<figure> <img alt="तमिल" src="https://c.files.bbci.co.uk/13DD6/production/_107566318_img_5361.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>नाम तो है ‘सीलोन कॉलोनी’ लेकिन इसका श्रीलंका से सिर्फ़ इतना ही नाता है कि यहाँ के रहने वाले तमिल भाषी लोगों के पूर्वज दशकों पहले यहाँ आकर बसे थे. </p><p>बात दक्षिण दिल्ली के मदनगीर की हो रही है, जो अपराध के लिए कुख्यात रहा है. </p><p>आजकल यहाँ की तंग गलियों से रह रहकर रोने की आवाज़ें ही आतीं हैं. </p><p>साल 2019 के जनवरी की 12 तारीख़ को तमिलनाडु के एर्नाकुलम ज़िले के समुद्री तट से एक जहाज़ पर 243 लोग सवार हुए थे, जो न्यूज़ीलैंड के लिए रवाना तो हुए लेकिन वहाँ कभी पहुंचे ही नहीं, आज तक इनका कोई अता पता नहीं है. </p><p>पानी का ये जहाज़ कहाँ गया, किसी को नहीं पता. जहाज़ में सवार अपने लोगों के बारे में भी कोई जानकारी ना होने के चलते सीलोन कॉलोनी में मातम का माहौल है. सिर्फ़ इसी कॉलोनी से 164 लोग इस पानी के जहाज़ पर सवार हुए थे.</p><p>लेकिन 10 खुशकिस्मत भी रहे जिन्हें उस जहाज़ पर जगह नहीं मिली और वो पीछे रह गए. इन्हीं में से एक हैं प्रभु. लेकिन प्रभु का पूरा परिवार उस जहाज़ पर सवार था. </p> <ul> <li><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/southasia/2010/08/100813_canada_srilankan_vv?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कनाडा पहुँचे श्रीलंका के शरणार्थी</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-45101820?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">तस्वीरों में: शरणार्थी कैंप में ऐसी है ज़िंदगी </a></li> </ul><figure> <img alt="प्रभु" src="https://c.files.bbci.co.uk/093E/production/_107566320_prabhu.png" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>अपने परिवार में प्रभु अकेले बचे हैं.</figcaption> </figure><h1>परिवार बिछड़ा, जेल भी गए</h1><p>बीबीसी से उन्होंने बताया कि उनके मोहल्ले के सभी 164 लोगों को जहाज़ पर सवार होने से पहले केरल के एर्नाकुलम ज़िले के चेरई बीच के पास किसी होटल में रखा गया था. </p><p>देवेन्द्र कुमार की त्रासदी भी प्रभु जैसी ही है. </p><p>प्रभु भी जहाज़ पर सवार होने से पीछे छूट गए. कुछ ही दिनों में उन्हें एर्नाकुलम की पुलिस ने गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया. तीन महीनों तक जेल में रहने के बाद वो वापस सीलोन कॉलोनी लौट कर आए.</p><p>खुद को वो अब पहले से भी ज़्यादा बेबस महसूस करते हैं क्योंकि अब उनके घर में उनके अलावा कोई नहीं बचा है. जहाज़ में पत्नी और बच्चे सवार थे.</p><p>वो कहते हैं, "पुलिस मुझे एजेंट बता रही है. मेरे बच्चे मेरी पत्नी सब उसी जहाज़ पर सवार हैं. बड़ी मुश्किल से ज़मानत मिली है. कोई मदद करने वाला नहीं है."</p><figure> <img alt="कनकालिंगम" src="https://c.files.bbci.co.uk/575E/production/_107566322_kanakalingam-1.png" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>कनकालिंगम के परिवार के 47 लोग उस जहाज पर सवार थे.