22.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

फीफा वर्ल्डकप : फुटबाल की जीत हो, सबकी यही दुआ

।। प्रवीण सिन्हा ।। वरिष्ठ खेल पत्रकार कुछ क्षण के लिए स्तब्ध रह गये खेलप्रेमी विश्व विश्व का आगाज हो चुका है. जैसे-जैसे टूर्नामेंट आगे बढ़ेगा, लोगों का जुनून भी बढ़ता जायेगा. पहले मैच में ब्राजील ने क्रोएशिया के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत आत्मघाती गोल से किया. लेकिन स्टार खिलाड़ी नेमार ने मेजबान को […]

।। प्रवीण सिन्हा ।।

वरिष्ठ खेल पत्रकार

कुछ क्षण के लिए स्तब्ध रह गये खेलप्रेमी

विश्व विश्व का आगाज हो चुका है. जैसे-जैसे टूर्नामेंट आगे बढ़ेगा, लोगों का जुनून भी बढ़ता जायेगा. पहले मैच में ब्राजील ने क्रोएशिया के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत आत्मघाती गोल से किया. लेकिन स्टार खिलाड़ी नेमार ने मेजबान को 3-1 गोल से जिता कर अपने प्रशंसकों को निराश होने से बचा लिया. फिलहाल, फुटबॉल को पूजने वाले देश ब्राजील में फुटबॉल की ही जीत हो, हर खेलप्रेमी की यही दुआ है.

फीफा विश्व कप 2014 में पहली बार जब गो….ल का स्वर उभरा, तो एरेना डि साओ पाउलो स्टेडियम में मौजूद करीबन 61 हजार दर्शक स्तब्ध रह गये. किसी को उम्मीद नहीं थी कि ब्राजील अपने विश्व कप अभियान की शुरु आत्म आत्मघाती गोल से करेगा. स्टेडियम में कमोबेश उसी तरह की स्थिति थी जैसी विश्व कप के शुरू होने से पहले तक ब्राजील में चल रहे विरोध प्रदर्शन से पहले दुनिया भर के फुटबॉलप्रेमियों की थी. फुटबॉल को जुनून की हद तक चाहने वाले इस दक्षिण अमेरिकी मुल्क में विश्व कप के आयोजन से पहले सरकार पर फिजूलखर्ची का आरोप लगाते हुए जब हजारों प्रदर्शनकारियों समेत कई पूर्व महान फुटबॉलर सड़क पर उतर आये, तो खेलप्रेमियों को इसके सफल आयोजन को लेकर चिंता सतानेलगी थी.

कुछ इसी तरह की चिंता स्टेडियम के अंदर बैठे दर्शकों को सताने लगी थी कि जुझारू क्रोएशियाई टीम खिताब के प्रबल दावेदार ब्राजील के खिलाफ कहीं उलटफेर तो नहीं कर देगी. लेकिन यह फुटबॉल का करिश्मा ही था कि ब्राजील और क्रोएशिया के बीच उद्घाटन मैच शुरू होने के कोई आधे घंटे बाद स्टेडियम के अंदर ही नहीं, विश्व के कोने-कोने से हताशा व निराशा का दौर समाप्त हो चुका था.

फुटबॉल की महान परंपरा रही है कि इसका नशा जब चढ़ता है तो बाकी सारी बातें पीछे छूट जाती हैं. ब्राजील के उद्घाटन मैच की कहानी भी इससे अलग नहीं थी. दुनिया के तमाम खेलप्रेमियों सहित ब्राजील में निराशा और संशय की स्थिति दूर हो चुकी थी. फुटबॉल के प्रति दीवानगी हर खेलप्रेमी के सिर चढ़ कर बोल रही थी. ब्राजील के स्टार स्ट्राइकर नेमार के दो शानदार गोलों की मदद से ब्राजील ने अपने अभियान की शुरु आत की. सांबा की थाप पर पूरा ब्राजील झूम रहा था, जो इस बात का एलान था कि विश्व कप का आगाज हो चुका है. इसके आयोजन को लेकर संशय की स्थिति दूर हो चुकी थी.

