सुप्रीम कोर्ट सोमवार को कठुआ मामले की सुनवाई को जम्मू और कश्मीर से बाहर कराने या न कराने पर फ़ैसला सुना सकता है.
इसी दिन मामले की सीबीआई जाँच होगी या नहीं इस पर भी फैसला आ सकता है. अभियुक्तों ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की याचिका दाख़िल की हुई है.
यह मामला आठ साल की बच्ची के अपहरण और रेप का है. नाबालिग़ बच्ची 10 जनवरी से ग़ुम थी.
वह अपने गांव रसना के पास ही जंगल में अपने परिवार के खच्चरों को चराने गई थी और फिर कभी घर नहीं लौटी. बाद में 17 जनवरी को उसका शव मिला.
घटना के सामने आने के बाद देशव्यापी प्रदर्शन हुए. मामले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी असर छोड़ा.
हालांकि, प्रदर्शनों का दौर अब भी जारी है. लोगों की मांग है कि दोषियों को सख़्त से सख़्त सज़ा दी जाए.
मामले में कब क्या हुआ?
- जम्मू और कश्मीर सरकार ने 23 जनवरी 2018 को मामले की जांच राज्य पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंप दी थी.
- क्राइम ब्रांच ने 10 फ़रवरी को एक स्पेशल पुलिस ऑफ़िसर दीपक खजुरिया को गिरफ़्तार किया.
- दीपक खजुरिया की गिरफ़्तारी के बाद पुलिस ने अब तक आठ लोगों को गिफ़्तार किया है.
- क्राइम ब्रांच ने 10 अप्रैल को इस मामले में कठुआ की एक अदालत में आरोप-पत्र दाख़िल किया था.
- आरोप पत्र दाख़िल करते समय कठुआ के कई वकीलों ने अदालत के बाहर हंगामा किया और पुलिस को आरोप-पत्र दाख़िल करने रोकने की कोशिश की.
- आरोप-पत्र दाख़िल होने के बाद अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 18 अप्रैल की तारीख़ दी.
- क्राइम ब्रांच ने अपने आरोप-पत्र में लिखा है कि पहले बच्ची का अपहरण किया गया, उसे नशीली दवाएं खिलाई गईं और कई दिनों तक उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया जाता रहा.
- क्राइम ब्रांच ने अपने आरोप-पत्र में ये भी कहा गया है कि बच्ची को कई दिनों तक इलाक़े के एक मंदिर में बंधक बनाकर रखा गया था. बाद में उसकी हत्या कर दी गई.
- 16 जनवरी को ‘हिंदू एकता मंच’ नाम के एक संगठन ने कठुआ में वकीलों के समर्थन में रैली निकाली, जिसमें बीजेपी के स्थानीय विधायक राजीव जसरोटिया और दूसरे नेता भी शामिल थे.
- 4 मार्च को बीजेपी के दो मंत्री चौधरी लाल सिंह और चंद्र प्रकाश गंगा ने कठुआ में ‘हिंदू एकता मंच’ की रैली को संबोधित किया और मामले की सीबीआई जाँच की मांग की.
- 5 अप्रैल को इस पूरी घटना के कथित मास्टरमाइंड सांजी राम ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.
- 13 अप्रैल को बीजेपी के दो मंत्री लाल सिंह और चंद्र प्रकाश गंगा से पार्टी ने इस्तीफ़ा माँगा.
- 16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू और कश्मीर सरकार से इस बात का जवाब माँगा कि पीड़िता के परिवारवालों ने मामले के ट्रायल को राज्य से बाहर कराए जाने की मांग की है.
- 18 अप्रैल को पहली सुनवाई में क्राइम ब्रांच से कहा गया कि सभी आरोपियों को आरोप-पत्र की कॉपी दी जाए.
- 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित परिवार और उनकी वकील को सुरक्षा देने के आदेश दिए.
- कठुआ में 18 अप्रैल को पहली सुनवाई के बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 अप्रैल की तारीख़ दी थी.
- सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 7 मई की तारीख़ दी थी. दरअसल, पीड़ित परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल कर केस का ट्रायल जम्मू और कश्मीर से बाहर कराने की मांग की थी.
- जम्मू और कश्मीर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को राज्य से बाहर केस ट्रांसफ़र न करने का अनुरोध किया है. राज्य सरकार की दलील है कि क्राइम ब्रांच मामले की जांच सही तरीक़े से कर रही है.
- अभियुक्तों के परिवार वाले मामले की सीबीआई जाँच की मांग करते आए हैं. सीबीआई जाँच की मांग का समर्थन ‘हिंदू एकता मंच’ भी कर रहा है.
- राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने शुरू से इस मामले में सीबीआई जाँच से इनकार किया है.
- बकरवाल समुदाय की जम्मू-कश्मीर में कुल आबादी क़रीब बारह लाख है. बकरवाल समुदाय खाना-बदोश लोग होते हैं जो छह महीने सर्द वाले इलाके कश्मीर में रहते हैं और छह महीने गर्म वाले इलाके जम्मू में रहते हैं.
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