22.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

इराक़ः जंग में कितने विद्रोही गुट शामिल

इराक़ की सरकार चरमपंथी विद्रोहियों से एक मुश्किल जंग लड़ रही है और देश के सुन्नी प्रभाव वाले उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों पर क़ब्ज़ा खोती जा रही है. माना जा रहा है कि चरमपंथी समूह आईएसआईएस इस विद्रोह का नेतृत्व कर रहा है लेकिन वह इस विद्रोह में अकेला नहीं है. जिहादी गुटों के विश्लेषक […]

इराक़ की सरकार चरमपंथी विद्रोहियों से एक मुश्किल जंग लड़ रही है और देश के सुन्नी प्रभाव वाले उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों पर क़ब्ज़ा खोती जा रही है.

माना जा रहा है कि चरमपंथी समूह आईएसआईएस इस विद्रोह का नेतृत्व कर रहा है लेकिन वह इस विद्रोह में अकेला नहीं है.

जिहादी गुटों के विश्लेषक एयमन जवाद अल-तामिनि बता रहे हैं कि इस विद्रोह में कौन-कौन शामिल हैं.

जिहादी

इस्लामिक स्टेट इन इराक़ और शाम (आईएसआईएस)

आईएसआईएस का एक नारा है, ‘बने रहो और विस्तार करो’. इसने यही सीरिया और इराक़ में किया है.

शुरुआती मीडिया कवरेज में यह कहा गया था कि इसने अकेले ही फ़ालुजा और मोसूल पर क़ब्ज़ा कर लिया है, जो कि सोशल मीडिया पर दिखने की वजह से था.

हालांकि यह सच है कि आइएसआइएस बाक़ी संगठनों से आगे है क्योंकि इसके पास पिछले कुछ सालों में सुरक्षा बलों से हथियाए गए बेहतर हथियार और वर्दियां हैं. इसके पास इसके पास पैसा भी बाक़ी संगठनों से ज़्यादा है.

मोसूल में यह मुख्य ताक़त है इसने वहां शहर का शासनपत्र लागू कर दिया है. लेकिन फ़ालुजा में इसने ऐसा शासनपत्र लागू नहीं किया है क्योंकि वहां यह अकेले राज नहीं कर रहा. वहां एक सैन्य परिषद भी है, जिसमें कई विद्रोही गुट हैं और उनका बड़े इलाक़े पर क़ब्ज़ा है.

अनुमान है कि इराक़ में आईएसआईएस के 2,000-3,000 से लेकर संभवतः 10,000 लड़ाके हो सकते हैं.

जमात अन्सार अल-इस्लाम (जेएआइ)

जेएआइ आईएसआईएस का विरोधी गुट है और मुख्यतः निनेवेह (विशेषकर मोसूल), किर्कुक और सलाहुद्दीन प्रांतों में सक्रिय है. हालांकि इसके लड़ाकुओं की संख्या का पता नहीं है.

Undefined
इराक़ः जंग में कितने विद्रोही गुट शामिल 2

पिछले साल इराक़ में आईएसआईएस के इस्लामिक स्टेट बनाने के ऐलान के बाद दोनों संगठन पूरे साल लड़ते रहे हैं.

बाथिस्ट

नक्शबंदी ऑर्डर

नक्शबंदी ऑर्डर या जेआरटीएन (जैश रिजाल अल-तरीका अल-नक्शबंदिया) के लड़ाकुयों की संख्या भी पता नहीं है लेकिन संभवतः यह आईएसआईएस के बाद दूसरा सबसे बड़ा विद्रोही गुट है.

सद्दाम हुसैन के दाहिने हाथ, इज़्ज़त इब्राहिम अल-दौरी, जेआरटीएन का नेतृत्व कर रहे हैं. चूंकी ज़्यादातर सुन्नी अरब नक्शबंदी नहीं होते इसलिए जेआरटीएन ने बाथिस्टों का एक संगठन ‘जनरल मिलिट्री काउंसिह फ़ॉर इराक्स रिवोल्यूशनरीज़’ (जीएमसी) बनाया है.

हालांकि आईएआईएस से सहयोग की बात यह स्वीकारता नहीं है लेकिन साफ़ है कि मोसूल, तिर्कित और दियाला प्रांतों में जेआरटीएन और इसके अग्रणी गुट आईएसआईएस के साथ रहे हैं.

हालांकि दोनों के बीच गहरा अविश्वास और वैचारिक मतभेद हैं.

इस्लामिस्ट

जैश अल-मुजाहिदीन (जेएएम)

साल 2003 की घुसपैठ से सक्रिय इस गुट का उद्देश्य इराक़ की सरकार को उखाड़ फेंकना है और यह शिया विरोधी है.

हालिया सबूत इशारा करते हैं कि आईएसआईएस का मुक़ाबला करने के लिए इसने जेएआइ के साथ ख़ास गठबंधन किया है.

जेएएम स्थानीय कबीलों के साथ मिलकर काम करने पर ज़ोर देता है और करमा में इसकी मज़बूत पकड़ मानी जाती है.

इस्लामिक आर्मी ऑफ़ इराक़ (आइएआइ)

यह एक और पारंपरिक विद्रोही दस्ता है. यह बाक़ियों से इस मायने में अलग है कि 2011 में अमरीका के जाने के बाद आइएआइ ने एक कार्यकर्ता संगठन- सुन्नी पॉपुलर मूवमेंट- बनाया और राजनीति में उतरने की कोशिश की. इसके लिए जेएएम ने इसकी आलोचना भी की.

इस साल की शुरुआत में यह फिर से सशस्त्र संघर्ष पर उतर आया है. इसकी उपस्थिति मुख्य रूप से दियाला और सलाहुद्दीन प्रांतों में है.

संगटन के प्रवक्ता इसके पास बड़ी संख्या में लड़ाके होने का दावा करते हैं लेकिन दरअसल यह कमज़ोर है.

अन्य गुट

इन पांच मुख्य विद्रोही गुटों के अलावा कई अन्य गुट भी हैं.

इनमें 1920 की रिवोल्यूशन ब्रिगेड, फ़ालुजा का एक छोटा गुट सराया अल-मदीना अल मुनावारा भी हैं, जो आईएसआईएस से जुड़े होने का दावा करते हैं.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें