लीबिया के बेनगाज़ी शहर में सितंबर 2012 में अमरीकी वाणिज्य दूतावास पर हमला करने वाले गुट के संदिग्ध सरगना को पकड़ लिया गया है. ये सूचना अमरीकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने दी है. इस हमले में चार अमरीकी मारे गए थे.
अहमद अबु खट्टाला को 15 जून को लीबिया में एक गुप्त अमरीकी सैन्य छापे में हिरासत में लिया गया.
पेंटागन के एक प्रवक्ता ने पुष्टि की है कि अब उन्हें देश के बाहर एक सुरक्षित जगह पर रखा गया है.
बेनगाज़ी में हुए हमले में अमरीकी राजदूत क्रिस स्टीवंस और तीन अन्य लोगों की मौत हो गई थी.
पेंटागन के प्रेस सचिव रियर एडमिरल जॉन किर्बी ने एक लिखित बयान जारी कर कहा, "इस कार्रवाई में किसी नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचा है और इसमें शामिल सभी अमरीकी कर्मी सुरक्षित लीबिया से जा चुके हैं."
”मुख्य व्यक्ति”
इस घोषणा के बाद अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सेना, क़ानून और ख़ुफ़िया विभागों के उन कर्मियों के साहस और पेशेवर रवैये की तारीफ़ की जिन्होंने अबु खट्टाला को ढूंढा और पकड़ा. अमरीका का कहना है कि खट्टाला इस हमले का एक ”अहम व्यक्ति” था.
व्हाइट हाउज़ की ओर से जारी एक वक्तव्य में राष्ट्रपति के हवाले से कहा गया है, "इस कार्रवाई से अमरीका ने एक बार दिखा दिया है कि जब लोग अमरीकियों को नुकसान पहुंचाते हैं तो हम न्याय के लिए वो सब कुछ करेंगे जो ज़रूरी है."
राष्ट्रपति ने कहा कि अहमद अबु खट्टाला के मामले से ”अमरीकी न्याय प्रणाली के तहत निपटा जाएगा". ये इस ओर इशारा करता है कि खट्टाला को क्यूबा में अमरीकी हिरासत केंद्र ग्वांतनामो बे में रखने की जगह उनका मुक़दमा अमरीका में सिविल कोर्ट में होगा.
पिछले साल अगस्त में न्यू यॉर्क टाइम्स अख़बार ने ख़बर दी थी कि सरकारी वकीलों ने खट्टाला के ख़िलाफ़ गुप्त आरोप तैयार कर लिए हैं जिनमें उनपर बेनगाज़ी हमले में हत्या का आरोप है.
अमरीकी राजदूत स्टीवंस के अलावा इस हमले में आईटी विशेषज्ञ शॉन स्मिथ और सुरक्षाकर्मी और पूर्व नेवी सील सैनिक टायरॉन वुड्स और ग्लेन डोहर्टी भी मारे गए थे.
विरोध प्रदर्शन
शुरुआत में अमरीकी राष्ट्रपति कार्यलय ने कहा था कि हमला उन अमरीका विरोधी प्रदर्शनों का नतीजा था, जो अमरीका में बने इस्लाम के लिए अपमानजनक समझे जाने वाले वीडियो के विरोध में किए गए थे.
लेकिन जल्द ही सरकारी जांचकर्ताओं ने कहा कि ये स्थानीय मिलिशिया द्वारा किया गया एक सुनियोजित हमला था. हालांकि व्यापक पड़ताल के बाद न्यूयॉर्क टाइम्स ने दावा किया था कि कुछ हमलावर वाकई उस वीडियो से प्रभावित हुए थे.
हमले के बाद के महीनों में संबंधित जानकारी जुटाने के लिए अमरीका ने चुपचाप एक करोड़ डॉलर तक की पेशकश की थी.
बाद के सालों में ये एक राजनीतिक मुद्दा बन गया. रिपब्लिकन नेताओं ने राष्ट्रपति ओबामा की सरकार पर आरोप लगाया कि उसने हमले के बाद के दिनों में चरमपंथी गुटों के शामिल होने की बात को दबा कर रखा ताकि साल 2012 में ओबामा के चुनाव प्रचार पर असर न पड़े.
इस वर्ष मई में रिपब्लिकन बहुमत वाली प्रतिनिधि सभा ने हमले पर व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया की जांच के लिए समिति बनाने के पक्ष में वोट दिया.
कहा जा रहा है कि बेनगाज़ी मामले की जांच के लिए बनी ये आठवीं समिति थी. इससे पहले स्वतंत्र, बहुपक्षीय और रिपब्लिकनों के नेतृत्व वाली जांच समितियों ने लीबिया में दूतावास पर सुरक्षा में कमियों के लिए विदेश मंत्रालय को ज़िम्मेदार ठहराया था.
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