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गरमा-गरम ड्राइव

गरमी के आगमन से पहले से ही लोग यात्र पर जाने का प्लान बनाने लगते हैं. इधर बच्चों की स्कूल की छुट्टियां शुरू होती हैं, उधर बढ़ता तापमान परेशान करने लगता है. इसलिए इस प्लान पर अमल करने की वजह भी मिल जाती है. कोई पहाड़ों पर चल पड़ता है, तो कोई समुद्र तट की […]

गरमी के आगमन से पहले से ही लोग यात्र पर जाने का प्लान बनाने लगते हैं. इधर बच्चों की स्कूल की छुट्टियां शुरू होती हैं, उधर बढ़ता तापमान परेशान करने लगता है. इसलिए इस प्लान पर अमल करने की वजह भी मिल जाती है. कोई पहाड़ों पर चल पड़ता है, तो कोई समुद्र तट की ओर. मंजिल कोई भी, लेकिन अगर आप अपनी कार से घूमने जाने की तैयारी में हैं, तो आपकी सुखद यात्र के लिए कुछ तैयारियां खास तौर पर जरूरी हो जाती हैं. आप लॉन्ग ड्राइव पर हों या स्मॉल, परिवार के साथ हों या फिर अकेले, ये तैयारियां आपकी यात्र को खुशनुमा बनाने में अहम भूमिका निभायेंगी. ऐसे में हम आपके लिए कुछ जरूरी टिप्स लेकर आये हैं.

मौसम ऐसा ही है, जहां पर हममें से हर कोई नयी मंजिल की तलाश में निकलने की सोच रहा है. यह बात अलग है कि अपनी-अपनी नौकरियों से छुट्टी मिले या ना मिले. फिर भी हम मान कर चलते हैं कि मौसम है गरमियों की छुट्टी का, यानी बच्चों की छुट्टियों का. ऐसे में ज्यादातर लोग बाहर जाने का प्लान करके रखते हैं. इनमें से कई का प्लान होता है पूरे परिवार के साथ ड्राइव करके कहीं दूर घूमने जाने का. आज ऐसे ही परिवारों के लिए खासतौर पर सोचा कि कुछ लिखा जाये. ऐसी जानकारियां तो आपके पास होती हैं, लेकिन जिन्हें फिर से याद दिलाने में कोई नुकसान नहीं है. वैसे गरमियों में किसी भी तरीके की ड्राइविंग के लिए टिप्स काम के होते हैं, चाहे आप लॉन्ग ड्राइव पर हों, या स्मॉल ड्राइव पर. परिवार के साथ हों या फिर अकेले हों.

सबसे पहले तो आपको अपनी यात्र को प्लान करना जरूरी है. कब निकलना है, दिन के किस वक्त निकलना है, जिससे ट्रैफिक कम से कम मिले. कौन सा रूट पकड़ना है- यह एक अहम मुद्दा है, क्योंकि भारत में सड़कों का कंस्ट्रक्शन कैसे चलता है, यह हमको और आप सबको भी पता है. ऐसे में कब कहां अटक जाएं, कुछ पता नहीं होता. और छुट्टी पर जाने के रास्ते में ऐसे जाम मजा किरकिरा कर देते हैं. इसके लिए सबसे पहले तो अपने दोस्तों-सहकर्मियों से बात करें. ज्यादातर टूरिस्ट स्पॉट पर लोगों का आना जाना लगा रहता है और रास्तों के बारे में वो लेटेस्ट जानकारी रख सकते हैं. कइयों के रिश्तेदार दोस्त उन इलाकों में रहते हैं. इसके बाद रामबाण तरीका इंटरनेट तो है ही. जाइए इंटरनेट पर और सर्च कीजिए उन हाइवे और रोड के बारे में. बहुत सी ऐसी वेबसाइट और फोरम हैं, जहां पर लोग अपनी यात्रओं का अनुभव लिखते हैं. ज्यादातर मौके पर ये अनुभव काम के होते हैं. मेरा तजुर्बा भी यही रहा है कि रास्ते की जितनी जानकारी हो, आप सफर के लिए उतना तैयार रहते हैं.

फिर आते हैं आपकी कार पर. यानी लंबे सफर, देर तक ड्राइव, गरमी और बुरी सड़कों के लिए आपकी गाड़ी कितनी तैयार है. लॉन्ग ड्राइव पर कारों की असली रगड़ाई होती है, तो इसके लिए उन्हें अच्छे से तैयार भी करना चाहिए. बिना कार की तैयारी के निकलना बहुत बड़ी भूल होगी. इसके लिए वर्कशॉप पर अपनी कार ले जाइए और ट्यूनिंग, बैट्री, बेल्ट वगैरह सब चेक करवाइए. किसी पाइप या रबर में कोई लीकेज तो नहीं, यह सब चेक करवाइए. जरूरत हो तो ऑयल चेंज करवाइए और टायर भी रोटेट कराइए. एसी की भी सर्विसिंग नहीं करवायी हो, तो करवा लीजिए. गरम रास्तों में यह काम आयेगा. एक और जरूरी बात, वाइपर को भी चेक कीजिए और वाइपर के साथ वाशिंग के लिए भी पानी भरा होना चाहिए. बारिश हो ना हो, कई बार पहाड़ी इलाकों में मौसम बदलता है. और वैसे भी ड्राइव के दौरान भी कभी भी शीशा साफ करने की जरूरत पड़ सकती है.

