दफ्तर में घंटों कंप्यूटर पर काम करनेवाले कई लोग आज स्लिप डिस्क की समस्या से जूझ रहे हैं. इसमें उन्हें भीषण पीठ दर्द उठता है, जो कई बार बरदाश्त से बाहर हो जाता है. इस तकलीफ में योग विशेषज्ञ भुजंगासन करने की सलाह देते हैं, जो काफी आराम पहुंचाता है.
स्पाइनल कॉर्ड या रीढ़ की हड्डी पर शरीर का पूरा वजन टिका होता है. स्पाइनल कॉर्ड की हड्डियों के बीच कुशन जैसी मुलायम चीज होती हैं, जिसे डिस्क कहा जाता है. ये डिस्क एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं और वर्टिब्रा के बिल्कुल बीच में स्थित होती हैं. डिस्क स्पाइन के लिए शॉक एब्जॉर्बर का काम करती हैं.
वास्तव में डिस्क स्लिप नहीं होती, बल्कि स्पाइनल कॉर्ड से कुछ बाहर आ जाती है. इससे स्पाइनल कॉर्ड पर दबाव बनाता है.
इस परेशानी के कई कारण हो सकते हैं –
गलत पोश्चर इसका आम कारण है. लेट कर या झुक कर पढ़ना या लगातार काम करना, कंप्यूटर पर काफी देर तक बैठे रहना.
अनियमित दिनचर्या, अचानक झुकने, वजन उठाने, झटका लगने, गलत तरीके से उठने-बैठने की वजह से दर्द हो सकता है.
सुस्त जीवनशैली, व्यायाम न करना या पैदल न चलने से भी मशल्स कमजोर हो जाते हैं. अत्यधिक थकान से भी स्पाइन पर जोर पड़ता है और एक सीमा के बाद समस्या शुरू हो जाती है.
अत्यधिक शारीरिक श्रम, गिरने, फिसलने, चोट लगने, देर तक ड्राइविंग करने से भी डिस्क पर प्रभाव पड़ता है.
उम्र बढ़ने के साथ-साथ हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और इससे डिस्क पर जोर पड़ने लगता है.
इन उपायों से करें बचाव
नियमित तीन-छह किलोमीटर प्रतिदिन पैदल चलें. यह सर्वोत्तम व्यायाम है.
देर तक कुर्सी पर झुक कर न बैठें. अगर डेस्क जॉब करते हैं तो ध्यान रखें कि कुर्सी आरामदेह हो और इसमें कमर को पूरा सपोर्ट मिले.
शारीरिक श्रम मांसपेशियों को मजबूत बनाता है. लेकिन इतना भी परिश्रम न करें कि शरीर को आघात पहुंचे.
देर तक न तो एक ही पोश्चर में खड़े रहें और न एक स्थिति में बैठे रहें.
किसी भी सामान को उठाने या रखने में जल्दबाजी न करें. पानी भरी बालटी उठाने, अलमारी-मेज खिसकाने, भारी सूटकेस उठाते समय सावधानी बरतें.
हाइ हील्स और फ्लैट चप्पलों से बचें. इनसे कमर पर दबाव पड़ता है.
क्या हैं सामान्य लक्षण
नसों पर दबाव के कारण कमर दर्द, पैरों में दर्द, एड़ी या पैर की उंगलियों का सुन्न हो जाना
पैर के अंगूठों या पंजे में कमजोरी
स्पाइनल कॉर्ड के बीच में दबाव पड़ने से कई बार हिप या थाइज के आस-पास सुन्न महसूस करना
रीढ़ के निचले हिस्से में असहनीय दर्द
चलने-फिरने, झुकने में भी दर्द का अनुभव होना. कभी झुकने या खांसने या अचानक खड़े होने पर ऐसा लगे कि शरीर में करंट प्रवेश कर गया हो. झनझनाहट महसूस हो रहा हो.
नाड़ियों को बल प्रदान करता है यह आसन
जिन लोगों को साइटिका या स्लिप डिस्क की तकलीफ है, वे भी इस आसन से लाभ उठा सकते हैं, लेकिन सावधानी के साथ. संस्कृत में भुजंग का अर्थ है सांप और यह आसन ऐसा है, जैसे सांप ने फन उठाया हो.
आसन की विधि : पेट के बल लेट जाएं और हाथों को जमीन पर कंधों के नीचे रखें. अब श्वास लेते हुए नाभि को जमीन पर ही रखते हुए छाती और सिर को ऊपर उठाएं और पीठ को कमान की तरह मोड़ें. पूरे शरीर को उतना खींचे जितना संभव हो. फिर धीरे-धीरे श्वास अंदर लें और छोड़ते हुए सिर को नीचे लाएं.
लाभ : पीठ की, उदर की और शरीर के ऊपरी भाग की मांसपेशियां मजबूत होती हैं. यह आसन रीढ़-तंत्रिका में हुए विस्थापन को ठीक करता है और सिम्पैथेटिक नाड़ियों को बल प्रदान करता है. किसी भी कारण से पीठ दर्द में इस आसन से काफी लाभ होता है.
सावधानी : अगर आप पेप्टिक अल्सर, हर्निया या हाइपरथायरॉयड से पीड़ित हों, तो यह आसन न करें. ध्यान रखें कि जब शरीर को पीछे की तरफ मोड़ते हैं, तो जोर का झटका न लगे, क्योंकि इससे मांसपेशियों को सख्त चोट आ सकती है.