नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार गुरुवार को अपना पहला आम बजट पेश करेगी. उम्मीद है कि सरकार भारत की धीमी विकास दर को तेज़ करने के लिए कई कड़े फ़ैसले ले सकती है.
साल 2013-2014 के दौरान भारत की विकास दर 4.7 प्रतिशत रही. इससे एक साल पहले यह दर पाँच प्रतिशत से कम रही थी.
‘करदाताओं की ज़िंदगी आसान बनाए सरकार’
सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ‘महंगाई से त्रस्त’ जनता को ‘कड़वी गोली’ लेने की बात कहते रहे हैं.
कैसा होना चाहिए मोदी सरकार का बजट
इससे पहले मोदी सरकार जहां रेल किरायों में वृद्धि कर चुकी है, वहीं डीज़ल और पेट्रोल के दाम भी बढ़ाए जा चुके हैं.
बजट, किसान और ‘ग़रीबनवाज़’ मोदी
सरकार सरल कर नीति, विदेशी निवेश को प्रोत्साहन और बड़ी कारोबारी परियोजनाओं को त्वरित मंजूरी देने संबंधित फ़ैसले ले सकती है.
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार साल 2014-15 के दौरान आर्थिक विकास दर 5.4 से 5.9 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है लेकिन ख़राब मॉनसून के कारण यह दर 5.4 प्रतिशत रह सकती है.
पढ़ें, क्या था यूपीए सरकार का बजट
बजट में ये फ़ैसले लिए जा सकते हैं
- नई सरकार के आम बजट में बढ़ती मुद्रास्फिति पर नियंत्रण के लिए क़दम उठाए जा सकते हैं.
- आर्थिक सर्वेक्षण संकेत देता है कि सरकार नया सामान्य बिक्री कर नियम ला सकती है.
- पिछली सरकार ने राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.1 प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य तय किया था लेकिन इस बार इसका स्तर बढ़ सकता है.
- खाद्य पदार्थों और उर्वरकों पर दी जाने वाली छूट को कम किया जा सकता है.
- आयकर में छूट की सीमा बढ़ाई जा सकती है.
- वस्तु एवं सेवा कर में बदलाव लाया जा सकता है.
भारी बहुमत से चुनाव जीत कर सत्ता में आए नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान भारत की आर्थिक विकास को तेज़ करने और देश के लाखों बेरोजगारों के लिए रोजगार के अवसर तैयार करने का वादा किया था.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)