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क्या तमिलनाडु के लोग हिंदी से नफ़रत करते हैं?

<figure> <img alt="तमिल, हिंदी" src="https://c.files.bbci.co.uk/CB23/production/_107230025_ef9e756d-b2aa-496c-bb27-9270afa96391.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>केंद्र ने तमिलनाडु में राजनीतिक दलों और जनता पार्टियों के कड़े विरोध के बाद नई शैक्षिक नीति के मसौदे में संशोधन किया है. </p><p>मसौदे में कहा गया था कि ग़ैर-हिंदी भाषी राज्यों में माध्यमिक शिक्षा (कक्षा आठ) के छात्रों के लिए हिंदी पढ़ना अनिवार्य होगा. […]

<figure> <img alt="तमिल, हिंदी" src="https://c.files.bbci.co.uk/CB23/production/_107230025_ef9e756d-b2aa-496c-bb27-9270afa96391.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>केंद्र ने तमिलनाडु में राजनीतिक दलों और जनता पार्टियों के कड़े विरोध के बाद नई शैक्षिक नीति के मसौदे में संशोधन किया है. </p><p>मसौदे में कहा गया था कि ग़ैर-हिंदी भाषी राज्यों में माध्यमिक शिक्षा (कक्षा आठ) के छात्रों के लिए हिंदी पढ़ना अनिवार्य होगा. यानी सरकारी स्कूलों में तीन भाषाओं (तमिल, हिंदी, अंग्रेजी) लेकिन अब संशोधन के बाद जिन राज्यों में हिंदी भाषा नहीं बोली जाती है वहां हिंदी तीसरी भाषा के रूप में एक विकल्प होगा. </p><p>तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टियों का कहना है कि हिंदीं को तमिनाडु पर थोपा ना जाए. राज्य में हिंदी प्रचार नामक संस्था उन्हें हिंदी पढ़ाती है जो इसके इच्छुक हैं. </p><p>हिंदी प्रचार सभा एक ऐसी संस्था है जहां उम्र की सीमा के बिना कोई भी खुद को पंजीकृत करा के हिंदी सीख सकता है, संस्था में लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है.</p> <ul> <li><strong>ये भी पढ़ें- </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48463369?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’दक्षिण भारत में लोग अच्छी तरह हिंदी सीख रहे हैं'</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48508984?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">भाषाओं की उलझन सियासत ने पैदा की है वो क्या सुलझाएगी?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48480429?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कॉलेजों में कैसे और क्यों होता है दलित-आदिवासी छात्रों से भेदभाव</a></li> </ul><p>हिंदी प्रचार सभा किसी भी शख़्स को आठ परीक्षाओं के बाद हिंदी पंडित की उपाधि से सम्मानित करती है. </p><p>साल 1918 में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा का गठन महात्मा गांधी, एनी बेसेंट जैसे नेताओं ने किया था ताकि दक्षिण के राज्यों में हिंदी का प्रचार-प्रसार किया जा सके. अब ये संस्था केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में फैल चुके हैं. </p><h1>रोजगार की संभावना </h1><p>अलमेलु सोक्कलिंगम हर साल लगभग 20 छात्रों को कोचिंग देते हैं. उन्होंने बीबीसी तमिल को बताया, ”वे अपने बच्चों को हिंदी सीखने के लिए भेजते हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि हिंदी उनके रोजगार की संभावना बढ़ा सकती है.” </p><p>अलमेलु कहते हैं, ”कई माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे तमिल और अंग्रेजी के अलावा हिंदी सीखें. उन्हें लगता है कि अगर छात्रों को अन्य राज्यों में रोजगार का अवसर मिलता है, तो इससे उन्हें मदद मिलेगी. वे यह भी सोचते हैं कि उनके बच्चे उन लोगों से हिंदी बोल सकते हैं जो अन्य राज्यों में अंग्रेजी नहीं समझ सकते हैं.” </p><p>सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली अकिला के माता-पिता भी उन्हें हिंदी सीखने भेजते हैं. </p><p>अकिला की मां विद्या महेश कहती हैं, ”मेरी बेटी अब ‘मध्यमा’ की परीक्षा देने जा रही है. हिंदी सीखने के क्रम में ये उसकी दूसरी परीक्षा है. हिंदी सीखने के बाद, अगर वह फ्रेंच और जर्मन सीखना चाहती है, तो हम उसे वो भी सिखाएंगे. भाषा सीखना खेल और पेंटिंग की तरह एक अच्छा शौक है. अगर उन्हें भविष्य में उत्तर भारत में रोजगार मिलता है, तो यह उनके लिए मददगार होगा.” </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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