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10 ग़लतियां जो शर्मिंदगी का सबब बनीं

फ्रांस की राष्ट्रीय रेलवे कंपनी से प्लेटफॉर्म से कहीं ज्यादा चौड़ी ट्रेनों को बनाने का ऑर्डर देने की ऐसी चूक हुई जिसके लिए उन्हें शर्मसार होना पड़ा. इस ख़बर की पाठकों के बीच न सिर्फ चर्चा हुई बल्कि उन्हें अपनी भी ग़लतियां याद आई. शर्मिंदगी का सबब बनी इन गलतियों को कई पाठकों ने बेझिझक […]

फ्रांस की राष्ट्रीय रेलवे कंपनी से प्लेटफॉर्म से कहीं ज्यादा चौड़ी ट्रेनों को बनाने का ऑर्डर देने की ऐसी चूक हुई जिसके लिए उन्हें शर्मसार होना पड़ा.

इस ख़बर की पाठकों के बीच न सिर्फ चर्चा हुई बल्कि उन्हें अपनी भी ग़लतियां याद आई. शर्मिंदगी का सबब बनी इन गलतियों को कई पाठकों ने बेझिझक बीबीसी को लिख भेजा.

बीबीसी उनमें से 10 पाठकों के अनुभव यहां साझा कर रहा है. ये ऐसे अनुभव हैं जिनमें छोटी सी गलती के कारण बड़ा खामियाजा भी उठाना पड़ा.

इंगलैंड के वोकिंग में रहने वाले जॉन आर ने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि ये घटना तब की है जब वे ब्रिटेन में स्पोर्ट्सवियर की एक बड़ी कंपनी में एकाउंट असिस्टेंट थे.

जॉन आर बताते हैं, "कंपनी में काम करते हुए मैंने स्पोर्ट्सवियर के एक विदेशी आपूर्तिकर्ता को एक ही सैम्पल के लिए तीन हजार पाउंड की जगह तीन लाख पाउंड चुका दिए. अपनी ग़लती का पता चलते ही मैंने बॉस को जाकर सब कुछ बता दिया."

दूसरे पाठक हैं, ब्रिटेन के एडिनबर्ग निवासी पॉल बेलमोंट. वे बताते हैं कि ब्रिटिश समर टाइम को सही तरीके से नहीं समझ पाने के कारण उन्होंने एक बार एक होटल में नाइट पोर्टर का काम करते हुए सुबह के नाश्ते के लिए मेहमानों को 6 बजे की बजाय 4 बजे ही जगा दिया था.

मिलीमीटर को फीट समझा

हेस्ट बैंक, लंकशायर के ग्राहम शीडि बताते हैं, "मेरे एक सहयोगी ने एक धातु के सिलेंडर का ऑर्डर दिया. हम जहां काम करते थे उस पेट्रोकेमिकल साइट पर इस सिलेंडर की मदद से बॉयलर चिमनी का आकार बढ़ाना था. जरूरत थी 792 मिमी चौड़े सिलेंडर की, जबकि मेरे सहयोगी ने 792 इंच चौड़ाई वाले सिलेंडर का ऑर्डर दे दिया. उन्हें शंका तब हुई जब प्रबंधन विभाग ने बताया कि इसे बनाने में काफी मुश्किल आ रही है."

अपनी गलतियों को बीबीसी से साझा करने वाले तीसरे व्यक्ति हैं, बर्कशायर के पॉल जिंक्स. कई साल पहले उनकी कंपनी में एक निर्देश जारी किया गया था कि किसी भी चीज को मापने के लिए अब मेट्रिक प्रणाली का ही इस्तेमाल किया जाए.

पॉल बताते हैं, "मैंने किसी इलेक्ट्रिक उपकरण के उपर लगाने के लिए क्रेडिट कार्ड के आकार जितना बड़ा एक प्लास्टिक के कार्ड को बनाने का आर्डर दिया. कई हफ्ते गुजर जाने के बाद भी जब मेरा काम नहीं हुआ तो मुझे चिंता हुई. मैंने कार्ड बनाने वाली कंपनी को फोन लगाया. उन्होंने बताया कि मेरा ऑर्डर डिलीवर करने के लिए उन्हें ट्रक मिलने में दिक्कत हो रही है."

हुआ ये था कि कंपनी ने मिलीमीटर को फीट समझ लिया. कार्ड 80 फीट/50 फीट के आकार का था जो दरवाजे में भी नहीं समा रहा था.

