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डीजल पंप से किसानों को सस्ता पड़ेगा सोलर पंप : पशुपति

पशुपति गोपालन सोलर कंपनी सन एडिशन के एशिया-प्रशांत क्षेत्र के अध्यक्ष हैं. वे मानते हैं कि भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य काफी उज्जवल है और आनेवाले दिनों में भारत सोलर ऊर्जा का दुनिया में बड़ा बाजार होगा. वे डीजल पर मिलने वाली भारी सब्सिडी को सौर ऊर्जा में शिफ्ट करने के पैरोकार हैं. वे […]

पशुपति गोपालन सोलर कंपनी सन एडिशन के एशिया-प्रशांत क्षेत्र के अध्यक्ष हैं. वे मानते हैं कि भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य काफी उज्जवल है और आनेवाले दिनों में भारत सोलर ऊर्जा का दुनिया में बड़ा बाजार होगा. वे डीजल पर मिलने वाली भारी सब्सिडी को सौर ऊर्जा में शिफ्ट करने के पैरोकार हैं. वे यह भी मानते हैं कि सौर ऊर्जा के लिए मिलने वाली सब्सिडी को और प्रवाहमान बनाने की जरूरत है, ताकि लोग इस तरह के प्रोजेक्ट में रुचि लें. गोपालन का कहना है कि सोलर पंप का उपयोग बढ़ने पर देश के किसानों को जबरदस्त लाभ होगा. प्रस्तुत है वैकल्पिक ऊर्जा स्नेतों पर काम करने वाली वेबसाइट pancabuta.com से साभार लिये गए साक्षात्कार का अनूदित अंश :

आपने गुजरात में सोलर ऊर्जा नीति के विकास में योगदान दिया. साथ ही प्रथम व द्वितीय चरण के जवाहर लाल नेहरू सोलर मिशन व अन्य स्कीमों से भी पिछले तीन सालों से जुड़े हैं. आपको भारत में क्या सीख मिली है और यह कैसे वैश्विक अनुभव से अलग है?

हमें यहां से सबसे बड़ी सीख मिली है कि भारत में परियोजनाओं को पूरा करने के लिए भूमि अधिग्रहण व श्रम प्राप्त करना काफी कठिन है. यह भारत में दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में एक मुद्दा है. यह स्थिति दूसरे प्रोजेक्ट में भी है. रोड/पॉवर प्लांट लगाने जैसी परियोजनाओं को अमल में लाने में चुनौती उत्पन्न होती है. नन रिसोर्स प्राजेक्ट को सुरक्षित करना एक चुनौती है. भू स्वामी कोई खतरा नहीं लेना चाहते हैं. इस तरह की चुनौतियां हमेशा बेहतर करने के लिए प्रेरित करती हैं और हमलोग खुश हैं कि भारतीय अनुभवों ने हमलोगों को मजबूत बनाया है. आने वाले समय में हम इस सेक्टर में अहम प्रगति देखेंगे.

आपकी कंपनी देश की पहली कंपनी है, जिसने एक अग्रणी बहुराष्ट्रीय बैंक के साथ पॉवर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) किया है. आप इसके बारे में बतायें. क्या आप पीपीए की विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका देखते हैं?

निजी क्षेत्र में पीपीए भारत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा. सोलर ऊर्जा का इस रूप में बेहतर उपयोग होगा. बड़े निगम चाहते हैं कि उनकी पूंजी उनके कोर बिजनेस में बनी रहे. इसके लिए पीपीए मॉडल एक आकर्षक योजना है. पीपीए बेस्ड प्रोजेक्ट की मांग बढ़ेगी. हमारा अनुभव काफी अच्छा रहा है. 100 किलोवॉट के प्लांट को हमलोगों ने स्टैंडर्ड चार्टेड बैंक में प्रयोग के तौर पर चेन्नई में लगाया है. इस काम ने हमारा भरोसा बढ़ाया है और अब हमारी यह प्राथमिकता है कि हम बड़े कॉरपोरेट हाउस को भी इसके लिए प्रस्ताव दें.

नेशनल सोलर मिशन का फेज – 2 शुरू हो चुका है और राज्यों द्वारा इसके लिए काम भी किया जा रहा है. ऐसे में इसमें केंद्र व राज्य के स्तर पर कौन-सी नीतिगत चीजें होनी चाहिए?

नेशनल सोलर मिशन के फेज – 2 में पूंजीगत व्यय और दिये जाने वाले अनुदान या सहायता को लिंक्ड करना होगा. जो सहायता या प्रोत्साहन राशि दी जाती है उसे प्लांट के प्रदर्शन से लिंक्ड करना होगा. यानी प्लांट की बिजली उत्पादन की क्षमता पर. साथ ही आकर्षक ढंग से दिये जाने वाले प्रोत्साहन व अनुदान को धीरे-धीरे कम करना होगा. उस हद तक, जिससे पूंजीगत लागत धीरे-धीरे न्यूनतम स्तर तक चली जाये.

