अयोध्या में माहौल फिर से गर्माता जा रहा है. शिव सेना के प्रमुख उद्दव ठाकरे शनिवार को अयोध्या पहुँच रहे हैं.
बड़ी संख्या में महाराष्ट्र से शिवसैनिक भी अयोध्या पहुँचने लगे हैं. तैयारियां कई दिनों से की जा रही हैं. विश्व हिंदू परिषद भी धर्मसभा के आयोजन का ऐलान कर चुकी है.
प्रशासन ने भी सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए हैं और बड़ी संख्या में पुलिस, पीएसी और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है.
शिवसेना ने शुक्रवार को भाजपा से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर अध्यादेश लाने और तारीख की घोषणा करने के लिए कहा.
भाजपा पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में लिखा, सत्ता में बैठे लोगों को शिवसैनिकों पर गर्व होना चाहिए जिन्होंने रामजन्मभूमि में बाबर राज़ को खत्म कर दिया.
शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ये सवाल किया जाना चाहिए कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की दिशा में उन्होंने और उनकी सरकार ने क्या किया.
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के कार्यक्रम की तैयारियों का जायज़ा लेने अयोध्या पहुंचे संजय राउत ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि उनकी पार्टी शुरू से राम मंदिर को अपने एजेंडे में प्रमुखता से रखती आई है और अब क़ानून के ज़रिए इसे पूरा कराने के लिए हरसंभव कोशिश करेगी.
मंदिर मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते हुए संजय राउत ने कहा, "सरकार के पास पूर्ण बहुमत है. इसके अलावा भी तमाम सांसद पार्टी लाइन से हटकर भी मंदिर निर्माण के लिए अपना समर्थन देने को तैयार हैं, फिर भी यदि सरकार इसके लिए क़ानून नहीं बनाती है तो उससे इसकी वजह ज़रूर पूछी जाएगी."
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने तमाम सांसदों, विधायकों और समर्थकों के साथ 24 और 25 नवंबर को अयोध्या में राम लला के दर्शन, संतों से मुलाक़ात और उनके आशीर्वाद के अलावा सरयू आरती में भी शामिल होंगे.
इस दौरान वो मंदिर निर्माण के लिए सभी के साथ मिलकर संसद में क़ानून या अन्य विकल्पों की संभावनाओं पर विचार करेंगे.
अयोध्या में शिवसैनिकों का जमावड़ा
बताया जा रहा है कि शिवसेना प्रमुख का कार्यक्रम अयोध्या में एक जनसभा को भी संबोधित करने का था लेकिन प्रशासनिक सख़्ती और धारा 144 के कारण इसे स्थगित करना पड़ा.
हालांकि संजय राउत कहते हैं कि उन्होंने जनसभा या रैली के लिए कभी अनुमति मांगी ही नहीं थी.
संजय राउत कहते हैं कि विश्व हिन्दू परिषद की धर्म सभा को टाला जा सकता था क्योंकि उनका (शिवसेना) कार्यक्रम पहले से तय था, लेकिन यदि ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें इसकी कोई परवाह भी नहीं.
वो कहते हैं, "हमने अपनी ओर से उनसे कुछ भी नहीं कहा लेकिन वो चाहते तो अपने कार्यक्रम को टाल सकते थे. बहरहाल, यदि नहीं भी टाला तो कोई बात नहीं, सभी मिलकर मंदिर बनाएंगे."
भारी सुरक्षा बंदोबस्त
इस बीच, अयोध्या में भारी संख्या में पुलिस, पीएसी और सीआरपीएफ़ के जवान तैनात किए गए हैं.
शिवसेना के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से शिवसैनिक पहले से बुक की गई ट्रेनों में सवार होकर अयोध्या पहुंच रहे हैं.
भीड़ को विवादित परिसर से दूर रखने के लिए आस-पास के इलाक़े को हाई सिक्योरिटी ज़ोन में तब्दील कर दिए गया है.
पुलिस मॉनीटरिंग के लिए शासन स्तर पर दो एडीजी और एक डीआईजी अतिरिक्त रूप से अयोध्या भेजे गए हैं. इनमें एडीजी (तकनीकी) आशुतोष पांडेय और डीआइजी झांसी सुभाष सिंह बघेल फ़ैज़ाबाद में एसएसपी रह चुके हैं.
आशंका का माहौल
शिवसेना और वीएचपी के कार्यक्रमों को देखते हुए अयोध्या के स्थानीय लोगों में आशंका का माहौल है.
सरयू घाट पर घूमने आए कुछ लोगों ने बातचीत में बताया कि कई लोगों ने अपने घरों में अतिरिक्त राशन जुटाकर रख लिया है ताकि किसी अनहोनी की स्थिति में भूखे न रहना पड़े.
अयोध्या आने वाली तमाम सड़कों के दोनों ओर और अयोध्या के भीतर बड़ी संख्या में होर्डिंग, बैनर, पोस्टर इत्यादि ये बता रहे हैं कि बाहर से लोगों को अयोध्या में बुलाने के लिए किस तरह की तैयारियां की गई हैं.
इस बीच, विश्व हिन्दू परिषद ने अपने ताज़ा बयान में दावा किया है कि धर्मसभा में कम से कम ढाई लाख लोग हिस्सा लेंगे.
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