<p>सैय्यद जमील अहमद की आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. वे भर्राई आवाज़ में कहते हैं, "जिस भाई को मैं बचपन से अपने आसपास देखता रहा, अपने उसी भाई के चेहरे को मैं पहचान भी नहीं पा रहा हूं. इस हादसे ने मेरा सब कुछ छीन लिया."</p><p>जमील उन 12 परिवारों में शामिल हैं जिनके परिजन मंगलवार को भिलाई इस्पात संयंत्र में हुए विस्फोट में मारे गए हैं.</p><p>जमील के भाई सैय्यद अक़ील अहमद भिलाई इस्पात संयंत्र में काम करते थे. मंगलवार को जब उनके एक विस्फोट में घायल होने की ख़बर आई तो सहसा किसी को विश्वास नहीं हुआ. </p><p>लेकिन अस्पताल पहुंचने तक जिस तरह का मंज़र सामने आया, उसके बाद इस बात पर यक़ीन करना मुश्किल था कि इस विस्फोट और आगज़नी में मौक़े पर काम कर रहा कोई ज़िंदा बचा होगा.</p><p>आरंभिक तौर पर जो ख़बर आई, उसके अनुसार इस विस्फोट में मौके पर ही नौ लोगों की मौत हो गई, जबकि 14 लोगों को गंभीर रूप से अस्पताल में भर्ती किया गया. बाद में चार लोगों की मौत अस्पताल में इलाज के दौरान हो गई.</p><h1>हादसा कैसे हुआ</h1><p>एशिया के सबसे बड़े स्टील प्लांट में शुमार भिलाई इस्पात संयंत्र में हुए इस हादसे के बाद से बदहवासी के हालात थे. भिलाई स्टील प्लांट और भिलाई के अस्पताल में लोगों का हुजूम उमड़ा हुआ था. </p><p>हर कोई इस हादसे में हताहत लोगों के बारे में जानने के लिए बेसब्र था. </p><p>इस हादसे में मारे गए कई लोगों के शव इस कदर जल चुके हैं कि उन्हें पहचान पाना मुश्किल हो रहा है. </p><p>मौके पर उपस्थित लोगों के अनुसार मंगलवार की सुबह 11 बजे के आसपास भिलाई इस्पात संयंत्र के कोक ओवन में 1800 एमएम की गैस की पाइपलाइन में सुधार का काम चल रहा था, उसी समय उसमें आग लगी और भयंकर विस्फोट होने लगा.</p><p>कर्मचारी नेता उज्ज्वल दत्ता के अनुसार, "लगभग 45 मिनट तक विस्फोट होता रहा और काम करने वाले उसकी चपेट में आते चले गए. यहां तक कि पाइपलाइन सुधार की प्रक्रिया में शामिल फायर ब्रिगेड के लोग भी इसकी चपेट में आए और वो भी मारे गए."</p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2014/12/141204_bhopal_fighting_compensation_ra">भोपाल- कब तक चलेगी मुआवज़े की लड़ाई-</a></p><h1>लगातार हादसे</h1><p>भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड की इस इकाई में पिछले 60 सालों में कई हादसे हुए हैं और इन हादसों को लेकर प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगते रहे हैं. लेकिन आरोप है कि सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रबंधन ने कभी भी गंभीरता नहीं जताई.</p><p>जिस जगह हादसा हुआ है, वहीं जून 2014 में इसी तरह के एक सुधार कार्य के दौरान गैस पाइपलाइन फट गई, जिसके कारण उस पूरे इलाक़े में मिथेन और कार्बन मोनो ऑक्साइड का रिसाव शुरू हो गया और इसकी चपेट में आ कर 6 लोगों की मौत हो गई थी.</p><p>मंगलवार को हुए ताज़ा हादसे के बाद अस्पताल पहुंचे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और विधायक भूपेश बघेल कहते हैं, "यह हादसा साफ़ तौर पर प्रबंधन की लापरवाही के कारण हुआ है और इस पूरे मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए. साल दर साल हो रहे हादसों में मेहनतकश कर्मचारियों की जान को दांव पर लगाया जा रहा है."