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अपराधी दबोचने पुलिस वाहन नहीं जायेंगे राज्य से बाहर

आसनसोल: आर्थिक संकट के नाम पर पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक के जारी निर्देश के कारण राज्य के आसनसोल जैसे सीमावर्त्ती क्षेत्रों में अपराध नियंत्रण की दिशा में काफी परेशानी हो सकती है. निर्देश में साफ कहा गया है कि अन्य राज्यों में जाने के लिए विभागीय वाहनों का उपयोग नहीं किया जायेगा. आवश्यकता पड़ने […]

आसनसोल: आर्थिक संकट के नाम पर पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक के जारी निर्देश के कारण राज्य के आसनसोल जैसे सीमावर्त्ती क्षेत्रों में अपराध नियंत्रण की दिशा में काफी परेशानी हो सकती है. निर्देश में साफ कहा गया है कि अन्य राज्यों में जाने के लिए विभागीय वाहनों का उपयोग नहीं किया जायेगा. आवश्यकता पड़ने पर पुलिस को अनुमति लेकर निजी वाहनों का उपयोग करना होगा तथा गिरफ्तार अपराधियों को रेल मार्ग से लाना होगा. इसके भाड़े का भुगतान पुलिस मुख्यालय करेगा.

क्या थी परम्परा
विभागीय सूत्रों के अनुसार अपराधियों की तलाश या गिरफ्तारी के लिए अन्य राज्यों में जाने के लिए संबंधित पुलिस अधिकारियों को वरीय अधिकारियों से अनुमति लेनी पड़ती थी. इसके बाद वे उस राज्य में जाने से पहले पुलिस वाहनों में पेट्रोल पंप से स्लीप के आधार पर डीजल ले लेते थे. बाद में इसका भुगतान राज्य पुलिस मुख्यालय कर देता था . इसके कारण सीमावर्त्ती पुलिस को काफी सुविधा होती थी. आमतौर पर अपराध करने के बाद अपराधी अन्य राज्य में जाकर शरण ले लेते हैं. उनकी रेकिंग कराने, उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस को संबंधित राज्यों में अक्सरहां जाना पड़ता है. पहले के नियमानुसार पुलिस को इस कार्य में काफी सुविधा होती थी. सूचना देकर भी वे आसानी से अपराधियों का पीछा कर लेते थे.

क्या है नये आदेश में
पुलिस महानिदेशक के निर्देश में कहा गया है कि विभाग के पास आर्थिक संकट है. इसलिए अन्य राज्यों में अपराधियों का पता लगा ने या उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस वाहनों का उपयोग नहीं होगा. पेट्रोल पंपों से डीजल लेने पर रोक लगा दी गयी है. उनका तर्क है कि अन्य राज्यों में अपराधियों का पता लगाने में इन वाहनों के उपयोग से कोई फायदा नहीं होता, बल्कि परेशानी होती है. इस अतिरिक्त राशि का उपयोग अन्य जिलों में गश्ती या अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए किया जा सकता है. अन्य राज्यों में छिपे अपराधियों को पता लगाने का दायित्व संबंधित राज्य की पुलिस को दिया गया है. जांच अधिकारी को उस राज्य की पुलिस को सूचना दे देनी होगी. यदि संबंधित राज्य पुलिस अपराधी को पक ड़ लेती है तो उसे रेल मार्ग से राज्य में लाना है.

सीमावर्त्ती क्षेत्रों की परेशानी
सीमावर्त्ती क्षेत्रों में कार्य करनेवाले पुलिस अधिकारियों को इस आदेश से काफी परेशानी हो सकती है. अधिकारियों का कहना है कि अन्य राज्य की पुलिस यहां अपराध करनेवाले अपराधियों को क्यों पक ड़ेगी? हर जिला पुलिस की अपनी परेशानी होती है. यदि पुलिस अधिकारी अन्य राज्यों में जाकर भाड़ा पर वाहन लेंगे तो कोई भी निजी वाहन पुलिस छापेमारी में शामिल नहीं होगा. इसके साथ ही अपराधियों तक सूचना लीक होने की संभावना बनी रहेगी. कई बार ऐसा भी होता है कि दुर्दात अपराधी को बिना स्थानीय पुलिस को गिरफ्तार कर लाना पड़ता है. लेकिन अपना वाहन न होने पर पुलिस इन तत्वों को दबोच नहीं पायेगी. इसकी जानकारी मिलने के बाद अपराधियों की सक्रियता सीमावर्त्ती क्षेत्रों में बढ़ जायेगी तथा अपराध करने के बाद वे आसानी से पड़ोसी राज्यों में जाकर शरण ले लेंगे.

बड़े अपराधों में बाहरी अपराधी
जानकार सूत्रों का दावा है कि आसनसोल में होनेवाले अधिसंख्य बड़े अपराधों में अन्य राज्यों के अपराधी शामिल रहे हैं. पिछले दो दशक से हो रहे अधिसंख्य अपहरण को बाहरी अपराधियों ने अंजाम दिया है. राम लखन यादव सहित तिहरे हत्याकांड से लेकर बैंक डकैतियों तक यहां तक कि बाइक स्नैचर गिरोह में भी बाहरी अपराधियों की संलिप्तता सामने आती रही है. सीवावर्त्ती राज्यों में भी अक्सरहां छापेमारी करनी पड़ती है.

एडीसीपी (वेस्ट) का दावा
आसनसोल के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (वेस्ट) सुब्रतो गांगुली ने कहा कि राज्य मुख्यालय से सर्कुलर मिला है. पहले भी अन्य राज्यों में जाने के लिए संयुक्त या उप सचिव से अनुमति लेनी पड़ती थी. आवश्यक होने पर वाहनों का उपयोग करना ही होगा. अन्यथा अपराधियों के पलायन की आशंका रहेगी. लेकिन सामान्य मामलों में रेलवे वारंट का उपयोग करना होगा. निजी वाहन का उपयोग करने पर राशि का भुगतान होगा.

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