‘हमशकल्स’ और ‘भूतनाथ रिटर्न्स’ जैसी पिटी हुई फ़िल्मों की सक्सेस पार्टियां मनाने वाले आखिर जश्न किस बात का मनाते हैं?
फ़िल्मों के धंधे समझने वाले कहते हैं कि ये केवल नाक बचाने, मूर्ख बनाने और पैसा कमाने की कवायद है.
फ़िल्म व्यापार विश्लेषक आमोद मेहरा कहते हैं, "टीवी राइट्स के करार में एक क्लॉज़ होता है जिसके मुताबिक़ अगर फ़िल्म हिट है तो ही पूरे पैसे मिलेंगे. आजकल फ़िल्म बनाने वाले बड़े स्टूडियो पर घाटे का ख़तरा पूरे साल बना रहता है इसलिए वे कैसे भी फ़िल्म को हिट घोषित करने में लगे रहते हैं."
फ़िल्म व्यापार विशेषज्ञ कोमल नाहटा बताते हैं, "अक़सर टीवी राइट्स में ज़्यादा से ज़्यादा पैसा कमाने के लिए फ़िल्मकार अपने आंकड़ों में हेर-फेर करके बताते हैं. अगर फ़िल्म 50 करोड़ कमाती है तो उसे फ़लां रकम दी जाएगी. अगर 80 करोड़ रुपए कमाती है तो उसे ज़्यादा रकम मिलेगी."
(कहां गए वो जुबली हिट्स के दिन)
फ़िल्म वितरक रमेश थडानी का कहना है, "स्टूडियोज़ बताना चाहते हैं कि उनकी फ़िल्मों की कमाई हो रही है ताकि बाज़ार में उनकी साख बनी रहे. कई बार तो लोग सिर्फ़ अपने अहम् के लिए सक्सेस पार्टी मनाते हैं."
पार्टी का असर ?
रमेश थडानी मानते हैं कि सक्सेस पार्टी के बाद फ़िल्म को थोड़ा बहुत फ़ायदा ज़रूर मिल जाता है.
लेकिन कोमल नाहटा और आमोद मेहरा इससे इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते.
आमोद के मुताबिक़, "अमिताभ बच्चन की फ़िल्म भूतनाथ रिटर्न्स की सक्सेस पार्टी बुधवार को मनाई गई. जबकि गुरुवार और शुक्रवार तक फ़िल्म पूरी तरह से ढह गई. कुल मिलाकर ये फ़िल्म महज़ 39 करोड़ रुपए ही कमा पाई."
विशेषज्ञ तो ये भी कहते हैं कि कई बार तो पार्टी इसलिए भी मनाई जाती है कि फ़लाँ फ़िल्म उतनी बड़ी फ़्लॉप नहीं हुई जितनी आशंका थी.
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