ऑनलाइन शॉपिंग

नॉटिंघम के बिल गार्डनर ने पहली बार किराने का सामान ऑनलाइन ऑर्डर किया. गलती से उन्होंने सामान के वजन की जगह मात्रा लिख दिया.

गार्डनर कहती हैं, "मेरे बच्चों ने जब थैला खोला तो खूब हंसे क्योंकि थैले में एक किलो गाजर की जगह केवल एक गाजर और एक किलो सेव की जगह मात्र एक सेव रखा हुआ था."

अमरीका के न्यू हैंपशायर निवासी लॉरेंस ब्रेडेन ने उस समय का अनुभव बताया जब वे मात्र 11 साल के थे. 6 मई 1954 को उन्होंने रोजर बैनिस्टर के बारे में एक खबर सुनी थी कि रोजर ने एक मील को चार मिनट में पार करने का रिकॉर्ड बनाया है. 11 साल के बच्चे के मन में जिज्ञासा उठी कि देखें, उतनी ही दूरी पार करने में उसे कितना समय लगता है.

लॉरेंस कहते हैं, "मुझे पता था कि स्कूल के ट्रैक की लंबाई 100 गज (यार्ड) है. पता चला कि एक मील में 5,280 फुट होते हैं. मैंने आकलन किया कि एक मील दौड़ने के लिए मुझे ट्रैक के कितने चक्कर लगाने पड़ेंगे. मैं पूरे लंच ब्रेक दौड़ता रहा… तीन मील! मुझे यार्ड और मील में भ्रम हो गया था. इसीलिए 17.6 राउंड की बजाए मैं 52.8 बार राउंड लगा बैठा. और यह सब हुआ कैलिफोर्निया के बेकर्सफील्ड की चिलचिलाती गर्मी में. ये गलती मेरे दिमाग में इस कदर बैठ गई कि बाद में बर्कले में भौतिक विज्ञान की कक्षाओं के दौरान यूनिट को लेकर मैं अतिरिक्त सावधानी बरतता रहा."

जला हुआ टेप

ग्लासगो में रहने वाले एलासदेयर बताते हैं कि उनकी आंटी ने कुछ साल पहले उन्हें खिड़की के लिए पट्टियों को नाप कर काटने का काम दिया. कुछ हफ्तों बाद जब वे आंटी के घर गए तो पता चला कि उन पट्टियों पर दोबारा मेहनत करनी पड़ी.

एलासदेयर ने बताया, "मैंने गलती से गलत टेप का इस्तेमाल कर लिया था. आंटी ने बताया कि जल जाने के कारण उस टेप को उनके पति ने बीच से करीब 6 इंच काट कर फिर से जोड़ा था. यानि 34 इंच और 40 इंच के बीच का हिस्सा गायब था."

कारडिफ्फ के जॉन रिचर्ड ने भी अपना अनुभव बताया. 1982 में उनकी नई नई शादी हुई थी. हर नए जोड़े की तरह उन लोगों ने भी एक छोटा और सस्ता घर खरीदा. पैसों की तंगी और अपनी कलाकारी का प्रदर्शन करने के लिए घर के छोटे मोटे काम को खुद ही करना तय किया गया. उस समय लिविंग और डाइनिंग रूम में पेंटिंग किए हुए वूडचिप लगाने का फैशन था.

जॉन रिचर्ड बताते हैं, "अनुमान के अनुसार अलग अलग आकार वाले वूडचिप के 27 पर्दों की जरूरत थी. पास के हार्डवेयर की दूकान पर वूडचिप पर एक ऑफर चल रहा था. वूडचिप का एक रोल डेढ़ डॉलर की जगह एक डॉलर में बिक रहा था. मैंने आव देखा न ताव, झट से वूडचिप के 27 रोल (हां, रोल न कि पर्दे) के ऑर्डर दे डाले!"

पूरे घर में वूडचिप लगा दिए, पत्नी के दो घरों में भी लगा दिए, फिर भी इतने रोल बचे रह गए कि उन्हें पिता के गैरेज में रखना पड़ा.

इसी तरह के मिलते-जुलते अनुभवों को शेफील्ड के निजेल पार्सन, वेस्ट सुसेक्स के डेरेक रॉबर्ट्स और अमरीका के बिल निटल्स ने भी साझा किया है.

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