कई बार हम बच्चों से बड़ों की तरह अपेक्षा करते हैं, जबकि अपना बचपन भूल जाते हैं कि तब हमारी सोच-समझ का स्तर क्या था. हम उनसे उम्मीद करते हैं कि किसी बात को एक बार में ही समझाने पर ही वे समझ जाएं. हमें समझना होगा कि उनकी दुनिया, उनकी खुशियां अलग होती हैं. उनकी और हमारी समझ के बीच बड़ा फर्क होता है.
देखो, मेहर जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, वैसे-वैसे हम ज्यादा रिजिड होते जाते हैं. वही व्यवहार हम बच्चों से चाहते हैं, लेकिन बच्चों के सोच और हमारे सोच में जमीन-आसमान का अंतर होता है. उनकी उम्र के अनुसार उनका सोच, उनकी खुशियां और उनकी अलग दुनिया होती है. हम उनसे अपने अनुसार काम की अपेक्षा रखते हैं और अपना बचपन भूल जाते हैं कि हम क्या किया करते थे. कोई भी बात एक बार बताने पर बच्चों से हम यही उम्मीद रखते हैं कि वे उसमें परफेक्ट हो जाएं. एक बार में कुछ बात हम बड़े भी नहीं समझ पाते तो उनसे वैसी उम्मीद क्यों? अच्छा एक गेम खेलते हैं. पायल कुछ ब्लैंक पेपर्स और पेन ले आओ. सभी महिलाएं पेयर बना कर बैक टू बैक बैठ जायें यानी दो महिलाएं साथ बैठेंगी, लेकिन एक का मुंह पूरब तो दूसरी का पश्चिम की तरफ होगा. दोनों की पीठ सटी होगी. मैं सबको पेपर और पेन दूंगी. इस गेम में एक पार्टनर ड्राइंग बनायेगा, जो बनायेगा वो बताता जायेगा. उसका पार्टनर विवरण सुन कर बनायेगा. जैसे- मैंने कहा कि सेंटर में एक सर्कल बनाओ.
फिर सर्कल के दायीं तरफ एक उड़ती हुई पतंग, पतंग के ऊपर बायीं तरफ दो कमल के फूल, कमल के फूल के ऊपर दायीं तरफ एक खरगोश. खरगोश के बायीं तरफ ऊपर एक पेंटागन शेप और पेंटागन के दायीं तरफ ऊपर एक हेक्सागन. फिर सेंटर सर्कल के बायीं तरफ हाफ सर्कल कवर करते हुए छोटे-छोटे चार गोले बनाने हैं. इन चारों गोलों के साइड में पहले ट्राइएंगल, ओवल, स्क्वायर और रेक्टेंगल बनाना है. शुरु आत ऊपरवाले गोले से करनी है. इसमें सभी साइज का प्रयोग होना चाहिए, जिस पेयर की ड्राइंग सबसे बड़ी और एक जैसी होगी, वही जीतेगा, ठीक है? इस तरह एक पार्टनर बना कर बताता जायेगा, दूसरे को सुन कर वैसा ही बनाना है. उसके बाद एक पेपर और दूंगी जिसमें मैं जो बताऊंगी, वह सबको बनाना है. शारदा देवी ने कहा.
यह तो बायें हाथ का काम है. जो दूसरा बोलेगा, वही बनाना है न? इसमें मुश्किल क्या है? इससे क्या होगा आंटी जी! हमें कोई ऐसा गेम खेलाइए जिसे खेल कर लगे कि हमने कुछ दिमाग लगाया हो. यह तो बच्चोंवाला गेम है, शुभांगी ने कहा.
शुभांगी हम ठहरे बूढ़े, पुराने जमाने के, नये गेम कहां से लायें? बूढ़े-बच्चे एक समान होते हैं. इसलिए हमारे बच्चोंवाले गेम ही खेल लो. इससे जो होगा वह बाद में बताऊंगी. बहुत ही मजेदार है, लेकिन बैठना सबको बैक टू बैक है जिससे कोई एक-दूसरे को कॉपी न कर पाये. सभी अपने और पार्टनर के नाम जरूर लिखें. सबको बैक टू बैक बैठा कर पेपर और पेन दे दिये गये. 10 पेयर बने. 10 मिनट का समय दिया गया. सबने बोलना शुरू किया. एक अपना आइडिया बता कर बना रहा था, तो दूसरा समझ कर बना रहा था. 10 लोग बोल रहे थे और 10 लोग समझ कर बना रहे थे. जब समझ नहीं आता, तो वे रिपीट करवाते. सभी अपने पार्टनर को समझाने में लगे थे और एक-दूसरे को याद भी दिलाते कि पेंटागन तो ड्राइंग में आया ही नहीं. इसे कहां बनायें, तो किसी को हेक्सागन और पेंटागन का शेप ही याद नहीं आ रहा था.
इस तरह से सभी 10 मिनट में ज्यादा-से-ज्यादा ड्राइंग बनाने के प्रयास में थे. कभी-कभी कोई महिला चिल्ला देती कि शोर कम करो समझ में नहीं आ रहा. 10 मिनट हो गये तो शारदा देवी ने कहा समय समाप्त. सब रु क जाएं. सबसे पेपर ले लिये गये. फिर नये पेपर दिये गये और शारदा देवी ने बोलना शुरू किया. सबसे पहले सेंटर में एक स्क्वायर बनाएं. स्क्वायर के सेंटर में ऊपर और नीचे एक-एक ओवल शेप, स्क्वायर के बायें-दायें एक-एक ट्राइएंगल, स्क्वायर के ऊपरी दोनों कोनों में पेंटागन और नीचे के दोनों कॉर्नर में हेक्सागन शेप बनाएं. एक रेक्टेंगल दोनों पेंटागन को टच करता हुआ बनाएं और रेक्टेंगल के ऊपरी दोनों कॉर्नर पर एक-एक टी बनाएं और टी के ऊपर एक क्रिसेंट.
अब सेंटर स्कवायर के बायेंवाले ट्राइएंगल के साइड में एक गिलास बनाएं, जो आधा भरा हो. सेंटर स्क्वायर के दायीं तरफवाले ट्राइएंगल के साइड में एक गुलाब का फूल और फूल के साइड में तीन सिलेंड्रिकल शेप, अब सेंटर स्क्वायर के नीचे दोनों हेक्सागन को टच करते हुए एक रेक्टेंगल बनाएं. रेक्टेंगल के नीचे बायीं तरफ हार्ट और दायीं तरफ डायमंड और दोनों के नीचे सेंटर में स्टार बनाएं और स्टार के नीचे से एक सर्कल बनाएं, जो पूरी ड्राइंग को कवर करे.
वीना श्रीवास्तव
लेखिका व कवयित्री
इ-मेल: veena.rajshiv@gmail.com