जब बच्चे आपस में झगड़ते हैं, तो अक्सर बड़े उन्हें डांट-फटकार कर चुप करा देते हैं. लेकिन कई बार बात-बहस में बड़े भी अपनी सीमा भूल जाते हैं और बच्चों-सा बरताव करने लगते हैं. तब वे अपने व्यवहार पर गौर नहीं करते कि आखिर वे भी तो वही कर रहे हैं, जैसा बच्चे करते हैं. थोड़ी देर के लिए सही, उनकी सारी समझदारी कहीं और चली जाती है.
सभी अपने-अपने पार्टनर को समझाने में लगी थीं. सीमा अपनी पार्टनर से कह रही थी- नंदा दी, आपको क्या पेंटागन का शेप भी नहीं मालूम? हट के ऊपरी हिस्से की तरह दो तिरछी लाइन खींचिए फिर दोनों लाइनों के नीचे एक-एक सीधी लाइन और फिर नीचे हॉरिजेंटली दोनों लाइनों को मिला दीजिए. सीमा तुम इतना कठिन आर्ट क्यों बना रही हो? कुछ आसान-सी बनाओ ताकि मैं बना सकूं. मुङो समझ नहीं आ रहा है, नंदा ने कहा. थोड़ा खीझते हुए सीमा ने कहा- नंदा दी, आसान ही बता रही हूं. इससे आसान क्या होगा? सारे शेप्स तो लेने ही हैं. आपको बताया न पेंटागन का शेप, अब भी आप नहीं समझ पा रही हैं. हद होती है! सीमा के इस तरह बोलने पर नंदा ने तुरंत कहा- सीमा यह क्या तरीका है बोलने का. तुम ज्यादा इंटेलीजेंट हो तो तुम्हारी इंटेलीजेंसी तुम्हें मुबारक. मुङो नहीं समझ आ रहा तो नहीं आ रहा. मैं अपनी क्लास की बेस्ट स्टूडेंट थी. तुम नहीं समझा पा रही तो यह तुम्हारे समझाने में कमी है, मेरे बनाने में नहीं. यह सुन कर शारदा देवी बोलीं- इस तरह की बात कोई नहीं करेगा. तकरार से अच्छा है अपने काम पर ध्यान दो. सुमन को हेक्सागन का शेप नहीं पता था. सुमन ने कहा कि आंटी जी यह तो चीटिंग है. अगर हमें कुछ शेप नहीं समझ आ रहे तो पहले आपको एक बार सारे शेप समझा देने चाहिए थे. आपने जरा भी समय दिया होता तो हम थोड़ी तैयारी कर लेते. मेहर पूछ रही थ- सोनी भाभी, यह तो बताइए कि आप अपने बायें बना रही हैं या सेंटर सर्कल के? तभी अंजू जोर से चिल्लाई, आप सब इतना शोर क्यों कर रही हैं. हम एक-दूसरे की बात नहीं समझ पा रहे हैं. थोड़ा धीमे बोलिए. अंजू, हमें जोर से इसलिए बोलना पड़ रहा है कि हमें भी ठीक से सुनाई नहीं पड़ रहा है. अब केवल पांच मिनट का समय बचा है. सो प्लीज अपने टास्क पर ध्यान दो. हमें मत देखो, मेहर ने भी चिल्लाकर कहा. ओ हेलो मेहर, हम तुम्हें नहीं देख रहे, समझी! माइंड योर बिजनेस. शारदा देवी ने अंजू को टोकते हुए कहा- ये कैसी बातें कर रही हो? तुम लोग तो लड़ाई-झगड़े पर उतर आयीं. बड़ी हो तो समझदारी दिखाओ. बड़ों को बच्चों जैसा बिहेव शोभा नहीं देता. फिर वह सबको देख कर मुस्कुराने लगी. तभी शुभांगी ने कहा- आंटी जी, पांच मिनट और दे दीजिए प्लीज. शारदा देवी ने कुछ सोचा फिर कहा- ठीक है. पांच मिनट का समय मिलते सबके चेहरे खिल गये. हाथों में तेजी तो आयी, लेकिन हड़बड़ाहट बढ़ गयी. समय होते ही सबसे पेपर वापस ले लिये गये. शारदा देवी ने पेपर देखने शुरू किये तो उन्हें किसी भी पेपर को देख कर संतुष्टि नहीं मिली. तभी मेहर ने पूछ-कैसा रहा रिजल्ट आंटी जी? हमारे पेयर ने अच्छा बनाया न? भाभी बहुत अच्छी तरह से बता रही थीं.
शारदा देवी ने कहा- मेहर मैं तुम्हीं से शुरू करती हूं. यह रहा तुम्हारा और तुम्हारी पार्टनर का पेपर. वाह-वाह कितनी अंडरस्टैंडिंग से बनाया है? मेहर तुम्हें तो बहुत भरोसा था खुद पर. क्या हुआ? यहां आकर देखो और बताओ कि क्या कमी है? बाकी सब भी पहले अपनी ड्राइंग खुद कंपेयर करें. फिर मैं बताऊंगी. जिसकी ड्राइंग डायरेक्शन देनेवाले पार्टनर की ड्राइंग से मैच करे वह मेरे पास आये. शारदा देवी ने पेपर वापस कर दिये. पांच मिनट के बाद ही सब मुंह लटका कर बैठ गयीं. उन्हें इस तरह बैठा देख कर शारदा देवी बोलीं क्या हुआ? अब तो 10 मिनट हो गये. अभी तक कोई मेरे पास नहीं आया. क्या किसी की भी ड्राइंग एक-दूसरे से मैच नहीं करती? मेहर पहले तुम बताओ. तुम तो बहुत समझदार हो. सोनी ने तुम्हें अच्छी तरह से समझाया और तुमने भी समझकर बनाया फिर भी तुम्हारी कई फिगर आपस में मैच ही नहीं करतीं. कोई दायें की जगह बायें है, तो कोई बायें की जगह दायें. तुम्हें तो सोनी ने अच्छी तरह समझाया था फिर तुम्हारी समझ में क्यों नहीं आया? सोनी की ड्राइंग पूरे पेज को कवर कर रही है और तुम्हारी दायीं तरफ भाग रही है. तुम्हारे पूछने पर सोनी ने बताया भी था कि फूल सर्कल के बायीं तरफ बनाना है. फिर भी तुमने सर्कल के दायीं तरफ बनाया. ऐसा क्यों?
उसने तीन ओवल के ऊपर तीन सर्कल बनाये और तुमने सर्कल के ऊपर ओवल शेप बनाये. क्या इतनी-सी बात तुम्हें समझ नहीं आयी? तुम इतनी पढ़ी-लिखी हो, साथ ही दो बच्चों की मां भी. फिर भी तुम वह नहीं बना सकी, जो तुमसे कहा जा रहा था. फिर बच्चों से ज्यादा समझदारी की उम्मीद क्यों? क्रमश:
वीना श्रीवास्तव
लेखिका व कवयित्री
इ-मेल: veena.rajshiv@gmail.com