एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल रिफॉर्म्स’ ने सीबीआई की जांच पर संदेह जताया है.
उनके मुताबिक, "परिवार वालों की मांग पर ही जांच सीबीआई को सौंपी गई, लेकिन जांच की दिशा उलझाने और परेशान करने वाली रही है."
दूसरे पोस्टमॉर्टम से पहले उठे सवालों की बीबीसी ने पड़ताल की.
परिवार वालों का लाई डिटेक्टर टेस्ट क्यों?
सीबीआई प्रवक्ता कंचन प्रसाद ने बीबीसी से कहा, ‘मामले की तह में जाने के लिए कई बार इस टेस्ट का इस्तेमाल करना पड़ता है. ये पीड़िता के परिवार और अभियुक्त दोनों पर किया गया.’
सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले के मुताबिक ‘लाई-डिटेक्टर टेस्ट’ अमानवीय तरीका है.
यह टेस्ट उस व्यक्ति की सहमति से भी किया जाए तो भी इसके निष्कर्ष सबूत के तौर पर पेश नहीं किए जा सकते.
पीड़िता के पिता कहते हैं, ‘हम पर ग़लत बयान देने का आरोप झूठा है और इसके लिए हम झूठ पकड़ने वाले हर टेस्ट से गुज़रने को तैयार हैं.’
पहले पोस्टमॉर्टम में क्या कमी?
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, पहला पोस्टमॉर्टम सही नहीं था क्योंकि वो रात में किया गया और उसे करने वाले डॉक्टरों में से एक ऐसी जांच पहली बार कर रही थीं.
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है और महज़ ऐसे ‘संकेतों’ की चर्चा है.
सीबीआई प्रवक्ता कंचन प्रसाद ने कहा, ‘मेडिकल बोर्ड पहले पोस्टमॉर्टम से संतुष्ट नहीं है, इसलिए हम दूसरा करा रहे हैं.’
दिल्ली के एम्स में फ़ॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. सुधीर गुप्ता ने बताया कि पोस्टमॉर्टम दिन के किसी भी व़क्त किया जा सकता है, बशर्तें उचित रोशनी हो.
उन्होंने कहा, ‘पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में डॉक्टर शरीर और चोटों का मुआयना कर सिर्फ़ यौन हिंसा के संकेत की पुष्टि कर सकते हैं, ‘बलात्कार’ साबित करना जांच एजेंसियों का काम है.’
शव निकालने के लिए परिवार को जानकारी क्यों नहीं दी?

सीबीआई के मुताबिक इस मामले में क़ब्र से शव निकालने के लिए परिवार की सहमति की ज़रूरत नहीं है.
सीबीआई प्रवक्ता कंचन प्रसाद ने कहा, ‘हमें अदालत और कुछ आधिकारिक अनुमति चाहिए जो हम लेने की प्रक्रिया में हैं.’
हालांकि अदालत सीबीआई को परिवार की सहमति लेने का निर्देश दे सकती है.
मृतक बच्चियों के पिता के मुताबिक उन्हें शव निकालने की जानकारी मीडिया और स्वयंसेवी संगठनों से मिली.
उन्होंने कहा, ‘हमें न बताया न कुछ पूछा, मैं तो यही कहूंगा कि अब क्यों कर रहे हैं, जो तब नहीं ठीक से किया तो अब क्या कर लेंगे.’
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