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वैन गो और गांधी का कालखंड

मनीष पुष्कले पेंटर नीदरलैंड के दक्षिणी अंचल के ब्राबंत इलाके में विंसेंट वैन गो का जन्म सन् 1853 में हुआ था. पिछले सौ सालों में अनेक पुस्तकों में वैन गो और उत्तर-प्रभाववाद के दूसरे अन्य चित्रकारों के बारे में खूब लिखा जा चुका है. दुनियाभर के शोधकर्ताओं, लेखकों, कला-विद्यार्थियों के लिए वैन गो हमेशा ही […]

मनीष पुष्कले पेंटर

नीदरलैंड के दक्षिणी अंचल के ब्राबंत इलाके में विंसेंट वैन गो का जन्म सन् 1853 में हुआ था. पिछले सौ सालों में अनेक पुस्तकों में वैन गो और उत्तर-प्रभाववाद के दूसरे अन्य चित्रकारों के बारे में खूब लिखा जा चुका है.

दुनियाभर के शोधकर्ताओं, लेखकों, कला-विद्यार्थियों के लिए वैन गो हमेशा ही उत्सुकता का विषय रहे हैं, लेकिन गौर से देखें, तो वैन गो के अलावा, उसके पूर्व काल से लिओनार्दो द विंची और उसके पश्चात पाब्लो पिकासो, दो अन्य ऐसे उदाहरण हैं, जिनके कृतित्व के साथ-साथ व्यक्तित्व पर भी अलग-अलग दृष्टिकोणों से व्यापक लेखन हुआ है. तीनों ही कलाकारों के निजी जीवन के छोटे-छोटे बिंदु भी शोध और उत्सुकता के विषय रहे हैं और शोधकर्ताओं ने उन बिंदुओं से भी विचारोत्तेजक निष्कर्ष निकालें हैं.

किसी के जीवन के ऐसे बिंदुओं से निश्चित ही हम उनके जीवन के छिपे, दीगर पहलुओं को तो समझ सकते हैं, लेकिन उसके समय और काल-खंड के गंभीर और उसकी चेतना को समझने के लिए शोध की दूसरी पद्धति भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जिसके संपूर्ण अवलोकन के लिए इतिहास की तथ्यात्मकता में हमें प्रत्यागमन की आवश्यकता होती है. इस पद्धति से उन तथ्यों को साफ तौर से समझा जा सकता है, जो अभी नवाचार हैं और अकादमिक नहीं हुए.

वर्ष 1853 में जब वैन गो का जन्म हुआ था, ठीक उसी समय भारतीय रेल सेवा की शुरुआत हुई थी. हम कह सकते हैं कि यह आधुनिक वैयक्तिता के साथ आधुनिक सामूहिकता के प्रकाश में आने का वर्ष था.

वैन गो (30 मार्च, 1853) और भारतीय रेल (16 अप्रैल, 1853) के बीच का संबंध मनुष्य और तकनीक, विचार और विज्ञान, स्थिरता और गति का आधुनिक रूपक हो सकता है, जो दो महाद्वीपों के बीच बसी दूरियों को भविष्य में पाटनेवाला है. यह भी महत्वपूर्ण तथ्य है कि वैन गो के 16 वर्षों के बाद 1869 में भारत में गांधी का जन्म हुआ. गांधी के जन्म के साथ भी वैन गो की तरह ही आधुनिक गति और परिवहन का एक प्रमाण जुड़ा है. गांधी का जन्म और स्वेज नहर की घटना समकालीन है. वह नहर, जो अफ्रीका को यूरोप से जोड़ती है.

अगर हम वैन गो और महात्मा गांधी के बीच समय को गौर से देखते हैं, तो हम पायेंगे कि दोनों के जन्म के बीच वैसे तो मात्र 16 वर्षों को अंतर था, लेकिन दोनों के मध्य, इन्हीं 16 वर्षों में तीन ऐसी महत्वपूर्ण घटनाएं दर्ज हैं, जिनके प्रभाव में हमारी आज की आधुनिकता केंद्रित है.

वैन गो और महात्मा गांधी के मध्यकाल में दुनिया को तीन अलग-अलग क्षेत्रों से तीन अलग-अलग धारणाएं मिलती हैं. इसी कालखंड में अल्फ्रेड नोबेल ने डायनामाइट का आविष्कार किया, जिसका उपयोग वैचारिक दृष्टि से तो खदानों में काम कर रहे मजदूरों की सहायता के लिए होना था, लेकिन बाद में वही डायनामाइट आधुनिक हथियार बना और फिर नरसंहार का प्रतीक बना. इस कालखंड का दूसरा उदाहरण डार्विन की थ्योरी ‘जीवन की उत्पत्ति’ का प्रकाश में आना है. और तीसरा है कार्ल मार्क्स की ‘दास कैपिटल’ का प्रथम संस्करण का प्रकाश में आना. वैन गो और गांधी के मध्य के सोलह वर्षों में इस प्रकार से हिंसा, उद्भव और समाज पर विभिन्न दृष्टिकोणों से काम हो रहा था.

वैन गो और गांधी में मध्य घटी इन तीनों घटनाओं ने दुनिया को एक अलग विमर्श दिया. वैन गो, जिसे मौन का चित्रकार कहा जाता है, जिसके होने से स्थापित पुनर्जागरण आदर्शवाद प्रश्नों के दायरे में आया और जिसके होने से आधुनिक वैयक्तिता कि उत्पत्ति हुई. वहीं, गांधी जो अहिंसा के कलाकार थे, जिन्होंने अपने जीवन को ही भारतीय दर्शन की जीती-जागती टीका के रूप में यह कहकर स्थापित किया कि ‘मुझे दुनिया को कोई नयी चीज नहीं सिखानी है. सत्य और अहिंसा अनादी काल से चले आये हैं.’ यह भी अजब साम्य है कि दोनों की ही मृत्यु प्राकृतिक तरह से नहीं हुई. गो ने आत्महत्या की और गांधी की हत्या हुई.

इन तथ्यों को देखने पर हम एक निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं. यह निष्कर्ष, पूर्व और पश्चिम की आसक्तियों को विशेष रूप से प्रकट करता है, जिसमें एक तरफ पुनर्जागरण के आदर्शों से वैन गो टकराते हैं, तो दूसरी तरफ परंपराओं का बोध गांधी के दर्शन का केंद्र है.

क्या आधुनिकता की विचारधारा और उसकी विफलताओं के वितान की आधारशिला हत्या और आत्महत्या के इन दो उदाहरणों के बीच नहीं बनी है?

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