निजी निर्माताओं की रुचि सोलर वॉटर प्लांट में है. सन एडिशन इसे कैसे देखता है. कृपया आप विस्तार से इस बारे में बतायें कि इस क्षेत्र को आप कैसे देखते हैं?

भारत में 60 प्रतिशत आबादी कृषि पर आजीविका के लिए निर्भर है. वहां मात्र 20 से 25 प्रतिशत किसान ही सिंचाई पंप का उपयोग कर रहे हैं. भारत हर साल 30 हजार रुपये से अधिक बिजली सब्सिडी में खर्च करता है. यह भारत के कमजोर बैलेंस सीट का भी एक प्रमुख कारण है. अगर रणनीतिक कार्यक्रम के तहत सोलर वॉटर पंप में यह निवेश किया जाये तो राज्य की ऊर्जा उपयोगिता उसकी वित्तीय स्थिति में सुधार कर सकता है. साथ ही पूंजीगत व्यय को इन्फ्रास्ट्रर के लिए फोकस करना होगा. भारत में वर्तमान में 70 लाख किसान डीजल पंप का उपयोग करते हैं. सिंचाई के लिए सोलर पंप डीजल पंप से सस्ता है. इससे सालों भर किसानों के खेतों को पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है.

सन एडीशन इस बात को लेकर बहुत उत्साहित है कि उसे कम लागत वाली सोलर पंपिंग साल्यूशन तैयार कर कई राज्यों में लगाने का अवसर मिला है. हमलोगों ने राजस्थान में 200 पंप लगाया है.

आप रूफ टॉप प्रोजेक्ट(छत पर सोलर प्लेट लगाने) के बारे में बतायें. इसमें आप क्या बड़े चैलेंज देखते हैं. इस प्रोजेक्ट को तेजी से भारत में बढ़ाने में क्या चुनौतियां देखते हैं?

हमलोग दो मेगावाट का रूफ टॉप प्रोजेक्ट पूरे भारत में लगाते हैं. तीन मेगावाट के प्रोजेक्ट पर काम जारी है. वर्तमान में डीजल का उपयोग बड़े स्तर पर होता है. इन प्रोजेक्टों के लिए नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा से सब्सिडी मिलती है. इसके उपयोग को बढ़ा कर डीजल की खपत को महत्वपूर्ण स्तर तक कम किया जा सकता है. सोलर रूफ टॉप में मेरे हिसाब से दो चुनौती है. एक सब्सिडी को प्रवाहमान बनाना नेट मीटरिंग पॉलिसी बनाना.

नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रलय की ओर से मिलने वाली 30 प्रतिशत सब्सिडी के वितरण के मैकेनिज्म को सरल व प्रवाहयुक्त बनाना होगा. ताकि लोगों को इसका लाभ सहज ढंग से मिले. फिलहाल डीजल अनुदान का आर्थिक ढांचा अधिक अच्छा है. इसके सब्सिडी प्रवाह को आवासीय रूफटॉप इनर्जी व सोलर इनर्जी की तरफ मोड़ना होगा. रूफ टॉप व सोलर सिस्टम का प्रयोग भारत में तब तेजी से बढ़ेगा, जब लागत मूल्य कम करने की नीति को गतिशील बनाया जायेगा.

ग्राहक की तरफ से एक सवाल उठता है वे रूफ टॉप में क्यों रुचि लें. गैर कार्य दिवस में या जब लोड बहुत कम रहेगा सप्ताह के कुछ दिनों में तब क्या होगा. सोलर संयंत्र तभी ठीक से काम करेगा, जब हर राज्य में बेहतर नेट मीटरिंग पॉलिसी लायी जाये. इसके लिए गंभीरता पूर्वक प्रयास करना होगा.

आप अगले दो साल में सोलर ऊर्जा का भविष्य भारत में कैसा देखते हैं? सन एडीशन की अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की क्या रणनीति है?

हमारा जोर सोलर टैरिफ को स्थिर बनाते हुए इसे धीरे-धीरे घटाने पर है. आने वाले सालों में भारत सोलर ऊर्जा का दुनिया में एक सबसे बड़ा बाजार बनेगा. यह सोलर ऊर्जा के विभिन्न क्षेत्रों में अहम भूमिका अदा करेगा. हमलोगों को भारत का बेस्ट सोलर पॉवर प्रोड्यूसर का अवार्ड मिला है. हमलोग इस स्थिति को बनाये रखते हुए अपनी खुद की स्थिति मजबूत करने के लगे हैं और अपनी लीडरशिप को बनाये रखेंगे.

पशुपति गोपालन

अध्यक्ष, सन एडिशन

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