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बिहार के सरकारी बालिका गृह में ‘यौन शोषण’

<p>बिहार में समाज कल्याण विभाग की ओर से चलाए जा रहे एक बालिका गृह की कुछ नाबालिग लड़कियों के साथ यौन शोषण का संगीन मामला सामने आया है. </p><p>मुज़फ्फ़रपुर स्थित इस बालिका गृह के संचालन की ज़िम्मेदारी विभाग ने एक एनजीओ सेवा संकल्प और विकास समिति को दे रखी थी.</p><p>मुज़फ्फ़रपुर ज़िले की एसएसपी हरप्रीत कौर […]

<p>बिहार में समाज कल्याण विभाग की ओर से चलाए जा रहे एक बालिका गृह की कुछ नाबालिग लड़कियों के साथ यौन शोषण का संगीन मामला सामने आया है. </p><p>मुज़फ्फ़रपुर स्थित इस बालिका गृह के संचालन की ज़िम्मेदारी विभाग ने एक एनजीओ सेवा संकल्प और विकास समिति को दे रखी थी.</p><p>मुज़फ्फ़रपुर ज़िले की एसएसपी हरप्रीत कौर ने बीबीसी को फ़ोन पर बताया कि अब तक इस मामले में सेवा संकल्प और विकास समिति के संचालक ब्रजेश ठाकुर सहित 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. </p><p>&quot;लड़कियों की मेडिकल जांच कराई गई है और अदालत में उनका बयान भी दर्ज हुआ है. गिरफ़्तार लोगों में महिलाएं भी शामिल हैं.&quot;</p><h1>एसआईटी की जाँच</h1><p>हरप्रीत कौर ने आगे बताया, &quot;पुलिस की एसआईटी इस मामले की जांच कर रही है. 164 लोगों के बयान में कुछ लड़कियों ने बताया है कि उनके साथ यौन शोषण किया गया. इस मामले में मंगलवार को बाल कल्याण समिति के एक सदस्य को भी जेल भेजा गया है.” </p><p>कौर ने कहा, ”अभियुक्तों पर बलात्कार और पॉक्सो की धाराओं सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. शुरुआती जांच में साक्ष्य भी मिले हैं. पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है.&quot;</p><p>इस बालिका गृह में 44 लड़कियां रहती थीं. यौन शोषण की बात सामने आने के बाद उन्हें पटना, मोकामा और मधुबनी स्थित केंद्रों पर भेज दिया गया है. </p><p>राज्य महिला आयोग के सदस्यों ने भी मामला सामने आने के बाद बालिका गृह जाकर जांच की है.</p><h1>कैसे सामने आया मामला</h1><p>इस महीने की शुरुआत में यह मामला तब सामने आया था जब ख़ुद समाज कल्याण विभाग द्वारा यह बताया गया कि मुज़फ्फ़रपुर सहित तीन केंद्रों में यौन शोषण और मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर मामले सामने आने के बाद प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है.</p><p>दरअसल, समाज कल्याण विभाग बालिका गृह, अल्पावास गृह और बाल गृह जैसे संस्थानों का संचालन करता है. </p><p>विभाग ने मुंबई स्थित टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ (टिस) की एक इकाई ‘कोशिश’ को इस साल फ़रवरी में ऐसे ही 110 केंद्रों के सोशल ऑडिट की ज़िम्मेदारी सौंपी थी. इसी जांच से यह मामला सामने आया.</p><p>समाज कल्याण निदेशक राज कुमार बताते हैं, &quot;बीते महीने 26 तारीख़ को सोशल ऑडिट की रिपोर्ट सामने आने के बाद एक कार्यशाला आयोजित की गई. इसमें ज़िला से लेकर राज्य स्तरीय अधिकारियों के साथ इस रिपोर्ट को साझा किया गया. साथ ही संबंधित अधिकारियों से 14 दिनों के अंदर एक्शन रिपोर्ट जमा करने को कहा गया है.&quot;</p><p>मुज़फ्फ़रपुर के अलावा मोतिहारी के बाल गुह और कैमूर के अल्पावास गृह में भी यौन शोषण और मानवाधिकार के उल्लंघन के मामले सामने आने के बाद सरकार द्वारा एफ़आईआर दर्ज कराई है. </p><p>पुलिस जांच चल रही है, लेकिन इन दोनों मामलों में अब तक कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है.</p><p><strong>ये भी पढ़ें…</strong></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-43889845">कंपनियों में ऐसे रुकेगा महिलाओं का यौन शोषण</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-44234440">जब एक ‘पीर बाबा’ ने बचपन में उसका ‘रेप’ किया..</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/entertainment-43943931">#MeToo: बॉलीवुड में यौन शोषण क्यों है हक़ीक़त?</a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">आप यहाँ क्लिक कर</a><strong> सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi">फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong> पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)</strong></p>

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