लगे हाथों लाइट्स भी चेक करवा लीजिए. हाइवे पर एक भी लापरवाही जानलेवा हो सकती है. इसलिए गाड़ी की हर लाइट का सही तरीके से काम करना जरूरी होता है. शहरी ट्रैफिक में भले हमें इसकी अहमियत का पता ना चले, लेकिन हाइवे पर सेफ्टी के लिए लाइट्स का फिट होना बहुत ही जरूरी है.

टायर के बारे में तो आपको याद होगा ही. लंबे सफर पर टायरों की भूमिका काफी अहम हो जाती है. एक तो टायर को चेक करना जरूरी है, क्योंकि अगर जरूरत से ज्यादा घिसे हुए टायर होंगे, तो वो गरमी के कारण फट सकते हैं. लंबी दूरी की ड्राइविंग में एक तो पहिया गरम होता है, ऊपर से मौसम की वजह से सड़कें तपी हुई होती हैं. ऐसे में टायर में भरी हुई हवा गरम होकर थोड़ा फैलती है, जिसका दबाव घिसे टायर नहीं ङोल सकते हैं. इसलिए गरमियों में टायरों का फटना आम है. इसी वजह से दूसरा प्वाइंट भी अहम है. टायर अच्छी हालत में होने चाहिए और उनका एयरप्रेशर उतना ही होना चाहिए जितना कंपनी ने निर्धारित किया है. ज्यादा हवा भरवायेंगे, तो गरमियों में टायरों के लिए जानलेवा हो सकता है.

इन सबको चेक करने के बाद एक और चेकिंग जरूरी है, वह है आपकी गाड़ी की स्टेपनी की, पांचवे टायर की. उसका स्वास्थ्य कैसा है, उसे चेक करके रखिए. जरूरत के लिए उसे भी हवा भरवा के तैयार रखिए.

इससे जुड़ा एक और प्वाइंट अहम है. चाहे दो दिन के लिए जाएं या फिर चार दिनों के लिए, कितना सामान ले जाना है यह भी ध्यान रखें. बिना मतलब का सामान ना ले जाएं. इससे ना सिर्फ कार में जगह भरती है, एक्स्ट्रा वजन टायर पर बेवजह दबाव बढ़ायेगा और माइलेज पर भी. इसलिए, सामान पैक करते वक्त ध्यान रखें, जो चीज बिल्कुल जरूरी हो वही साथ में ले जायें.

अब बात सड़क पर ड्राइविंग की करें, तो यह समझना जरूरी है कि हाइवे पर ड्राइविंग शहरी ड्राइविंग से बिल्कुल अलग होती है. शहर में कई बार आम ट्रैफिक नियमों को तोड़ने पर हम बच जाते हैं, तो लगता है कि इन नियमों की जरूरत क्या है! लेकिन इन नियमों की असली अहमियत हाइवे पर दिखेगी, जहां ये नियम दरअसल, जान बचाने के लिए काम में आते हैं. इसलिए शहर की तरह हाइवे पर आड़ी तिरछी, गलत ओवरटेकिंग की गलतियां मत कीजियेगा.

सुरक्षा के कुछ और इंतजाम भी रखें. हाइवे पर जहां हमारी औसत रफ्तार सामान्य से कहीं ज्यादा होती है, ऐसे में सेफ्टी की जरूरत और बढ़ जाती है. पिछली सीट पर भी सीट बेल्ट बांध कर फैमिली को बिठाइए. याद होगा कि हाल में हमारे एक केंद्रीय मंत्री की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गयी. दुर्घटना के वक्त वह पिछली सीट पर ही बैठे थे. इसलिए सेफ्टी हर सीट पर जरूरी है. और यह चालान से बचने के लिए नहीं, जान बचाने के लिए जरूरी है.

यही सलाह मोबाइल फोन को लेकर भी है. फोन का इस्तेमाल आपकी ड्राइविंग को प्रभावित करता है, चाहे आप कितने भी काबिल ड्राइवर हों. ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी ड्राइव को सेफ बनाएं, फोन का इस्तेमाल ड्राइव के दौरान ना करें. आप घंटों लगातार ड्राइव करने से बचें. कई बार थकान होने के बवाजूद हम ड्राइव करते रहते हैं, जो खतरनाक होता है. इसलिए चाय-कॉफी का ब्रेक, हर डेढ़ दो घंटे पर हो तो बेहतर हो.

हां ध्यान रहे, केवल चाय कॉफी के लिए बियर या शराब के लिए नहीं. यह विडंबना ही है कि भारत में हर साल 1 लाख 38 हजार लोग सड़क हादसों में मरते हैं. इनमें से अधिकांश हाइवे पर मरते हैं, लेकिन सरकारें हैं कि हाइवे पर शराब की दुकानों को लाइसेंस दिये जा रही हैं. इसलिए आप कृपया इस जाल से बचियेगा, ड्राइविंग के दौरान शराब बिल्कुल मत पीजियेगा.

एक और सुझाव है. मैं सलाह तो नहीं दे सकता, क्योंकि हर इंसान की सोच अपनी-अपनी होती है. लेकिन मेरे हिसाब से एक और चीज ध्यान रखने वाली है हाइवे पर ड्राइव करते वक्त, वह है आपके सर का तापमान. आजकल देश के ज्यादातर शहरों में रोडरेज आम बात है, यानी गरममिजाजी. छोटी-छोटी बात पर बहस लड़ाई का रूप ले लेती है, जिसका अंजाम बुरा होता है. शहर में माहौल दूसरा होता है, हाइवे पर दूसरा. इसलिए सुझाव यहीं दूंगा कि कार के साथ अपने दिमाग को भी ठंडा रखिए और निकल जाइए मस्त छुट्टियां मनाने. हैपी हॉलीडेज..

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