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फूलपुर : कभी पंडित नेहरू के कारण था कांग्रेस का गढ़, आज कोई अस्तित्व ही नहीं

फूलपुर लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एक है, लेकिन यह सीट बहुत ही खास है. इस सीट के खास होने का कारण है यहां के सांसद पंडित जवाहर लाल नेहरू जो देश की आजादी के बाद से अपने मृत्यु तक यहां से सांसद रहे. उनके बाद इस सीट से विजयलक्ष्मी […]

फूलपुर लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एक है, लेकिन यह सीट बहुत ही खास है. इस सीट के खास होने का कारण है यहां के सांसद पंडित जवाहर लाल नेहरू जो देश की आजादी के बाद से अपने मृत्यु तक यहां से सांसद रहे. उनके बाद इस सीट से विजयलक्ष्मी पंडित सांसद बनीं. इस लिहाज से यह सीट कांग्रेस का पारंपरिक सीट रहा है, लेकिन विजयलक्ष्मी के बाद मात्र दो बार ही यहां से कांग्रेस को जीत मिली. एक बार विश्वनाथ प्रताप सिंह जीते, तो दूसरी बार रामपूजन पटेल जीतकर आये. बावजूद इसके आज भी इस सीट की पहचान पंडित नेहरू से की जाती है. अतीक अहमद जैसे बाहुबली नेताओं के कारण भी यह सीट काफी चर्चा में रहा.

पांच विधानसभा क्षेत्र है शामिल

फूलपुर लोकसभा क्षेत्र प्रयागराज (इलाहाबाद) जिले में आता है और इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं. जिसमें से एक विधानसभा क्षेत्र सोरांव अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. बाकी चार विधानसभा क्षेत्र अनारक्षित हैं. फूलपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 19,66,410 है.

कैसा रहा है इतिहास

फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से आजादी के बाद तीन बार पूर्व प्रधानमंत्री पंडित नेहरू सांसद रहे. उन्होंने 1952, 1957 और 1962 में यहां से चुनाव जीता था. 1964 में उनके निधन के बाद यहां उपचुनाव हुआ और पंडित नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित यहां से सांसद चुनी गयीं. 1967 के चुनाव में भी वे यहां से सांसद बनीं, लेकिन 1969 में उपचुनाव हुआ और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के जनेश्वर मिश्रा सांसद चुने गये. 1971 में विश्वनाथ प्रताप सिंह चुनकर आये, लेकिन 1977 में कमला बहुगुणा चुनाव जीत गयीं. 1980 में जनता पार्टी सेक्यूलर के बीडी सिंह चुनाव जीते. 1984 में कांग्रेस को सहानुभूति वोट मिला और एक बार फिर कांग्रेस के प्रत्याशी राम पूजन पटेल चुनाव जीते. रामपूजन पटेल यहां से 1989 और 1991 में भी चुनाव जीते लेकिन जनता दल के उम्मीदवार के रूप में. 1996 से 2004 तक यहां समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों का दबदबा रहा और जंगबहादुर पटेल दो बार, धर्मराज पटेल एक बार और अतीक अहमद एक बार सांसद चुने गये. 2009 में यहां से बसपा के कपिल मुनि केसरिया और 2014 में भाजपा के केशव प्रसाद मौर्य चुनाव जीते. 2017 में केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री हो गये, जिसके बाद 2018 में यहां उपचुनाव हुआ और बसपा-सपा के गठबंधन के बाद सपा उम्मीदवार नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल यहां से चुनाव जीते.

क्या है संभावनाएं

हालांकि अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की है, लेकिन प्रियंका गांधी का नाम यहां से प्रत्याशी के रूप में उछाले जाने के बाद यह हाईप्रोफाइल सीट हो गया है. सपा-बसपा भी आज अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर सकती है. संभव है कि वर्तमान सांसद नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल को यहां से दोबारा टिकट मिल जाये.

जानें जातीय गणित

फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में पटेल जाति के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है और वे जीत-हार तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं.साथ ही दलित वोटर्स भी अच्छी-खासी संख्या में है, हालांकि ब्राह्मणों का भी वर्चस्व है, लेकिन दलित, यादव और पटेल वोटर्स अगर साथ आ जायें तो जीत सपा-बसपा के उम्मीदवार की तय है.

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