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हमें ही डालनी होगी बच्चों में जीतने की आदत

अगर बच्चे हमारी बात नहीं समझ रहे या नहीं मान रहे हैं, तो कहीं-न-कहीं कमी हममें है. एक बार बच्चा क्लास के होनहार बच्चों में शामिल हो जाये तो उसे टीचर व बच्चे पहचानने लगते हैं. किसी भी बच्चे के लिए गर्व की बात होती है कि उसके टीचर तेज बच्चों में उसे गिनें. उन्हें […]

अगर बच्चे हमारी बात नहीं समझ रहे या नहीं मान रहे हैं, तो कहीं-न-कहीं कमी हममें है. एक बार बच्चा क्लास के होनहार बच्चों में शामिल हो जाये तो उसे टीचर व बच्चे पहचानने लगते हैं. किसी भी बच्चे के लिए गर्व की बात होती है कि उसके टीचर तेज बच्चों में उसे गिनें. उन्हें क्लास की अग्रिम पंक्ति में पहुंचाने में हमें ही उनकी मदद करनी होगी.

शुभांगी ने शारदा देवी से कहा- बहुत बहस हो गयी इस टॉपिक पर. ये बताइए कि गर्मी की छुट्टियां आनेवाली हैं. क्या प्लान किया है आप सबने? कौन-कौन बाहर जा रहा है और कौन-कौन यहीं रु क रहा है? हमारे घर में तो दो बेटे-बहू एक साथ जा रहे हैं और जब वो वापस आ जायेंगे तो दोनों छोटेवाले जायेंगे, जिससे हम अकेले न रहें. सब घूम आयेंगे और बच्चे अपने नाना-नानी से भी मिल आयेंगे. जब सब वापस आ जायेंगे तो हम दो दिन आस-पास ही पिकनिक पर जायेंगे. फिर स्कूल खुलने से पहले कुछ दिन बच्चे पढ़ाई करेंगे. शारदा देवी ने बताया.

अरे, ये पढ़ाई बीच में कहां से आ गयी? आप भी आंटी जी, बच्चों पर इतना जुल्म मत ढाइए. गरमी की छुट्टियां तो होती हैं मस्ती करने के लिए और आप उसमें भी उन बेचारों का हक मार रही हैं. क्यों बच्चों, गरमी की छुट्टियों में नो पढ़ाई, है न? सबने कहा- यस आंटी. बच्चों के इस जवाब पर शारदा देवी ने कहा- छुट्टियां अपनी जगह हैं और पढ़ाई अपनी जगह. ऐसी पढ़ाई नहीं, जिसमें बच्चे एग्जाम की तैयारी करें, बल्किवो पढ़ाई जिसे बच्चे एंज्वॉय करें. सबसे पहले पैरेंट्स को बच्चों का होमवर्क खत्म करवाना चाहिए. स्कूल खुलने से पहले अगली क्लास की किताबों के शुरू के कुछ चैप्टर की एक रीडिंग करवानी चाहिए जिससे क्लास में बच्चों को किताबें नयी न लगें. साथ ही उन्हें एक-दो अच्छी किताबें पढ़ने को दें, इससे उनमें रीडिंग हैबिट डेवलप होगी और वे अच्छी किताबें भी पढ़ लेंगे. गणित की प्रैक्टिस भी रोज करवानी चाहिए जिससे वे फार्मूले न भूलें. इसके लिए उन्हें रोज 10 सवाल जरूर करवाएं.

