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उत्तराखंड: महिला टीचर उत्तरा पंत पर क्यों क्रूर हुआ सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का जनता दरबार?

<p>उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का जनता दरबार, जहां आम लोग अपनी परेशानियां बता सकते हैं. </p><p>28 जून को हुए जनता दरबार में माइक उत्तरकाशी में 20 से ज़्यादा सालों से टीचर उत्तरा पंत बहुगुणा के हाथ में आता है. </p><p>वो कहना शुरू करती हैं, ”मेरी समस्या ये है कि मेरी पति की मौत […]

<p>उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का जनता दरबार, जहां आम लोग अपनी परेशानियां बता सकते हैं. </p><p>28 जून को हुए जनता दरबार में माइक उत्तरकाशी में 20 से ज़्यादा सालों से टीचर उत्तरा पंत बहुगुणा के हाथ में आता है. </p><p>वो कहना शुरू करती हैं, ”मेरी समस्या ये है कि मेरी पति की मौत हो चुकी है. मेरे बच्चों को कोई देखने वाला नहीं है. घर पर मैं अकेली हूं, अपने बच्चों का सहारा. मैं अपने बच्चों को अनाथ नहीं छोड़ सकती और नौकरी भी नहीं छोड़ सकती. आपको मेरे साथ न्याय करना होगा.”</p><p>न्याय की इस फरियाद को सुनकर रावत उत्तरा से सवाल पूछते हैं, ”जब नौकरी की थी तो क्या लिखकर दिया था?”</p><p>उत्तरा जवाब देती हैं, ”लिखकर दिया था सर. ये नहीं बोला था कि मैं वनवास भोगूंगी ज़िंदगीभर. ये आपका है ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ.’ और ये नहीं कि वनवास के लिए भेज रहे हैं हमको ससुराल.” </p><p>त्रिवेंद्र उत्तरा को टोककर कहते हैं, ”अध्यापिका हो. ठीक से बोलो ज़रा. नौकरी करती हो न. ज़रा सभ्यता सीखो. मैं सस्पेंड कर दूंगा अभी. अभी सस्पेंड हो जाओगी. इसको सस्पेंड कर दो अभी. सस्पेंड करो आज ही. ले जाओ इसको उठाकर बाहर. बंद करो इसको. जाओ इसको ले जाओ. इसको कस्टडी में लो.”</p><p>त्रिवेंद्र के पुलिस अधिकारियों को आदेश देने के दौरान उत्तरा कहती हैं, ”मैं अध्यापिका हूं तो अध्यापिका के क्या गुण होते हैं?… आप मुझे क्या सस्पेंड करोगे. मैं खुद घर पर बैठी हूं. निशंक जी ने भी यही…. सुनिए हर कोई नेता होता है. हमारी भी भावनाएँ होती हैं… चोर उचक्के कहीं के. भक्क.”</p><p>इस पूरे वाक़ये के बाद त्रिवेंद्र के आदेशानुसार पुलिस वाले उत्तरा को बाहर लाते हैं. सोशल मीडिया पर ये वीडियो वायरल हो गया है.</p><p>जनता दरबार के बाद मीडिया से सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं, ”ये हमेशा कुछ न कुछ ऐसे लोग घुस जाते हैं. एक आधी बार ऐसा हो ही जाता है. कोई बड़ी बात नहीं है. लेकिन अपनी मर्यादाओं में रहना चाहिए.”</p><p>उत्तरा पंत बहुगुणा ने <strong>बीबीसी संवाददाता विकास त्रिवेदी</strong> से इस पूरे मामले को लेकर फ़ोन पर बात की.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-39303308">अमित शाह के करीब माने जाते हैं त्रिवेंद्र सिंह रावत</a></li> </ul><h1>उत्तरा पंत की कहानी, उन्हीं की ज़बानी</h1><p>”मैं उत्तर काशी के नौगांव ब्लॉक के आगे देसवाड़ी जगह पर स्कूल टीचर हूं. लगभग 25 सालों से घर और बच्चों से दूर हूं. मेरा बेटा देहरादून में रहता है और बेटी नोएडा में.</p><p>पति की 2015 में मौत हो गई थी. अपने ट्रांसफ़र के लिए 28 जून की सुबह साढ़े दस बजे के क़रीब सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के जनता दरबार में गई थी ताकि पति की मौत के बाद ट्रांसफर करवाकर बच्चों संग रह सकूं. </p><p>इससे पहले बीसी खंडूरी के वक्त पर जनता दरबार में गई थी. तब उन्होंने अच्छे से बात सुनी थी और डीएम साहेब से जांच करवाई थी. लेकिन फिर वो हार गए. </p><p>त्रिवेंद्र के जनता दरबार में मैंने जब न्याय की गुहार लगाई तो मैं अपनी बात कह चुकी थी. मुख्यमंत्री चाहते तो कह सकते थे कि हां कुछ करेंगे, सुनवाई होगी मैडम. </p><p><strong>मैं मुड़ ही रही थी. मेरा इतना बोलना अपराध हो गया कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान तो मेरे लिए वनवास हो गया. मैंने इतना बोला और उनको </strong><strong>ग़ुस्सा </strong><strong>आ गया.