</figcaption> </figure><p>कनकालिंगम की उम्र अब 70 हो जाएगी. इस पूरे मोहल्ले में सिर्फ़ वो ही अकेले व्यक्ति हैं जिनके परिवार के कुल मिलाकर 47 लोग उस जहाज़ पर सवार थे. </p><p>आज सिर्फ़ कनकालिंगम और उनकी पत्नी ही घर में बचे हैं. जाने वालों में उनके चार बेटे, बहुएं, पोते और भाई का परिवार भी शामिल है.</p><p>कनकालिंगम का कहना है कि उन्होंने विदेश मंत्रालय जाकर विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन से भी मुलाक़ात की है. </p><p>इस बीच, विदेश मंत्रालय ने मामले को लेकर एक बयान भी जारी किया है. </p><p>विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार का कहना है कि जिस जहाज़ पर सवार होकर ये लोग न्यूज़ीलैंड जा रहे थे उसका नाम देव माथा-2 है. </p><figure> <img alt="तमिल" src="https://c.files.bbci.co.uk/A4C0/production/_107567124_tamil.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>रिफ़्यूज़ी </h1><p>रवीश कुमार का कहना है, "भारत, प्रशांत महासागर के आस पास के सभी देशों से संपर्क में है. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड से भी संपर्क में है. लेकिन अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है." </p><p>वो कहते हैं कि जब लोगों को लेकर जहाज़ केरल के तट से रवाना हुआ तो राज्य सरकार ने केरल की सरकार को अलर्ट भेजा. तभी से उनका मंत्रालय सक्रिय है.</p><p>सुन्दर लिंगम भी मोहल्ले में पान की दुकान चलाते हैं. वो बताते हैं कि इससे पहले भी सीलोन कॉलोनी से लोग ऑस्ट्रेलिया गए भी और अब वो लोग अच्छी तरह वहां रह रहे हैं. </p><p>"इनमें वहां जाकर कोई डॉक्टर बन गया, कोई इंजीनियर तो कोई गायक."</p><p>कमाल की बात ये है कि ये लोग जब भारत से गए, उस समय किसी के पास न तो पासपोर्ट था और ना ही वीज़ा. ये सब लोग उसी तरह केरल से एक एक करके पानी के जहाज़ पर सवार होकर गए और उन्हें वहाँ रिफ्यूज़ी का दर्ज़ा भी मिला.</p><figure> <img alt="तमिल" src="https://c.files.bbci.co.uk/119F0/production/_107567127_img_5392.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>ऑस्ट्रेलिया ने जिन लोगों को रफ्यूज़ी मानने से इनकार कर दिया वो लोग वापस मदनगीर लौट आए.</p><p>कॉलोनी के ही केवनराज मानते हैं कि इस बार लोग झांसे में आ गए. क्योंकि वहां पर रवीन्द्र नाम का आदमी सबसे पहले आया और रहने लगा. वो कहते हैं कि बेहतर ज़िन्दगी और पैसों का उसने लोगों को लालच दिया और लोग उस लालच में फंसते चले गए. </p><p>अब इस कॉलोनी को इंतज़ार है अपने लोगों का. वो हर मोबाइल की घंटी पर चौंक जाते हैं. </p><p>उनके लिए उम्मीद और नाउम्मीदी की ये जंग कब ख़त्म होगी इसका किसी को अंदाज़ा नहीं है. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप 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परिजन पूछ रहे, कहां गए लापता जहाज़ के वो 164 लोग
<figure> <img alt="तमिल" src="https://c.files.bbci.co.uk/13DD6/production/_107566318_img_5361.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>नाम तो है ‘सीलोन कॉलोनी’ लेकिन इसका श्रीलंका से सिर्फ़ इतना ही नाता है कि यहाँ के रहने वाले तमिल भाषी लोगों के पूर्वज दशकों पहले यहाँ आकर बसे थे. </p><p>बात दक्षिण दिल्ली के मदनगीर की हो रही है, जो अपराध के लिए कुख्यात रहा है. </p><p>आजकल […]
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