इससे यह फायदा होगा कि उन्हें फार्मूले याद रहेंगे, क्लास में मुश्किल नहीं होगी, उनकी रूचि बनी रहेगी और वे आगे भी रहेंगे. अगर बच्चों को प्यार से समझाया जाये तो वे यह बात जरूर समङोंगे और मानेंगे भी. जरूरत उन्हें समझाने की है. अगर वे हमारी बात नहीं समझ रहे हैं या नहीं मान रहे हैं, तो कहीं न कहीं कमी हममें है. एक बार बच्चा क्लास के होनहार बच्चों में शामिल हो जाये तो उसे टीचर व बच्चे पहचानने और मानने लगते हैं. किसी भी बच्चे के लिए बहुत गर्व की बात होती है कि उसे उसके टीचर तेज बच्चों में गिनें. ये जीतने और क्लास में आगे रहने की आदत हमें उनमें डालनी होगी. जब उनमें ये आदतें पड़ जायेंगी तो अगर कभी किसी वजह से उनके नंबर कम आये तो उन्हें खुद खराब लगेगा. वे अपना सम्मान नहीं खोना चाहेंगे. हर बार उनकी कोशिश होगी कि वे अपनी पोजीशन बनाकर रखें. इसके लिए जरूरत इस बात की है कि पहली बार उन्हें अच्छी पोजीशन तक पहुंचाने में हम उनकी मदद करें. उन्हें क्लास की अग्रिम पंक्ति में पहुंचाना हमारा काम है, जिसके लिए बच्चों के साथ हमें भी मेहनत करनी होगी. जहां तक सवाल रीडिंग हैबिट का है तो वह भी हमें ही उनमें डालनी होगी. उन्हें अच्छे लेखकों की किताबें पढ़ने को दें. छोटे बच्चों को अच्छी स्टोरी बुक और बड़ें बच्चों को महान लेखकों की ऑटोबायोग्राफी या उपन्यास दें. सिर्फपढ़ने को ही नहीं दें, बल्किउनसे उस किताब पर चर्चा भी करें और छोटे बच्चों से पढ़ी हुई कहानी सुनें. इससे वे ध्यान से पढ़ेंगे और उनकी रीडिंग स्किल बढ़ेगी. जो माता-पिता पढ़े-लिखे नहीं हैं, वे बच्चों से भले ही डिस्कस न कर पाएं, लेकिन पढ़ने के लिए किताबें जरूर दें. उनको बताएं कि किताबें बहुत अच्छी दोस्त भी होती हैं. यह पढ़ाई उन्हें भविष्य में भी काम आयेगी.

शारदा देवी ने आगे कहा- किसी भी बच्चे को सबसे ज्यादा परेशानी अगली क्लास में नयी किताबों से होती है, लेकिन वही बच्चा जब वो किताबें एक बार सरसरी निगाह से पढ़ लेगा तो उसे समस्या नहीं होगी. मैथ्स जैसा विषय जिसमें बच्चा रूचि नहीं लेता, उसमें भी वह रूचि लेने लगेगा. मैं सीरियस स्टडी की बात नहीं कर रही, बल्किऐसी पढ़ाई की बात कर रही हूं जिसे बच्चा एंज्वॉय करे और ऐसी पढ़ाई के लिए सबसे अच्छी गरमी की छुट्टियां हैं.

इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि बच्चे घर में कंप्यूटर पर ही न बैठे रहें, बल्किबाहरी एक्टिविटी और खेलकूद में शामिल हों. इसके लिए बच्चों को समर कैंप में जरूर भेजें. लगभग सभी शहरों में समर वैकेशन में ऐसे कैंप व हॉबी क्लासेस चलती हैं. बच्चे का जो भी शौक हो, उसे उसकी मनपसंद क्लास में जरूर भेजें. इससे वह अन्य बच्चों के संपर्कमें आयेगा, उसकी दोस्ती बढ़ेगी और दायरा भी. हमें उसके अंदर छुपी प्रतिभा का पता चलेगा. हो सकता है उसका शौक ही उसका भविष्य बन जाये! हमें याद रखना चाहिए कि बच्चे के दिमाग के खाली मेमोरी कार्ड को हमें ज्ञान के उस सागर से भरना है, जहां से वह जब चाहे अपने प्रश्नों के उत्तर खोज सके और अपनी शंकाओं का समाधान निकाल सके.

लेखिका व कवयित्री

इ-मेल: veena.rajshiv@gmail.com

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