लाहौर : पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई और पीएमएल-एन प्रमुख शाहबाज शरीफ ने कहा कि अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच ऐतिहासिक सिंगापुर शिखर वार्ता से प्रेरित होते हुए भारत और पाकिस्तान को व्यापक शांति वार्ता फिर से शुरू करनी चाहिए.
अपने बड़े भाई नवाज शरीफ के विपरीत शाहबाज शरीफ का भारत पर अपने आप में यह दुर्लभ बयान है. उन्होंने कहा कि ट्रंप और किम के बीच मंगलवार को हुई शिखर वार्ता दोनों चिर प्रतिद्वंद्वी पड़ोसी देशों के लिए मिसाल होनी चाहिए. शाहबाज शरीफ ने ट्वीट कर कहा, ‘कोरियाई युद्ध के शुरू होने के बाद से दोनों देश एक-दूसरे की राह में रोड़े अटकाते रहे हैं. दोनों एक-दूसरे के खिलाफ अपने परमाणु शस्त्रागारों के साथ सैन्य बल के इस्तेमाल की धमकी देते रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘अगर अमेरिका और उत्तर कोरिया परमाणु विषय पर विवाद के मुहाने से लौट सकते हैं तो इसकी कोई वजह नहीं है कि पाकिस्तान और भारत ऐसा क्यों नहीं कर सकते. इसकी शुरुआत कश्मीर पर बातचीत से हो जहां के बहादुर लोग भारत के कब्जे का विरोध करते रहे हैं.’
अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच दशकों के तनावपूर्ण संबंधों के बाद मंगलवारको ऐतिहासिक घटनाक्रम के तहत दोनों देशों के नेता सिंगापुर में शिखर वार्ता के लिए मिले जहां उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने अमेरिका की ओर से सुरक्षा गारंटी के बदले ‘पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण’ की दिशा में काम करने का वादा किया. उन्होंने कहा, ‘यह समय हमारे क्षेत्र में व्यापक शांति वार्ता का है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया पर ध्यान लगाना चाहिए. कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता फिर से शुरू होनी चाहिए ताकि कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुसार हल किया जा सके.’
पाकिस्तान के कई राजनीतिज्ञों का मानना है कि नवाज शरीफ को पद से हटाने के पीछे भारत के साथ संबंधों को सामान्य करने के उनके प्रयास भी एक वजह थे. उन्होंने कहा, ‘अमेरिका और उत्तर कोरिया की वार्ता पाकिस्तान और भारत के लिए आदर्श होनी चाहिए. अगर वे एक-दूसरे के खिलाफ हमले करने की अपनी पहले की शत्रुतापूर्ण स्थिति से पीछे हट सकते हैं, तो पाकिस्तान और भारत भी समग्र संवाद बहाल कर सकते हैं.’ पीएमएल-एन प्रमुख ने कहा कि 25 जुलाई को होनेवाले चुनावों में अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वह अफगानिस्तान पर फोकस करने के साथ क्षेत्र में शांति को बढ़ावा देंगे. उन्होंने ईद-उल-फितर के दौरान अफगानिस्तान में संघर्ष विराम के लिए अफगान सरकार और अफगान तालिबान के प्रयासों का स्वागत किया.