</strong></p><p>मेरे को गाड़ी में बैठाकर थाने ले गए और वहीं बैठाकर रखा. मेरा फ़ोन ले लिया और फ़ोन बंद कर दिया. अपने बच्चों से भी बात नहीं करने दी. बोले कि मीडिया वालों से बात नहीं करनी है. </p><p>मीडिया वाले आए तो मुझे दूसरे थाने तक एक प्राइवेट गाड़ी में लेकर गए थे. इस दौरान लोग कह रहे थे कि ऐसे नहीं बोलना चाहिए था. मैंने कहा कि उनके पास फौज है तो क्या मुख्यमंत्री मुझे धक्के मरवाकर बाहर निकलवा देंगे? ऐसा मैंने क्या कहा दिया कि मुझे धक्का मारकर बाहर निकलवा दिया. </p><p>किसी पर पत्थर फेंके जाएंगे तो वो भी बदले में पत्थर फेंकता है. उस समय जो भाव होते हैं, वैसे ही जवाब दिया जाता है. प्रेम हो तो प्रेम और गुस्सा हो तो गुस्सा.” </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-39427421">उत्तराखंडः शिक्षा मंत्री को था शुभ मुहूर्त का इंतज़ार</a></li> </ul><p>”मुझे थाने में खाने-पीने के लिए चीज़ें दी तो गईं थीं. लेकिन मैंने कह दिया कि कुछ नहीं खाना तुम्हारी सरकार का. </p><p>थाने में मेरे ख़िलाफ़ कोई लिखित शिकायत नहीं की गई. स्कूल या शिक्षा विभाग की तरफ से भी अभी तक कोई लिखित या मौखिक जानकारी सस्पेंड किए जाने के बारे में नहीं मिली है. बस सुनने में आ रहा है कि सस्पेंड करने का आदेश दे दिया गया है. </p><p>मैं शाम साढ़े सात बजे तक थाने में रही. थाने का एक कार्यालय था, वहीं बैठा रखा था. फिर किसी का फ़ोन आया तब मुझे घर उसी प्राइवेट गाड़ी से भेज दिया. </p><p>अब सरकार से क्या उम्मीदें करना. जैसा सिस्टम बनाएंगे, वैसा ही होगा. सरकार जो करे, वो करे लेकिन मेरे साथ न्याय भी तो करे. अमीर कर रहा है तो वो देशहित और ग़रीब कुछ करे तो वो हँगामेबाज़ हो गया. ये तो ग़लत है न?</p><p>नौकरी पर निर्भर हैं. ईमानदारी से नौकरी करने के बाद किसी के साथ ऐसा व्यवहार करना, मुख्यमंत्री की ओर से न्याय करने की बजाय धोखा करना.”</p><p>उत्तरा के बेटे शुभम सिंह ने बीबीसी को बताया, ”मम्मी के साथ जो भैया गए थे, उन्होंने घर आकर बताया कि ऐसा हुआ है. हमने मम्मी का फ़ोन लगाया तो वो भी स्विच ऑफ़. नोएडा से मेरी बहन का भी फ़ोन आने लगा. वो भी परेशान थी. फिर शाम को जब मम्मी घर आईं, तब ही हमारी बात हो पाई.”</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-44620558">इन बच्चों के आंसुओं ने रोक दिया टीचर का तबादला</a></li> </ul><h1>उत्तरा पंत-त्रिवेंद्र रावत की बहस पर सोशल मीडिया</h1><p>वायरल हुए इस वीडियो की सोशल मीडिया पर भी चर्चा है. </p><p>जितेंद्र प्रताप सिंह लिखते हैं, ”कई राज्यों में बीजेपी दोबारा सत्ता में इसलिए नहीं आ सकती, क्योंकि कुछ घमंडी सत्ता के मद में अहंकारी लोगों को बीजेपी मुख्यमंत्री बना देती है.”</p><p><a href="https://twitter.com/saini_saini9927/status/1012584351257620480">https://twitter.com/saini_saini9927/status/1012584351257620480</a></p><p>शुभम सैनी लिखते हैं, ”सीएम रावत ने शिकायतों का निपटारा करने के लिए दरबार लगाया और उल्टा शिक्षिका को सस्पेंड कर दिया.”</p><p>हिमांशु पांडे लिखते हैं, ”माननीय प्रधानमंत्री उत्तराखंड की इस घटना का संज्ञान लें, जिसमें उनके सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक विधवा महिला को धक्के मारकर जनता दरबार से निकाल दिया.”</p><p>फ़ेसबुक पर नितिन ठाकुर लिखते हैं, ”हाथ जोड़कर वोट लेते हैं, जब कोई अर्जी लेकर खड़ा हो तो उसे झाड़ पिलाते हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत, आप मुख्यमंत्री हैं, शहंशाह नहीं.” </p><p>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप <a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a> कर सकते हैं. आप हमें <a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a>, <a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a>, <a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a> और <a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</p>

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