आइवीएफ तकनीक क्या है?
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आइवीएफ) एक उन्नत तकनीक है, जिसमें मां बनने की इच्छुक महिला में कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है. यह बांझपन दूर करने की अंतिम कारगर तकनीक मानी जाती है. इस प्रक्रिया में किसी महिला के अंडाशय से अंडे को अलग कर उसका संपर्क द्रव माध्यम में शुक्राणुओं से कराया जाता है. इसके बाद निषेचित अंडे को महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है. आरंभिक दौर में आइवीएफ का इस्तेमाल महिलाओं में फैलोपियन ट्यूब की समस्या के समाधान के तौर पर किया गया.
इसका प्रयोग कब किया जाता है?
इसका प्रयोग उस स्थिति में किया जाता है जब अंडों की संख्या कम होती है या फिर शुक्राणु, अंडाणु से क्रिया करने लायक बेहतर अवस्था में नहीं होते, फैलोपियन ट्यूब के बंद हो जाने की अवस्था में या फिर किसी अन्य कारण से महिला गर्भवती नहीं हो पा रही हो.
इसमें शुक्राणुओं को सीधे अंडाणुओं में इंजेक्ट कराया जाता है. इसमें महिला के अंडाणुओं को निकाल कर उन्हें निषेचित कर महिला के गर्भाशय में स्थापित किया जाता है. आइवीएफ की प्रक्रिया सुपरओव्यूलेशन, अंडे की पुन:प्राप्ति, निषेचन, और भ्रूण स्थानांतरण के रूप में पूर्ण होती है.
बातचीत : अजय कुमार
डॉ मीना सामंत
प्रसूति व स्त्री रोग विशेषज्ञ कुर्जी होली फेमिली हॉस्पिटल, पटना