किसी अच्छे-भले ज़िंदा इंसान को मरा हुआ साबित करना आसान नहीं हो सकता. लेकिन यूक्रेन ने रूस के मशहूर खोजी पत्रकार आर्काडी बाबचेंको की मौत की झूठी ख़बर फैलाकर दुनिया भर की मीडिया को गच्चा दे दिया.
यूक्रेन के सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक इसकी तैयारी पिछले दो महीने से चल रही थी और वो रात-दिन इसके लिए मेहनत कर रहे थे.
लेकिन ये सब हुआ कैसे? ताज़ा जानकारी के मुताबिक इस स्टंट के लिए सूअर के ख़ून का इस्तेमाल किया गया. इतना ही नहीं, बाक़ायदा एक मेकअप आर्टिस्ट की मदद भी ली गई.
बाबचेंको ने ख़ुद ये सारी बातें एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में बताईं.
उन्होंने बताया कि उनके क़रीबी रिश्तेदारों यहां तक कि उनकी पत्नी को इस प्लान के बारे में कुछ मालूम नहीं था.
मुर्दाघर में बदले कपड़े
प्लान के तहत बाबचेंको ने मंगलवार को सूअर के ख़ून ने सनकर और एक फटी- चिथड़ी शर्ट पहनकर घायल होने का नाटक किया जिसके बाद उन्हें एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया गया.
इस दौरान उन्हें एंबुलेंस में ले जाने वालों से लेकर अस्पताल में मौज़ूद सभी लोग ऑपरेशन टीम का हिस्सा थे. अस्पताल में डॉक्टरों ने भी उन्हें मृत घोषित कर दिया. फिर उन्होंने मुर्दाघर में कपड़े बदले और वहीं से अपनी मौत की ख़बर न्यूज़ चैनलों पर देखी.
इसके कुछ देर बाद उन्हें सुरक्षित घर ले जाया गया. बाबचेंको ने कहा, "मैं इस ऑपरेशन का इंचार्ज नहीं था. मुझे नहीं पता था कि ये सब कैसे होगा. टीम ने मुझसे जैसा कहा, मैंने वैसा ही किया."
एक दिन पहले आई ख़बर में बताया गया था कि 41 साल के बाबचेंको की यूक्रेन की राजधानी कीव में गोली मारकर हत्या कर दी गई है.
यूक्रेन ने इस हत्या के पीछे रूस का हाथ होने की आशंका जताई थी और कहा था कि इस पूरे मामले में ‘रूसी पैटर्न’ दिख रहा है.
पुतिन के आलोचक हैं बाबचेंको
ये सारे दावे उस वक़्त झूठे साबित हो गए हत्या की ख़बर के 24 घंटे बाद बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में सबके सामने आ गए.
अब यूक्रेन का कहना है कि उसे रूसी एजेंटों का भंडाफोड़ करने के लिए बाबचेंको की हत्या की झूठी ख़बर फैलानी पड़ी. हालांकि यूक्रेन के इस कदम की दुनिया भर में आलोचना हो रही है.
बाबचेंको का कहना है कि उन्हें इन सबके बारे में पता था और कोई दूसरा विकल्प न देखते हुए उन्होंने स्टिंग ऑपरेशन में हिस्सा लेने का फ़ैसला किया.
बाबचेंको रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के मुखर आलोचक रहे हैं और उन्होंने एक साल पहले अपनी जान पर ख़तरा बताते हुए रूस छोड़ दिया था.
वो यूक्रेन और सीरिया में रूस की सैन्य कार्रवाई की भी कड़ी आलोचना करते रहे हैं.
ये भी पढ़ें: कौन हैं पुतिन के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलने वाला ये पत्रकार
सैराट का ‘टॉपर’ जो बोर्ड परीक्षा में फेल हो गया था
कैराना की ना का अर्थ मोदी-योगी के लिए बहुत बड़ा है
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
]]>