21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

एडमिरल कर्मबीर सिंह को नौसेना प्रमुख बनाने पर विवाद

<p>एडमिरल कर्मबीर सिंह को नौसेना प्रमुख बनाए जाने का मामला विवादों में घिर गया है. </p><p>दरअसल, जिस तरह से 2016 में मोदी सरकार ने वरिष्ठता की अनदेखी कर जनरल बिपिन रावत को सेना प्रमुख बनाया था उसी तरह से वाइस एडमिरल कर्मबीर सिंह को भी नौसेना प्रमुख बनाया गया है. </p><p>अगर मोदी सरकार वरिष्ठता के […]

<p>एडमिरल कर्मबीर सिंह को नौसेना प्रमुख बनाए जाने का मामला विवादों में घिर गया है. </p><p>दरअसल, जिस तरह से 2016 में मोदी सरकार ने वरिष्ठता की अनदेखी कर जनरल बिपिन रावत को सेना प्रमुख बनाया था उसी तरह से वाइस एडमिरल कर्मबीर सिंह को भी नौसेना प्रमुख बनाया गया है. </p><p>अगर मोदी सरकार वरिष्ठता के आधार पर नौसेना प्रमुख की नियुक्ति करती तो एडमिरल बिमल वर्मा नौसेना प्रमुख होते. 31 मई को एडमिरल कर्मबीर सिंह एडमिरल सुनील लांबा की जगह लेंगे. </p><p>नौसेना प्रमुख बनाए जाने में अपनी वरिष्ठता की अनदेखी करने को लेकर सोमवार को वाइस एडमिरल बिमल वर्मा ने इस फ़ैसले को आर्म्ड फ़ोर्सेज ट्राइब्यूनल में चुनौती दी. </p><p>बिमल वर्मा अभी अंडमान और निकोबार स्थित ट्रि-सर्विस कमांड के प्रमुख हैं और पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल निर्मल वर्मा के छोटे भाई हैं.</p><p>एडमिरल सुनील वर्मा रिटायर होने के बाद भारतीय नौसेना में सबसे वरिष्ठ वाइस एडमिरल बिमल वर्मा थे लेकिन मोदी सरकार ने 24वां नौसेना प्रमुख उन्हें नहीं चुना. सरकार का मानना है कि इस पद के लिए एडमिरल कर्मबीर सिंह ज़्यादा योग्य हैं. </p><p>एडमिरल कर्मबीर सिंह इस्टर्न नवल कमांड के प्रमुख हैं. एनडीए में ट्रेनिंग के बाद जुलाई 1980 में कर्मबीर सिंह को नौसेना में नियुक्ति मिली थी. </p><p>हालांकि भारत में सेना में शीर्ष पदों पर नियुक्ति को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है. साल 2012 में तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह के जन्म सर्टिफ़िकेट को लेकर भी काफ़ी विवाद हुआ था. </p><p>वो इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले गए लेकिन जब कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया तो उन्होंने केस वापस ले लिया.</p><p>अपना कार्यकाल समाप्त होने के बाद वो राजनीति में आ गए और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में मंत्री भी बने.</p><p>हाल ही में एक नहीं दो-दो जनरलों प्रवीण बख्शी और पीएम हरीज़ की वरिष्ठता को नज़रअंदाज़ कर जनरल बिपिन रावत को सेनाध्यक्ष बनाया गया.</p><p>ये सही है कि सिर्फ़ वरिष्ठता को ही पदोन्नति का आधार नहीं बनाया जा सकता और देश की ज़रूरतों के अनुसार किसी को जनरल बनाना सरकार का विशेषाधिकार है.</p><p>लेकिन इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इस तरह के चलन से जनरलों में राजनीतिज्ञों के बीच अपने दावों के लिए लॉबीइंग करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा जैसा कि कई राज्यों में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के साथ हुआ है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें