
आपके नज़दीक गली नुक्कड़ों में नए कैफ़े कब्ज़ा जमाए बैठे हैं. हर तरफ़ ‘कैपेचीनो’ या ‘लाते’ का हल्ला है. लेकिन क्या आपको इन दोनों में फ़र्क पता है. ये है आपकी कॉफ़ी की कुंडली.
(चाय बनाने के लिए आठ लाख की मशीन)
1)क़िस्में
कॉफ़ी दो क़िस्म की होती है -अराबिका और रोबस्टा.
कॉफ़ी बोर्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष जावेद अख़्तर बताते हैं, "अराबिका हल्की कॉफ़ी है और रोबस्टा थोड़ी कड़क होती है. अराबिका की सुगंध तेज़ होती है और इसकी बाजार में ज़्यादा मांग है. रोबस्टा कड़क है और इसलिए विभिन्न मिश्रणों में इसका प्रयोग होता है."
2)कॉफ़ी बनाने के तरीके
कॉफ़ी तीन तरीक़े से बनाई जाती है. फ़िल्टर कॉफ़ी, एस्प्रेसो और इन्स्टेंट .
3)फ़िल्टर कॉफ़ी:
कॉफ़ी के बीजों को हल्का सा भूना जाता है फिर उसका पाउडर बनाया जाता है. फिर उसे गरम पानी के साथ फ़िल्टर किया जाता है. इसमें अपने हिसाब से दूध या चीनी मिलाई जा सकती है.
4)एस्प्रेसो, कैपेचीनो, लाते का फ़र्क:
आजकल कैफ़ेज़ में एस्प्रेसो कॉफ़ी का चलन ज़्यादा है. इस तरीक़े की इजाद इटली में हुई. इसमें मशीन के ऊंचे तापमान और दबाव में कॉफ़ी के बीज से रस निकाला जाता है.
कैपेचीनो, लाते, मोकाचीनो ये सब एस्प्रेसो कॉफ़ी के प्रकार हैं. कैपेचीनो एक कड़क कॉफ़ी होती है और लाते में दूध ज़्यादा होता है. इतालवी में ‘लाते’ का मतलब दूध है.
5)इंस्टेंट कॉफ़ी:
बाज़ार में पैकेट में मिलने वाली कॉफ़ी इन्स्टेंट होती है. ये कॉफ़ी के बीज को उबाल कर उसके रस को सुखाकर बनती है.
6)भारत में आगमन

कई लोगों का मानना है कि एक सूफ़ी संत बाबा बुदन सन 1600 में जब मक्का से हज करके लौटे तो वो अरब से कॉफ़ी के बीज ले आए. उन्होंने इन बीजों को कर्नाटक में चिकमंगलूर की पहाड़ियों पर बोया. अब उस जगह को बाबा बुदन हिल्स कहते हैं. लेकिन इस बारे में कोई प्रमाणिक तथ्य नहीं है.
7) कॉफ़ी के फ़ायदे

कॉफ़ी सेहत के लिए फ़ायदेमंद या नुकसानदायक, इस पर लोगों की राय बंटी हुई है.
जावेद अख़्तर बताते हैं, "कॉफ़ी मे एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं. ये शरीर की कोशिकाओं की मरम्मत करने में मदद करती है . कॉफ़ी पर्किन्सन, डायबिटिज़, दिल के दौरे और लिवर कैंसर जैसी बिमारियों के ख़तरे को कम करती है. "
8) कॉफ़ी के नुकसान
हारवर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डिपार्टमेंट ऑफ न्यूट्रीशन के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर रोब वेन डैम के मुताबिक एक सीमा से ज़्यादा कॉफ़ी नुकसान कर सकती है.

भारत में पिछले 10 सालों में कॉफ़ी पीने वालों की तादाद काफ़ी बढ़ी है.
हारवर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की रिसर्च इस कहती है कि अगर कॉफ़ी ज़्य़ादा पी जाए तो नींद ना आने की समस्या हो सकती है. कभी-कभी शरीर में झटके महसूस हो सकते हैं.
9)कॉफ़ी की बढ़ती मांग
कॉफ़ी बोर्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष जावेद अख़्तर बताते हैं कि ”पिछ्ले दस साल मे कॉफ़ी की मांग और उत्पादन बढ़े है. दस साल में कॉफ़ी की खपत दोगुनी हो गई हैं."
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