</p><p>औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग के उप संचालक के द्विवेदी ने भी आरंभिक तौर पर जांच के बाद इसे प्रबंधन की लापरवाही माना है.</p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2009/12/091130_bhopal_incident_spl">क्या हुआ था भोपाल में उस रात-</a></p><h1>कहां हुआ लापरवाही</h1><p>द्विवेदी का कहना है कि गैस निकाले जाने के बाद ही पाइपलाइन की मरम्मत का काम करना था. उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा-"सुरक्षा उपायों की अनदेखी के कारण यह हादसा हुआ है."</p><p>हालांकि भिलाई स्टील प्लांट के जनसंपर्क अधिकारी विजय मेहराल इन आरोपों पर कोई बातचीत नहीं करना चाहते. मेहराल का कहना था कि अभी प्रबंधन का पूरा ध्यान इस हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों की मदद और घायलों के बेहतर इलाज में है.</p><p>भिलाई इस्पात संयंत्र के बाहर खड़े मज़दूरों ने आरोप लगाया कि पिछले कई सालों से भिलाई इस्पात संयंत्र में नई भर्ती बंद है. सेवानिवृत्त होने वाले लोगों की जगह भी खाली है. संयंत्र की उत्पादन क्षमता तो लगातार बढ़ती चली गई लेकिन कर्मचारी घटते चले गए.</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-45048412">गुजरात सीएम से पुरस्कृत बच्चा क्यों बना मज़दूर</a></p><h1>निजीकरण</h1><p>60 साल पुराने इस इस्पात संयंत्र के आधुनिकीकरण के लिए 2007 में 18 हज़ार करोड़ रुपये की योजना बनी थी. लेकिन इस योजना पर काम नहीं हो सका. हर दिन 16 हज़ार टन इस्पात का उत्पादन करने वाले भिलाई इस्पात संयंत्र का उत्पादन 11 हज़ार टन जा पहुंचा.</p><p>आरोप है कि स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड की तीन इकाइयों की तरह भिलाई इस्पात संयंत्र के भी निजीकरण की योजना बनती रही, जिसके कारण इसके रखरखाव की उपेक्षा की गई.</p><p>यही कारण है कि पिछले 14 सालों से इस्पात संयंत्र की भट्ठियों समेत अधिकांश मशीनों की मरम्मत का काम टलता रहा.</p><p>किसान-मज़दूर नेता नंद कश्यप कहते हैं, "सरकार ने बालको की तरह भिलाई इस्पात संयंत्र के भी निजीकरण की तैयारी कर रखी है. जानबूझ कर इस इकाई को कमज़ोर किया जा रहा है, जिससे इसके निजीकरण की राह आसान हो जाए. लेकिन संकट ये है कि इस चक्कर में श्रमिक अपनी जान गंवा रहे हैं."</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>:-</strong></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-45684680">क्या मोदी राज में मज़दूरों के हक़ कमज़ोर हुए हैं? </a></p><p><a href="http://www.bbc.com/hindi/india/2016/03/160311_kakrapar_atomic_plant_leak_rd">गुजरात के काकरापार परमाणु संयंत्र में रिसाव</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-45771025">ग्राउंड रिपोर्ट: गुजरात क्यों छोड़ रहे हैं यूपी-बिहार के लोग?</a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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क्या हुआ था जब भिलाई कारखाने में हुआ धमाका
<p>सैय्यद जमील अहमद की आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. वे भर्राई आवाज़ में कहते हैं, "जिस भाई को मैं बचपन से अपने आसपास देखता रहा, अपने उसी भाई के चेहरे को मैं पहचान भी नहीं पा रहा हूं. इस हादसे ने मेरा सब कुछ छीन लिया."</p><p>जमील उन 12 परिवारों में […]
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