।। दक्षा वैदकर ।।
कलिग्स के साथ हमारे रिश्ते कैसे हैं, इसका हमारे काम पर बहुत असर पड़ता है. बेहतर है कि हम संबंधों पर अधिक ध्यान दें. कलिग्स से बेहतर संबंध बनाने के लिए पहले हमें उनके व्यक्तित्व को समझना होगा. इस बात पर रिसर्च करनी होगी कि किस कलिग का स्वभाव कैसा है. यह इसलिए जरूरी है, क्योंकि हम हर कलिग के साथ एक जैसा व्यवहार नहीं कर सकते.
कोई कलिग शांत स्वभाव का हो सकता है, तो कोई चुलबुला. किसी को गॉसिप पसंद होगी, तो किसी को बेतुकी बातों से नफरत होगी. कोई इतना संवेदनशील होगा कि मजाक को भी दिल से लगा लेगा और कोई इतना कॉन्फिडेंट होगा कि हर चीज का पलट कर जवाब देगा. आपको हर तरह के कलिग को हैंडल करना सीखना होगा.
पिछले दिनों अरुण अपने कलिग्स के साथ एक अन्य कलिग के घर पार्टी में गया. वहां हंसी-मजाक का माहौल था. सभी एक-दूसरे की खिंचाई कर रहे थे. कोई किसी के कपड़ों पर कमेंट करता, तो कोई जबरदस्ती किसी को डांस करने को कहता. सभी हंस-खेल रहे थे. बात करते-करते जब अरुण किसी चेयर पर बैठने वाला था, तो एक कलिग ने चेयर खींच ली और अरुण धड़ाम से गिर पड़ा. पार्टी में मौजूद सभी लोग हंसने लगे. अरुण सकपका गया. वह तुरंत उठा और ड्रेस झाड़ते हुए हंसने लगे. उस वक्त तो वह नॉर्मल लग रहा था, लेकिन अगले दिन से उसने उस साथी से बात करना बंद कर दिया, जिसने चेयर खींची थी. साथ ही उन कलिग्स से भी दूरी बना कर चलने लगा, जो उस पर उस वक्त हंसे थे.
इस घटना के बाद से दोनों ही दोस्तों के काम में गिरावट देखी गयी. दोनों चिड़चिड़े होने लगे. एक-दूसरे को इग्नोर करने लगे. इससे ऑफिस का माहौल भी नकारात्मक होता गया. आखिरकार सभी दोस्तों ने मिल कर अरुण को मनाया. उसे सॉरी कहा. साथ ही, यह वादा भी किया कि इस तरह का मजाक वे दोबारा नहीं करेंगे. अब उस ऑफिस के लोग इस बात पर बहुत ध्यान देते हैं कि किस व्यक्ति के साथ किस तरह का मजाक नहीं करना है.
बात पते की..
– किसी के साथ मजाक करने से पहले इस बात का पता लगा लें कि वह इंसान कितना संवेदनशील है. वह मजाक को कहीं सीरियसली न ले ले.
– कलिग के व्यवहार, पसंद-नापसंद को समङों और उसके अनुसार ही उनसे बात करें. खुद को ऑल राउंडर बनायें, ताकि आप सभी में घुल-मिल सकें