।। दक्षा वैदकर।।
स्मृति ईरानी ने इंटरनेशनल वुमेन कॉन्फ्रेस में एक रियल स्टोरी सुनायी थी, जो रोंगटे खड़ी कर देती है और लड़ने की हिम्मत भी देती है. उन्होंने बताया था कि उनका इंटरव्यू के सिलसिले में एक महिला से मिलना हुआ. स्मृति ने उनका इंट्रोडक्शन मांगा, तो महिला ने अजीब सी मुस्कुराहट दे कर कहा कि ‘मैं वह मां हूं, जिसने अपनी बेटी की हत्या की कोशिश की है.’ स्मृति ने पूछा कि आप इतना बुरा अपने बारे में क्यों कह रही हैं? तब महिला ने उन्हें अपनी कहानी बतायी. उसने कहा, ‘मेरी दो बेटियां है. जब मैं तीसरी बार गर्भवती हुई, तो पति ने कह दिया कि अगर तीसरी भी बेटी हुई, तो घर वापस मत आना.
मैं दो को पाल कर वैसे ही परेशान हूं. मैं डर-डर कर जीने लगी. आखिरकार डिलवरी का दिन भी आ गया. मैंने तीसरी बार भी बेटी को जन्म दिया. उसके जन्म से मुङो खुशी नहीं हुई, बल्कि घर टूटने का डर सताने लगा. मैं रोने लगी. मैंने अपने भाई को कहा कि अब पति मुङो छोड़ देंगे. मेरे भाई ने मुङो धीरज बंधाया और कहा कि मैं जीजाजी को जाकर समझाता हूं. जीजा ने पत्नी के भाई को भी कह दिया कि अगर तीसरी बेटी नहीं रहेगी, तभी मैं तुम्हारी बहन को अपनाऊंगा.
भाई ने बिना बहन को पूछे ही वादा कर दिया कि तीसरी बेटी अगला महीना नहीं देख सकेगी. महिला ने आगे बताया, हम पंजाब में रहते हैं. वहां उन दिनों ठंड पड़ रही थी. एक रात जब तेज ठंड पड़ी, तो मैंने बच्ची को घर के बाहर बिना किसी कपड़े के छोड़ दिया, ताकि वह मर जाये और पति मुङो अपना लें. फिर मैंने सोचा कि सुबह अगर पुलिस बच्ची की बॉडी देखेगी, तो पूछने आ सकती है. क्यों न बच्ची के मरने के बाद उसे कहीं छिपा दूं. अब वह बच्ची के पास जाकर बैठ गयी और बच्ची के मरने का इंतजार करने लगी. रात को इंतजार करते हुए उसकी आंख लग गयी. सुबह उठी, तो उसने अपनी बेटी की ओर देखा. ठंड की वजह से वह सिर से पैर तक नीली पड़ चुकी थी, पर अब भी जिंदा थी. तब मैंने सोचा, जब मेरी तीन दिन की बेटी मौत से लड़ सकती है और जीत सकती है, तो क्या मैं अपने पति से लड़ नहीं सकती?’ आप भी यदि सकारात्मक सोचें तो कई मुश्किलों का हल आसानी से निकल जायेगा.
बात पते की..
दोस्तों, दुनिया में लोग बहुत कठिन समय से गुजर रहे हैं और हम छोटी-छोटी बातों को लेकर परेशान हो जाते हैं, भगवान को कोसते हैं.
परीक्षा में फेल हो जाये या गर्लफ्रेंड छोड़ कर चली जाये, कोई भी समस्या इतनी बड़ी नहीं होती कि उससे लड़ा न जा सके. इसलिए हिम्मत रखें.