हालांकि करीबन आधे घंटे के रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम से पहले पुलिसकर्मियों को प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए आंसू गैस और रबर की गोलियों का सहारा लेना पड़ा था. लेकिन मैच के शुरू होते ही स्थितियां सामान्य होती चली गयीं. लोगों के बीच नेमार के करिश्माई गोलों की चर्चा शुरू हो गयी, जबकि क्रोएशिया के खिलाफ ब्राजील को मिली पेनॉल्टी किक के लिए जापानी रेफरी निशिमुरा की आलोचना भी शुरू हो गयी. फीफा विश्व कप का इतिहास रहा है कि इसमें जहां कई नये सितारे उभरते हैं तो साथ ही साथ विवादों का नया दौर भी शुरू हो जाता है. ब्राजील और क्र ोएशिया के बीच उद्घाटन मैच में 22 वर्षीय स्टार स्ट्राइकर नेमार का मैदान पर छा जाना और रेफरी के एक फैसले पर विवाद खड़ा हो जाना साबित करने के लिए काफी है कि तमाम विवादों को पीछे छोड़ फुटबॉलप्रेमी इसकी गिरफ्त में आ चुके हैं.

वैसे कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ब्राजील ने पहला मैच भले ही जीत लिया हो, लेकिन टीम में चैंपियन बनने जैसी झलक नहीं दिखी. लेकिन विश्व कप हो या ओलिंपिक खेल, पहले मैच का तनाव चरम पर होता है. ब्राजीली टीम पर भी अपने दर्शकों के सामने पहला मैच जीतने का दबाव था. लेकिन मैच के 11वें मिनट में ही आत्मघाती गोल खाने के बावजूद उन्होंने जबरदस्त वापसी की और टीम ने मैच जीत कर अपने अभियान की शुरु आत की. ब्राजीली खिलाड़ी भले ही यूरोपीय टीमों की तरह धूमधड़ाके वाले खेल की झलक न दिखा पाये हो, लेकिन छोटे-छोटे पासों के जरिये विपक्षी टीमों को परेशान करना और चीते की सी फुर्ती से काउंटर अटैक करने की क्षमता तो उन्होंने दिखा ही दी है.

इस बीच, क्रोएशिया ने भी जबरदस्त जुझारू क्षमता दिखाई. लेकिन पेनॉल्टी किक पर गोल खाने के बाद क्रोएशियाई कोच निको कोवाक का रेफरी पर पक्षपातपूर्ण रवैये का आरोप लगाना किसी लिहाज से सही नहीं माना जायेगा. खेल को हमेशा खेलभावना के साथ खेलना चाहिए, यह उन्हें समझना होगा. विश्व कप में अपने डी के अंदर विपक्षी खिलाड़ी के साथ धक्कामुक्की करना या उसे बाधित करना कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. अभी तो पहले मैच में तीन खिलाड़ियों को ही यलो कार्ड दिखाए गये हैं. जैसे-जैसे आगे मैच होते जायेंगे उनमें रेड कार्ड का खौफ खिलाड़ियों पर किस कदर कहर बरपायेगा और विवादों का दौर शुरू होगा, यह अभी देखना बाकी है.

बहरहाल, फीफा की निरंकुशता और अपारदर्शी रवैये के कारण विश्व कप से पहले ब्राजील में उठा बवाल खेलप्रेमियों को लंबे अरसे तक सालता रहेगा. जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ते जायेंगे, संभव है ब्राजीली प्रदर्शनकारी विवादों से दूर होते जायेंगे. लेकिन विश्व कप के आयोजन पर 50-55 हजार करोड़ रु पये खर्च किये जाने पर प्रदर्शन करना या मैट्रो रेल व सड़कों पर हड़ताल करने से ब्राजील की छवि सुधरेगी नहीं, बल्किऔर खराब होगी. कोई छह साल पहले जब ब्राजील को फीफा विश्व कप 2014 की मेजबानी सौंपी गयी थी, तो वहां हर तरफ जश्न का माहौल था. लेकिन वक्त बीतने के साथ-साथ विश्व कप के आयोजन के नाम पर पानी की तरह पैसे बहाये जाने का आरोप लगाते हुए विरोधियों ने धरने-प्रदर्शन का दौर शुरू कर दिया.

यह दुखद स्थिति थी. यही नहीं, ब्राजील के आम नागरिकों सहित पूर्व महान खिलाड़ियों रोमारियो, रिवाल्डो और रोनाल्डो ने भी जब प्रदर्शनकारियों का साथ देने का एलान किया, तो आयोजकों के सामने गंभीर संकट की स्थिति पैदा हो गयी. रिवाल्डो ने तो खुल कर कहा, मौजूदा हालात में हम इस स्थिति में नहीं हैं कि विश्व कप की मेजबानी करें. हमें इसकी जरूरत नहीं, हमें शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाएं चाहिए… हालांकि विश्व कप जैसे खेल के महाकुंभ के आयोजन पर बवेला खड़ा करने से ब्राजील की अर्थव्यवस्था में सुधार आ जायेगा, इसमें संशय है. फुटबॉल को पूजने वाले देश में फुटबॉल की ही जीत हो, हर खेलप्रेमी की यही दुआ है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें