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निजर्ल क्षेत्रों में पौधों में वृद्धि

तकरीबन बीस साल तक चले अपने अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि कार्बन डाइ आक्साइड के स्तर में वृद्धि से दुनिया के कई हिस्सों में पौधों का विकास बढ़ा है. खास तौर पर उन क्षेत्रों में भी, जो निजर्ल माने जाते हैं. 1982 से लेकर 2010 के बीच सेटेलाइट […]

तकरीबन बीस साल तक चले अपने अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि कार्बन डाइ आक्साइड के स्तर में वृद्धि से दुनिया के कई हिस्सों में पौधों का विकास बढ़ा है. खास तौर पर उन क्षेत्रों में भी, जो निजर्ल माने जाते हैं.

1982 से लेकर 2010 के बीच सेटेलाइट द्वारा ली गयी इन क्षेत्रों की तसवीरों का अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों ने अफ्रीका, मध्य पूर्व, उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के उन क्षेत्रों को अपने अध्ययन का हिस्सा बनाया था जो दुनिया के सबसे निजर्ल क्षेत्र माने जाते हैं.

ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा स्थित कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंड्रस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन की एक टीम ने इस शोध को अंजाम दिया है, जिसका नेतृत्व रैनडाल डोनोहू कर रहे थे. डोनोहू के मुताबिक इन बीस वर्षो में हमने देखा कि निजर्ल क्षेत्रों में नाटकीय तरीके से पौधों में वृद्धि हुई. इसका कारण यह है कि दुनिया में लगातार बढ़ रहे औद्योगिकीकरण से कॉर्बन का उत्सजर्न हो रहा है.

गौरतलब है कि पौधों को जीवित रहने के लिए कॉर्बन डाइ ऑक्साइड की जरूरत होती है. पौधों की पत्तियों में प्रकाश सेंषण की क्रिया होती है, जिससे पौधे अपना भोजन बनाते हैं. प्रकाश सेंषण के दौरान पत्तियां हवाओं से ज्यादा कार्बन ग्रहण करती हैं, ऐसे में जैसे-जैसे कार्बन डाइ आक्साइड का स्तर बढ़ता है, वैसे-वैसे पत्तियों में प्रकाश सेंषण की प्रकिया तेज होती है और पौधों में वृद्धि तेज होने लगती है.

गौरतलब है कि जबसे हमने कोयला और तेल का उपयोग तेज किया है, तबसे कॉर्बन डाइ ऑक्साइड में तकरीबन 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

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