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एमनेस्टी : मृत्युदंड की सजा वैश्विक स्तर पर करीब एक दशक में निम्न स्तर पर

लंदन : मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बुधवार को कहा कि दुनिया भर में दी जाने वाली मौत की सजा की संख्या में पिछले साल करीब एक तिहाई कमी आयी है. यह पिछले एक दशक का सबसे निम्न स्तर है. हालांकि, कई देशों में यह संख्या बढ़ी भी है. इसे भी पढ़ें : जुर्माना से […]

लंदन : मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बुधवार को कहा कि दुनिया भर में दी जाने वाली मौत की सजा की संख्या में पिछले साल करीब एक तिहाई कमी आयी है. यह पिछले एक दशक का सबसे निम्न स्तर है. हालांकि, कई देशों में यह संख्या बढ़ी भी है.

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ईरान में मादक पदार्थ विरोधी नियम में बदलाव के बाद मृत्युदंड की सजा में 50 फीसदी कमी आयी है. ऐसी ही कमी इराक, पाकिस्तान, सोमालिया भी देखने को मिली है. वहीं बेलारूस, जापान, सिंगापुर, दक्षिणी सूडान और अमेरिका में यह संख्या बढ़ी है.

थाईलैंड ने पिछले एक दशक में पहली बार मृत्युदंड की सजा को वापस बहाल किया है और श्रीलंका ने भी ऐसा ही करने की चेतावनी दी है. एमनेस्टी इंटरनेशनल के महासचिव कुमी नायडू ने बताया वैश्विक स्तर पर मृत्युदंड की सजा में गिरावट से यह साबित होता है कि कई देशों ने ऐसा सोचना शुरू कर दिया है कि मौत की सजा किसी अपराध का जवाब नहीं है.

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पूरी दुनिया में मृत्युदंड की सजा 2017 में कम से कम 993 लोगों को दी गयी थी, जो पिछले साल घटकर 690 रह गयी. हालांकि, इस आंकड़े में चीन शामिल नहीं है. ऐसा माना जाता है कि पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मौत की सजा चीन में ही दी जाती है और इस संख्या को गोपनीय रखा जाता है. संगठन का अनुमान है कि यहां हर साल हजारों लोगों को मौत की सजा दी जाती है.

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