पेरिस : फ्रांस सरकार ने रविवार को आशंका जतायी कि पूर्व राष्ट्रपति फ्रंस्वा ओलांद के राफेल विमान सौदे को लेकर दिये गये बयान के बाद भारत के साथ उसके संबंधों को नुकसान पहुंच सकता है. राफेल लड़ाकू जेट विमानों की खरीद को लेकर ओलांद के बयान ने भारत में पहले से चल रहे विवाद को और हवा दे दी है.
ओलांद ने पिछले साल मई में फ्रांस के राष्ट्रपति का पद छोड़ा था. शुक्रवार को उन्होंने कहा था कि अपनी एक भारत यात्रा के दौरान फ्रांस की विमान कंपनी दसॉल्ट एविएशन को 2016 में भारतीय प्रशासन के साथ हुए सौदे के तहत भागीदार चुनने में कोई विकल्प नहीं दिया गया था. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाईवाली राजग सरकार ने दसॉल्ट से 36 राफेल जेट विमान खरीदने का समझौता किया है. इस सौदे के बाद दसाल्ट ने अनिल अंबानी के नेतृत्ववाली रिलायंस डिफेंस के साथ भागीदारी तय की. ओलांद की अब इस घोषणा से कि दसॉल्ट के समक्ष इसमें कोई विकल्प नहीं था, मामले को और हवा मिल गयी.
भारत में विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने मामले में अनिल अंबानी की मदद की है. अंबानी उसी राज्य से आते हैं जहां से मोदी आते हैं और वह उनके समर्थक हैं. ओलांद के बयान पर रविवार को फ्रांस के कनिष्क विदेश मंत्री जीन-बापटिस्ट लीमोयने ने कहा, मेरा मानना है कि यह जो बयान दिया गया है, इससे किसी का भला नहीं होनेवाला है और सबसे बड़ी बात है कि इससे फ्रांस को कोई फायदा नहीं होनेवाला है. रेडियो जे को दिये एक साक्षात्कार में लीमोयने ने कहा, कोई भी जब पद पर नहीं है और वह ऐसा वक्तव्य देता है जिससे भारत में विवाद खड़ा होता है और भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक भागीदारी को नुकसान पहुंचाता है, यह वास्तव में उचित नहीं है. ओलांद का यह बयान खुद के बचाव में आया है. उन पर आरोप है कि उनकी गर्लफ्रेंड जूली गेएट ने 2016 में एक फिल्म का निर्माण अंबानी की कंपनी के सहयोग से किया. यह निश्चित तौर पर हितों के टकराव को दिखाता है.