जोहानिसबर्ग : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग इस बात पर राजी हुए हैं कि उनकी हालिया बैठकों से दोनों देशों के संबंधों में बनी गति को कायम रखने के लिए चीन के रक्षा मंत्री अगले महीने भारत का दौरा करेंगे. मोदी यहां ब्रिक्स सम्मेलन में शरीक होने आये हैं. उन्होंने शी से पिछले करीब तीन महीने में तीसरी बार गुरुवार की शाम को मुलाकात की.
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इससे पहले अप्रैल के अंत में चीनी शहर वुआन में उनकी दो दिवसीय अनौपचारिक बैठक हुई थी और जून में चीन के चिंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (एसएसीओ) सम्मेलन से इतर उनकी एक द्विपक्षीय बैठक हुई थी. मोदी ने अपनी टिप्पणी में शी से कहा कि इस गति को कायम रखना जरूरी है और इसके लिए हमें अपने स्तर पर नियमित रूप से अपने संबंध की समीक्षा करनी चाहिए तथा जरूरत पड़ने पर उपयुक्त निर्देश देना चाहिए.
उन्होंने चीनी नेता से कहा कि उनकी हालिया बैठकों ने द्विपक्षीय संबंधों को एक नयी मजबूती दी है और सहयोग के नये अवसर भी मुहैया किये हैं. चीनी सरकारी समाचार एजेंसी की खबर के मुताबिक, राष्ट्रपति शी ने कहा कि चीन वुहान में हुई उनकी अनौपचारिक बैठक के बाद द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए काम करने को तैयार है.
खबर के मुताबिक, शी ने दोनों देशों को रणनीतिक संचार मजबूत करने, परस्पर विश्वास बढ़ाने, व्यवहारिक सहयोग को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक संबंध एवं दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने, वार्ता को सुदृढ़ करने तथा मतभेदों का उपयुक्त निवारण करने की अपील की. वुहान में मोदी और शी ने विश्वास और समझ कायम रखने के लिए अपनी-अपनी सेनाओं को रणनीतिक दिशा-निर्देश जारी करने का फैसला किया था. इस कदम का लक्ष्य भविष्य में डोकलाम जैसी स्थिति को टालना है.
मोदी ने कहा कि जोहानिसबर्ग बैठक ने उन्हें दोनों देशों के बीच करीबी विकास साझेदारी को और मजबूत करने का एक और अवसर दिया है. बैठक के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि दोनों नेताओं ने दोनों देशों की सेनाओं के बीच संचार को बढ़ाने के लिए अपनी-अपनी सेनाओं को आवश्यक निर्देश देने और सीमावर्ती इलाकों में शांति एवं स्थिरता कायम रखने के प्रति खुद के तैयार होने की बात दोहरायी है.
उन्होंने बताया कि दोनों नेता दोनों देशों के अधिकारियों द्वारा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और वुहान में बनी कुछ सहमति को लागू करने के लिए की जा रही कोशिशों से संतुष्ट हैं. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल को इस साल चीन भेजने की भी इच्छा जाहिर की है.
गोखले ने कहा कि दोनों देश चिंगदाओ में इस बात पर सहमत हुए थे कि चीनी रक्षा और लोक सुरक्षा मंत्री इस साल भारत का दौरा करेंगे. विदेश सचिव ने कहा कि यह फैसला लिया गया था कि अगस्त और अक्टूबर में क्रमश: दो यात्राएं होंगी. बीजिंग में चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता एवं वरिष्ठ कर्नल रेन गुओचियांग ने इस बात की पुष्टि की कि स्टेट काउंसलर और रक्षामंत्री जनरल वेई फेंगे की अपनी भारतीय समकक्ष निर्मला सीतारमण के न्यौते पर भारत की आधिकारिक यात्रा करने की योजना है.
गोखले ने कहा कि दोनों नेताओं ने यह टिप्पणी भी की है कि पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों के बीच परस्पर विश्वास बढ़ा है. विदेश सचिव ने कहा कि राष्ट्रपति शी ने एक बार फिर से प्रधानमंत्री मोदी को इस बात से अवगत कराया कि वह एक अनौपचारिक बैठक के लिए अगले साल भारत यात्रा के उनके न्यौते को स्वीकार कर काफी खुश हैं.
उन्होंने बताया कि वे इस बात पर भी राजी हुए कि दोनों देशों के बीच स्थापित होने वाला उच्च स्तरीय ‘पीपुल टू पीपुल’ तंत्र भी इस साल बैठक करेगा. उन्होंने बताया कि यह फैसला किया गया है कि एक भारतीय व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल एक और दो अगस्त को चीन की यात्रा करेगा. सोया, चीनी और गैर-बासमती चावल के निर्यात पर वह चर्चा करेगा तथा वह चीन से यूरिया के संभावित आयात पर भी गौर करेगा.
गोखले ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने औषधि क्षेत्र का भी जिक्र किया और एक ‘डाइंग टू सर्वाइव’ नाम की चीनी फिल्म का उदाहरण दिया. इसमें भारतीय कैंसर दवा को फिल्म के मुख्य किरदार की जान बचाते हुए दिखाया गया है. साथ ही, यह फैसला किया गया कि एक भारतीय औषधि प्रतिनिधिमंडल वार्ता के लिए 21 और 22 अगस्त को शंघाई का दौरा करेगा. राष्ट्रपति शी और प्रधानमंत्री मोदी इस साल के अंत में अर्जेंटीना में जी 20 शिखर सम्मेलन से इतर भी एक बार फिर से मिलेंगे.