स्विस बैंकों में जमा भारतीयों के काले धन के बारे में भारत को जानकारी देने के लिए स्विट्ज़रलैंड की सरकार एक सूची तैयार कर रही है.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने स्विट्ज़रलैंड के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा है कि विभिन्न स्विस बैंकों में जमा धन के वास्तविक हक़दारों की पहचान के लिए चल रहे अभियान के दौरान कुछ भारतीय नागरिक और संस्थाएं जांच के घेरे में हैं.
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समाचार एजेंसी के अनुसार, अपना नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर अधिकारी ने कहा कि इस तरह के लोगों और संस्थाओं की सूची को भारत से साझा किया जा रहा है.
अधिकारी ने कहा, ‘आने वाले समय में इनसे संबंधित विस्तृत जानकारियों को भी उपलब्ध कराया जाएगा. इसके साथ अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में ज़रूरी प्रशासनिक सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी.’
भारत में काले धन पर गठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) का नेतृत्व कर रहे जस्टिस एमबी शाह ने कहा कि इस सूची की जांच की जाएगी और गैरक़ानूनी धन जमा करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.
जांच
स्विट्ज़रलैंड के अधिकारी ने भारत और स्विस सरकार के बीच हुए सूचना के आदान-प्रदान के समझौते का हवाला देते हुए उन संस्थाओं और उनसे संबंधित धन के बारे और जानकारी देने से इनकार कर दिया.
जमा पैसों के स्रोत और खाताधारकों के बारे में बैंक और नियामक संस्थाओं की पड़ताल के बाद इन संस्थाओं का भारतीय संबंध उजागर हुआ था.
काला धन वापस लाने के मामले में स्विट्ज़रलैंड के केंद्रीय बैंक एसएनबी ने एक आंकड़ा जारी किया था.
210 खरब डॉलर टैक्स दायरे से बाहरः रिपोर्ट
इस आंकड़े के अनुसार, वर्ष 2013 के दौरान स्विस बैंकों में जमा भारतीय धन 43 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 14,000 करोड़ रुपए हो गया है.
स्विट्ज़रलैंड के अधिकारी के मुताबिक़, हो सकता है कि ये रुपए ग़ैरक़ानूनी न हो क्योंकि इन खाताधारकों ने ख़ुद ही अपनी भारतीय नागरिकता घोषित की है.
उन्होंने उन अनुमानों से इनकार किया जिसमें दावा किया गया था कि स्विस बैंकों में भारतीयों ने ख़रबों डॉलर जमा कर रखे हैं.
उन्होंने कहा कि स्विट्ज़रलैंड के कुल 283 बैंकों में कुल विदेशी धन महज 16 ख़रब डॉलर है.
जस्टिस शाह ने कहा, ‘यह सूची सिर्फ़ काला धन जमा कराने वालों की ही नहीं है. इसमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने क़ानूनी रूप से पैसा जमा किया है. यह समग्र सूची है. हम इस सूची के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं.’
‘सब धन काला नहीं’

आम आदमी पार्टी के नेता प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार को पी नोट्स जैसे ग़ैरक़ानूनी धन पर लगाम लगानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि यदि यह क़ानूनन जमा धन है तो हम कुछ नहीं कर सकते, यदि यह ग़ैरक़ानूनी और छिपाया हुआ धन है तो हम कार्रवाई करेंगे. यह इस पर निर्भर करता है कि किस तरीक़े से इसे जमा किया गया है.
स्विस अधिकारी ने कहा कि स्विट्ज़रलैंड की सरकार भारत की नई सरकार के साथ मिलकर काम करने की इच्छुक है और वो काले धन पर गठित एसआईटी को हरसंभव मदद करेगी.
मुबारक के बेटों का धन स्विस बैंकों में
वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने लंदन से कहा, ‘मैं बहुत ख़ुश हूं और आज इस बात से संतुष्ट हूं और आशान्वित हूं कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार इस सूचना का पूरी तरह हरसंभव लाभ उठाएगी.’
उन्होंने कहा, ‘भारत से इतने बड़े पैमाने पर धन की चोरी हुई और ऐसा करने वालों को सज़ा मिलेगी. इस धन का इस्तेमाल ग़रीबी मिटाने और समाज़ के उत्थान के लिए किया जाएगा.’
आम आदमी पार्टी के नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि एसआईटी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गठित की गई है इसलिए सरकार को इसका श्रेय नहीं लेना चाहिए.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘यदि स्विस सरकार कोई भी सूचना साझा करती है तो इसका स्वागत है, लेकिन सरकार को पी नोट्स और ‘टैक्स हेवन’ में पंजीकृत कंपनियों के मार्फ़त ग़ैरक़ानूनी धन के प्रवाह को रोकना चाहिए.’
लीक हुई थी सूचना
स्विस अधिकारी ने कहा कि ये सूचनाएं ‘पता चलते ही’ के आधार पर भारत के साथ साझा की जा रही हैं.
उन्होंने कहा कि ये सूचनाएं भारतीय अधिकारियों द्वारा एचएसबीसी समेत कुछ बैंकों की लीक हुई सूची के आधार पर मांगी गई सूचना से इतर है.
स्विट्ज़रलैंड की सरकार एचएसबीसी की सूची में शामिल भारतीयों के नाम के बारे में विस्तृत जानकारी मुहैया कराने से इनकार करती रही है. यह सूची एक बैंक कर्मचारी द्वारा लीक की गई थी. इसी के आधार पर भारत समेत विभिन्न देशों के कर अधिकारियों ने सूचना मांगी थी.
भारत के बार-बार अपील के बावजूद, स्विट्ज़रलैंड का कहना था कि देश का क़ानून उन मामलों में प्रशासनिक मदद से प्रतिबंधित करता है जिसमें सूचना को चोरी करने समेत किसी ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से हासिल किया गया हो.
कथित एचएसबीसी सूची में उन भारतीयों और अन्य देशों के नागरिकों के नाम हैं जिनका काला धन एचएसबीसी की स्विस इकाई में जमा हैं.
भारत उन 36 देशों में शामिल है जिनके साथ स्विट्ज़रलैंड ने अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप टैक्स मामलों में प्रशासनिक मदद मुहैया करने के लिए संधि की है.
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