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‘हम यहां नाइट शिफ़्ट के लिए आए हैं’

<p>सूडानी फ़ोटोग्राफ़र ओला अलशेख़ ने सूडान की राजधानी खार्तूम में सेना मुख्यालय के बाहर प्रदर्शनकारियों की बढ़ती भीड़ को अपने कैमरे में क़ैद किया. </p><p>इस तस्वीर में महिला ने अपनी बांह पर लिखा जस्ट फॉल. प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति ओमर अल बशील और उनकी सरकार से इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं. </p><p>ये प्रदर्शन शनिवार को शुरु […]

<p>सूडानी फ़ोटोग्राफ़र ओला अलशेख़ ने सूडान की राजधानी खार्तूम में सेना मुख्यालय के बाहर प्रदर्शनकारियों की बढ़ती भीड़ को अपने कैमरे में क़ैद किया. </p><p>इस तस्वीर में महिला ने अपनी बांह पर लिखा जस्ट फॉल. प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति ओमर अल बशील और उनकी सरकार से इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं. </p><p>ये प्रदर्शन शनिवार को शुरु हुआ और प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि सेना मौजूदा सरकार से अपना समर्थन वापस ले ले. पास के एक पुल पर टंगे इस बैनर में लिखा है आज़ादी, शांति और इंसाफ़.</p><p>रविवार को मौजूद प्रदर्शनकारियों की भीड़ भी यही नारे लगा रही थी. आसमान छूती महंगाई के कारण गत दिसम्बर में पूरे सूडान में प्रदर्शन शुरू हो गए थे.</p><p>रविवार पूरी रात जब नारेबाज़ी चल रही थी, उसी दौरान लोगों ने एक दूसरे से अपने मोबाइल फ़ोन की फ्लैश लाइन ऑन करने के लिए कहा. </p><p>रात में भी यहां तापमान काफ़ी ऊंचा रहा फिर भी समाज के हर वर्ग के लोग प्रदर्शन में शामिल थे.</p><p>प्रदर्शनकारियों के लिए पानी आदि चीजें मुहैया कराने के लिए वॉलंटियर थे. भीड़ ने पानी और खाना मुहैया कराने के लिए इन वॉलंटियर के लिए भी नारे लगाए.</p><p>भीड़ के अलग अलग हिस्से में एक व्यक्ति खड़े होकर नारे लगाता जिसे भीड़ दुहराती. धरना स्थल शोर शराबे से भरा हुआ था.</p><p>सोमवार को भी धरनास्थल पर जाने वालों का तांता लगा रहा. इस रास्ते में ईंट पत्थर के अवरोधक लगाए गए थे ताकि राष्ट्रीय ख़ुफ़िया एजेंसी (एनआईएसएस) के जासूसों की गाड़ियां वहां न पहंच पाएं.</p><p>प्रदशनकारियों ने एनआईएसएस और मिलिशिया पर आरोप लगाया कि वे राष्ट्रपति के समर्थन में प्रदर्शन तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जासूसों और मिलिशिया के लोगों ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे और गोलियां चलाईं.</p><p>इस लड़की के हाथ में जो पोस्टर है उस पर लिखा है हम सब हामिद हैं. शनिवार को गोलीबारी के बीच प्रदर्शनकारियों को बचाने में हामिद नामक एक सिपाही घायल हो गया था. </p><p>यहां जुटे प्रदर्शनकारी केवल खार्तूम से ही नहीं आए थे. इस तस्वीर में मौजूद व्यक्ति के टीशर्ट पर लिखा है, प्रदर्शनकारी न्यू हलफ़ा से भी आए हुए हैं, जोकि यहां से 370 किलोमीटर दूर है. </p><p>पिछले कुछ महीने में दर्जनों प्रदर्शनकारी मारे गए हैं. ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि ये संख्या 50 से अधिक है. </p><p>महिला ने जो तस्वीर अपने हाथ में थाम रखी है, वो एक अध्यापक अहमद अल खीर का है और कथित तौर पर हिरासत में पीटे जाने से उनकी मौत हुई थी. </p><p>सोमवार तक प्रशासन ने खार्तूम से सैन्य मुख्यालय आने के सारे रास्ते बंद कर दिए, इसलिए लोग पास के एक पुल से आने लगे, जो खर्तूम और उत्तरी बहारी ज़िले को जोड़ता है. </p><p>लोग नारे लगा रहे, &quot;हम यहां नाइट शिफ़्ट के लिए आए हुए हैं.&quot;</p><p>प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जबतक उनकी मांगें नहीं मान ली जातीं वो डटे रहेंगे. ऊपर काले बैनर पर सेना को संबोधित करते हुए लिखा है, &quot;हम सड़क पर प्रदर्शन करने उतरे हैं और अब आपकी बारी है. #JustFall &quot;</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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